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महाराष्ट्र में त्रिभाषा फार्मुले को लेकर चढ़ा सियासी पारा, एक साथ नजर आ रहे राज और उद्धव ठाकरे

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए फिर एक बार दोहराया कि महाराष्ट्र में हिन्दी अनिवार्य नहीं मराठी अनिवार्य है और हिन्दी वैकल्पिक है.

महाराष्ट्र में त्रिभाषा फार्मुले को लेकर चढ़ा सियासी पारा, एक साथ नजर आ रहे राज और उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में त्रिभाषा फार्मुले को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. आज शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने राज ठाकरे से मुलाकात की, लेकिन राज ठाकरे इस चर्चा से संतुष्ट नहीं हुए. उद्धव ठाकरे ने भी त्रिभाषा फार्मुले का विरोध किया. दोनों ठाकरे भाइयों ने आक्रामक रुख अपनाया और लोगों से राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखकर एकजुट होने की अपील की है. हिन्दी थोपे जाने के विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिन्दी किसी भाषा के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी भाषाओं की मित्र है.

महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने गुरुवार को मनसे प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की, लेकिन उन्हें मनाने में सफल नहीं हो सके. राज ठाकरे ने त्रिभाषा फार्मुले को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि वे तीसरी भाषा को थोंपने की इजाजत नहीं देंगे, चाहे वह हिंदी हो या कोई अन्य भारतीय भाषा. उन्होंने इसके खिलाफ जनआंदोलन की घोषणा की.

राज ठाकरे ने कहा कि मैं सभी राजनीतिक दलों से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील करता हूं. 5 जुलाई को सुबह 10 बजे गिरगांव चौपाटी से एक मार्च शुरू होगा. कोई राजनीतिक बैनर नहीं होगा, लोगों को महाराष्ट्र के लिए आगे आना चाहिए. मैं देखना चाहता हूं कि कौन-कौन मार्च में शामिल होता है और जो नहीं आते हैं, मैं उनको भी ध्यान में रखूंगा.

दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पर कड़ा विरोध जताया और कहा कि यह भाजपा द्वारा राज्य में लगाया गया भाषाई आपातकाल है.

उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं आंदोलन को पूरा समर्थन देता हूं, मैं उनके साथ हूं और पूरी पार्टी उनके समर्थन में खड़ी होगी. मैं सभी मराठी लोगों से अपील करना चाहता हूं कि वे राजनीतिक मतभेदों को भूलकर एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ें. मराठी उद्योग और खेल जगत की सभी बड़ी हस्तियां इसमें शामिल हों. कोई चाहे जितनी कोशिश कर ले, महाराष्ट्र में हिंदी थोपी नहीं जा सकती.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए फिर एक बार दोहराया कि महाराष्ट्र में हिन्दी अनिवार्य नहीं मराठी अनिवार्य है और हिन्दी वैकल्पिक है.

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मैं उद्धव ठाकरे से बस इतना ही कहना चाहता हूं कि मराठी भाषा में व्यंग्य से बेहतर मुहावरे हैं. बेहतर होगा कि वे उन मुहावरों का इस्तेमाल करें. मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि हिन्दी अनिवार्य नहीं है, लेकिन मराठी अनिवार्य है. हिंदी 'वैकल्पिक' है.

हिन्दी को लेकर उठे विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी किसी भाषा के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी भाषाओं की मित्र है. अमित शाह ने कहा कि देश का प्रशासन अपनी भाषाओं में हो , ये बहुत ज़रूरी है. किसी भी भाषा का विरोध नहीं हूं , किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं, लेकिन अपनी भाषा का महिमामंडन होना चाहिए. भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं होता है , एक देश की पहचान होती है. हिन्दी किसी भी भाषा का विरोध नहीं करती , बल्कि सभी राजभाषाओं की सखी है.

तीन भाषा सूत्र को लेकर महाराष्ट्र में घमासान मचा हुआ है, एक तरफ सरकार संबंधित लोगों से चर्चा कर रही है, वहीं दूसरी ओर दोनों ठाकरे भाइयों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.दोनों ने राजनीतिक मतभेद बुलाकर लोगों को एक साथ आने का आह्वान किया है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार पर इसका कितना दबाव पड़ता है. 

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