कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह में 57 बच्चियों के कोरोना पॉजिटिव और 7 बच्चियों के गर्भवती होने पर अब सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पू्र्व सीएम अखिलेश यादव ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला है. उधर राज्य महिला आयोग ने कानपुर के डीएम से इसपर जवाब मांगा है. कानपुर के बाल संरक्षण गृह को अब सील कर सेनिटाइज किया जा रहा है. यहां रहने वाली 173 बच्चियों में से 57 कोरोना की शिकार पाई गई हैं. 7 बच्चियां गर्भवती हैं, जिनमें से 5 को कोरोना भी हो गया है. इस पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, 'कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह में 57 बच्चियों की कोरोना की जांच होने पर एक हैरानी की बात सामने आई कि 2 बच्चियां निकलीं और एक को एड्स निकला. मुजफ्फरपुर (बिहार) का किस्सा देश के सामने है. यूपी के देवरिया में भी ऐसा मामला सामने आया था. इसलिए लगता है कि जांच के नाम पर सब दबा दिया जाताहै.'
उधर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'कानपुर के बाल संरक्षण गृह से आई खबर से यूपी में आक्रोश है. कुछनाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने का भी गंभीर खुलासा हुआ है. इनमें 57 कोरोना से और एक एड्स से भी ग्रसित है. इनकातत्काल इलाज हो. सरकार शारीरिक शोषण करने वालों के खिलाफ तुरंत जांच बैठाए.'
प्रशासन ने किया इनकार
लेकिन प्रशासन इस बात से इनकार करता है कि कोई बच्ची सरकारी होम में आने के बाद गर्भवती हुई है. उनका कहना है कि जिन जिलों से बच्चियां आई हैं. वहां इनके शारीरिक शोषण का केस पहले से चल रहा है.कानपुर के डीएम ब्रह्मदेव तिवारी ने एनडीटीवी को बताया, 'जहां तक यहां पर जो मामले उठाए जा रहे हैं कि इनका किसी तरह का शोषण हुआ है, यह बात पूरी तरह से निराधार है. ऐसे मामले जो आते हैं वह सीडब्ल्यूसी या कोर्ट के माध्यम से आते हैं.'
ऐसे सामने आया मामला
ये मामला सामने यूं आया कि 12 तारीख को सरकार ने सभी शेल्टर होम में रेंडम तरीके से कोरोना का टेस्ट कराने का आदेश दिया. कानपुर के शेल्टर होम में 173 बच्चियां हैं, इनमें से 63 शोषण का शिकार होकर आई हैं. जिनके मामलों में पोस्को एक्ट में केस चल रहे हैं. 5 बच्चियों का कारोना का टेस्ट हुआ तो 1 पॉजिटिव आई. फिर 173 बच्चियों का टेस्ट हुआ तो 57 पॉजिटिव मिले, 7 बच्चियां गर्भवती हैं, जिनमें 5 कोरोना की भी शिकार हैं.
लड़कियों के पहले से गर्भवती होने के प्रशासन के दावे पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. कानपुर की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली का कहना है,'बलात्कार पीड़ितों को ये ऑप्शन मिलता है, ये अधिकार है कि वो गर्भ को गिराने की मांग कर सकती है. क्या इस विकल्प के बारे में उनका जानकारी दी गई? अगर नहीं दी गई तो क्यों? आखिर इन बच्चियों के बच्चों की जिम्मेदारी कौन लेगा?'
राज्य महिला आयोग ने लिया संज्ञान
उधर राज्य महिला आयोग ने भी कानपुर डीएम से मामले पर जवाब मांगा है. राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल ने कहा, 'हालांकि डीएम ने ऐसी किसी बात को नकार दिया है लेकिन फिर भी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने इस पूरे मामले पर डीएम से रिपोर्ट मांगी है, डिटेल्स के साथ की आखिर ये महिलाएं कब गर्भवती हुई और कहां लापरवाही की गई जहां इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं कोरोना संक्रमित हो गईं.'
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