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अमेरिका से PM मोदी को भारत के लिए मिला खास 'तोहफा', सिंगापुर हुआ खुश, लेकिन चीन को क्यों मची चिढ़?

भारत को अमेरिकी सहयोग से अपना पहला राष्ट्रीय सुरक्षा `सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट` मिलने जा रहा है. यह न सिर्फ भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला `मल्टी-मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट` होगा. यह प्लांट ऐसे समय में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जब पूरी दुनिया सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही है.

अमेरिका से PM मोदी को भारत के लिए मिला खास 'तोहफा', सिंगापुर हुआ खुश, लेकिन चीन को क्यों मची चिढ़?
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका में हैं. यह उनका 9वां अमेरिका दौरा है. अमेरिका दौरे के पहले दिन 21 सितंबर को पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के साथ द्विपक्षीय बैठक की. फिर QUAD समिट में शामिल हुए. अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात में भारत और अमेरिका के बीच 2 अहम समझौते हुए. भारत ने अमेरिका में एक ऐसी डील कर ली है, जो न्यूक्लियर डील (Nuclear Deal) से भी कहीं ज्यादा बड़ी है. 

दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर (Semiconductor Plant)से जुड़ा एक समझौता किया है. इसके तहत भारत में सेमीकंडक्टर का एक ऐसा प्लांट लगाया जाएगा, जिसके चिप देश की सुरक्षा के काम आएंगे. इसके अलावा अमेरिका ने भारत को 31 MQ-B ड्रोन देने की घोषणा की है. इनका इस्तेमाल सीमा पर निगरानी बढ़ाने के लिए होगा.

आइए जानते हैं पीएम मोदी अमेरिका दौरे से भारत के लिए क्या-क्या लेकर आए? सेमीकंडक्टर की ये डील क्यों अहम मानी जा रही है? इससे भारत को कौन-कौन से फायदे होंगे:- 

यानी वर्ल्ड ऑर्डर का नया AI (अमेरिका-इंडिया)
इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर आज जिस देश के पास जितनी बड़ी टेक्नोलॉजी होगी, जंग में वो उतना ज्यादा ताकतवर होगा. भारत और अमेरिका यानी वर्ल्ड ऑर्डर का नया AI अब इसी मोर्चे पर कुछ खास करने जा रहा है. अभी तक भारत में सेमीकंडक्टर का इंपोर्ट होता था, लेकिन अब इन्हें भारत में ही तैयार किया जाएगा.

PM मोदी ने बाइडेन से द्विपक्षीय मुलाकात के बाद कहा, "दुनिया के लिए AI का मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है. लेकिन, मैं मानता हूं AI का मतलब है अमेरिकन इंडियन. अमेरिका इंडिया स्पिरीट ही नई दुनिया का AI पावर है. यही AI स्पिरीट भारत अमेरिका रिश्तों को नई ऊंचाई दे रहा है."

सेमीकंडक्टर प्लांट से दोनों देशों की आर्मी को होगा फायदा
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस AI यानी भारत-अमेरिका रिश्ते की तारीफ की, वो एक नई ऊंचाई छूने जा रहा है. सेमीकंडक्टर प्लांट दोनों देशों के लिए आर्मी हार्डवेयर के साथ-साथ महत्वपूर्ण टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल के लिए चिप्स का प्रोडक्शन करेगा. भारत को अमेरिकी सहयोग से अपना पहला राष्ट्रीय सुरक्षा `सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट` मिलने जा रहा है. यह न सिर्फ भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला `मल्टी-मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट` होगा. यह प्लांट ऐसे समय में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जब पूरी दुनिया सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही है.

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2025 में शुरू होगा प्लांट, नाम रखा जाएगा 'शक्ति'
भारत में ये सेमी कंडक्टर प्लांट 2025 में स्थापित किया जाएगा. इसका नाम अभी से सोच लिया गया है. सेमीकंडक्टर प्लांट का नाम 'शक्ति' रखा जाएगा.

सेमीकंडक्टर प्लांट में क्या होगा खास?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई बैठक के बाद ज्वॉइंट स्टेटमेंट में दोनों नेताओं ने सेमी कंडक्टर फैसिलिटी पहल की सराहना की:- 

-इस सेमीकंडक्टर प्लांट में मॉर्डन इन्फ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर का निर्माण किया जाएगा.
-यह प्लांट देश की सुरक्षा के लिए अहम एडवांस सेंसिंग, कम्युनिकेशन और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर फोकस करेगा.
-इसके जरिए सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिकी सेना के लिए भी सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई की जाएगी.

कहां बनेगा यह प्लांट?
सेमीकंडक्टर प्लांट को नोएडा के पास जेवर में स्थापित किया जाएगा. यह दुनिया का पहला मल्टी चिप मिलिट्री फैब बन जाएगा. यानी ये प्लांट सिर्फ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों पर ही फोकस नहीं करेगा, बल्कि क्वाड देशों, इंडो-पैसिफिक और अफ्रीकी बाजारों को चिप का निर्यात करेगा.

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सेमीकंडक्टर हमारे लिए कितना जरूरी?
सवाल उठता है कि सेमीकंडक्टर हमारे जिंदगी से किस कदर जुड़ा हुआ है? आज हम 5G की स्‍पीड से जो मोबाइल चला पा रहे हैं, वो सेमीकंडक्टर की वजह से ही संभव हो पाया है. सेमीकंडक्टर की बदौलत ही कंप्यूटर तूफान की स्‍पीड से दौड़ते हैं. 

सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर, डायोड और इंटीग्रेटेड सर्किट जैसे इलेक्ट्रॉनिक घटकों का आधार होते हैं. इनका इस्तेमाल कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टेलीविजन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है. लेटेस्‍ट कारों में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल इंजन के कंट्रोल से लेकर ब्रेक सिस्टम और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में किया जाता है. 

2026 तक 80 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर की खपत 
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 2026 तक 80 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर की खपत होने लगेगी. 2030 तक ये आंकड़ा बढ़कर 110 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि इससे रोजगार के नए अवसर भी तेजी से पैदा होंगे. रोज़गार के अवसरों को बढ़ाना इस समय भारत की जरूरत है.

सेमीकंडक्टर को लेकर प्रधानमंत्री ने साल 2023 में उम्मीद जगाई. साल 2024 में सवा लाख करोड़ रुपये के 3 सेमीकंडक्टर प्लांट्स की आधारशिला रख दी गई. इतना ही नहीं 3 सितंबर को केंद्र ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके तहत गुजरात के साणंद में 3 हजार 300 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किया जाएगा. इससे रोजाना 63 लाख चिप का प्रोडक्शन होगा.

इको सिस्टम में भारत साबित होगा गेम चेंजर
जब कोरोना का कहर था, तब दुनिया में सेमीकंडक्टर की कमी के चलते इलेक्ट्रॉनिक आइटम्‍स की डिलीवरी भी प्रभावित हुई थी. दरअसल, ताइवान, साउथ कोरिया, चीन और जापान जैसे देश दुनिया में सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर बनाते हैं. कुछ देशों के बीच चल रहे युद्ध या संघर्ष के कारण कई सेमीकंडक्टर की किल्‍लत भी जारी है. चीन और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड वॉर की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित होती रही है. वहीं, रूस और यूक्रेन युद्ध ने भी सेमीकंडक्टर की सप्लाई पर असर डाला है. माना जा रहा है कि इस इको सिस्टम में भारत एक गेम चेंजर साबित हो सकता है.

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सेमीकंडक्टर डील से भारत को कौन-कौन से फायदे?
-इस समझौते से भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में टैंलेंट को और डेवलप करने में मदद मिलेगी. 
-इसके साथ ही सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रियल पार्क मैनेजमेंट से जुड़ी जानकारियां भी एक दूसरे से साझा की जाएंगी. -ध्यान देने की बात ये है कि स्किल्ड लेबर सिंगापुर के मुकाबले भारत में ज्यादा हैं, जिसका सिंगापुर को फायदा मिलेगा. 
-इतना ही नहीं, भारत को सेमीकंडर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करने में सिंगापुर की कंपनियों से मदद मिलेगी.  
-सिंगापुर पहले ही सेमीकंडक्टर की दुनिया में बड़ा प्लेयर माना जाता है. ऐसे में भारत का पहले सिंगापुर और अब अमेरिका के साथ हुआ करार आने वाले समय में गेम चेंजर साबित हो सकता है. 

भारत में सेमीकंडक्टर मिशन से चीन परेशान
असल में, चीन का सेमीकंडक्टर उत्पादन में दबदबा है. पूरी दुनिया में सेमीकंडक्टर की कुल बिक्री में चीन का हिस्सा एक तिहाई के करीब है. अमेरिका समेत दुनियाभर के बड़े देश सेमीकंडकटर के लिए चीन और ताइवान पर ही निर्भर हैं. एक सच्चाई ये भी है कि अगले 7 वर्षों में सेमीकंडक्टर का बाजार दोगुना हो जाएगा.

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ये भी माना जा रहा है कि भारत अगले कुछ वर्षों में दुनिया का 5वां सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर बनाने वाला देश बन  सकता है. जाहिर है सेमीकंडक्टर के ग्राहक कई देश चीन के विकल्प की तलाश में हैं. भारत ऐसे में बड़ा विकल्प बनकर उभरेगा. अमेरिका से पहले भारत और सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर को लेकर हुए समझौतों से भी भारत को खासा फायदा होने वाला है.

टेक कंपनियों के CEO के साथ राउंड टेबल
अमेरिका दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई प्रमुख टेक कंपनियों के CEO के साथ मुलाकात की. इस दौरान इन टेक कंपनियों के भारत के लिए संभावनाओं पर चर्चा हुई. इस राउंड टेबल मीटिंग में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर बायोटेक्नोलॉजी की दुनिया की कई प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं. इस दौरान एडोब के चीफ और CEO शांतनु नारायण, गूगल के CEO सुंदर पिचाई, IBM के CEO अरविंद कृष्णा, AMD की  चीफ और CEO लिसा सु, मॉडर्ना के चीफ नूबर अफयान मौजूद रहे. 

इस दौरान PM मोदी ने कहा, "हमने जो डेटा प्रोटेक्शन लॉ बनाया है, उससे आप जैसे साथियों को मदद मिलेगी. मैं डेटा पॉलिसी भी ला रहा हूं. गवर्नेंस में इसके समांतर पिलर खड़ा करना चाहता हूं. बदलती दुनिया में ये बेहद जरूरी है. हम इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं."


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