चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने घोषणा कर दी है कि वह बिहार के लोगों के लिए काम करेंगे. उन्होंने पार्टी का ऐलान तो नहीं, लेकिन नई पार्टी को लेकर इंकार भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि वह लोग पार्टी बनाएंगे, प्रशांत उस पार्टी को ज्वाइन करेंगे. उन्होंने 2 अक्टूबर से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा का भी ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि बिहार को अग्रणी राज्यों की सूची में लाना है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है. बिहार को बदलाव की जरूरत है.
बिहार के लिए बदलाव करने के लिए निकलेंगे तो आपके सहयात्री कौन हो सकते हैं? नीतीश कुमार, बीजेपी या कांग्रेस कौन होंगे? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि बिहार की जनता और वे लोग जो बिहार को बदलने का जज्बा रखते हैं.
कांग्रेस के साथ बातचीत चल रही है या खत्म हो गई. या अभी कुछ समय के रुकी है?
कांग्रेस के साथ बातचीत खत्म या पॉज की बात नहीं है. ये तो कांग्रेस का बड़प्पन है कि मेरे जैसे साधारण आदमी को बुलाया. आगे के रास्ते क्या हो सकते हैं, इस पर मैंने विचार रखे थे. अब ये उन पर है कि उन रास्तों पर चलना चाहें या नहीं. इसे लेकर पूरी समझ या एकता है या नहीं. वैसे कांग्रेस में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी काबिलियत मुझसे ज्यादा है. दरवाजा बंद करने या खोलने की बात नहीं है. उन्होंने मुझे ऑफर किया, मैं शुक्रगुजार हूं. कुछेक ने कहा कि मैं अकेले जिम्मेदारी लेना चाहता हूं. तो ऐसा भी नहीं था, मैं सोचता हूं कि ग्रुप हो, कई लोग मिलकर काम करें, क्योंकि काम बड़ा है.
दरअसल, बात जहां अटकी वह बताता हूं. कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के संविधान के हिसाब से काम होता है. उनकी एक पूरी व्यवस्था है, जिसके हिसाब से काम होता है. अब अलग से एक ग्रुप बना दिया जाए और उससे हर तरह के काम करवाएं तो इससे आज नहीं तो कल विरोधाभास पैदा होगा. आपकी खींचतान होगी. मैं उनका कुछ फायदा नहीं कर पाऊंगा बल्कि मेरी वजह से उनका नुकसान हो जाएगा.
राहुल गांधी के साथ विश्वास की कमी का मुद्दा था क्या? इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि राहुल गांधी बड़े आदमी हैं. मैं एक साधारण आदमी हूं तो उनके साथ ट्रस्ट डेफेसिट जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती. ट्रस्ट डेफेसिट बराबर के लोगों के साथ हो सकता है. मेरी उनके साथ कोई बराबरी नहीं है.
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