भारत ने तुर्की और सीरिया में 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत जो भूकंप पीडि़तों की मदद की, उसकी बेहद सराहना हो रही है. भारत की राहत और बचाव टीम वहां पूरे 10 दिन रही और इस दौरान कई जिंदगियों को बचाया. ये टीम भारत पहुंची तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनसे मुलाकात की. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने टीम के सदस्यों के अनुभवों को जाना और कहा कि हम 'वसुधैव कुटुम्बकम्' यानि पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं. ऐसे में परिवार के किसी भी सदस्य पर कोई संकट आए, तो भारत का धर्म और कर्तव्य है, उसकी मदद के लिए आगे बढ़ना.
पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन दोस्त मानवता के प्रति भारत के समपर्ण और संकट में फंसे देशों की मदद के लिए तत्काल खड़े होने के हमारे कमिटमेंट को भी दर्शाता है. 'ऑपरेशन दोस्त' से जुड़ी पूरी टीम ने अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन किया है. आप सभी पर देश को बहुत गर्व है. ऑपरेशन दोस्त से जुड़ी पूरी टीम, एनडीआरएफ हो, आर्मी हो, एयरफोर्स हो या हमारी दूसरी सेवाओं के साथी हों, सभी ने बहुत ही बेहतरीन काम किया. यहां तक कि हमारे बेजुबान दोस्तों 'डॉग स्वॉड' के सदस्यों ने भी अद्भुत क्षमताओं का प्रदर्शन किया.
इस दौरान सेना के एक अधिकारी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, "हम जब तुर्की में राहत बचाव कार्य में लगे हुए थे, तो एक युवा मेरे पास आया और उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर चूमा. फिर उसने कहा कि मैं अपने पिता समान मानता हूं और आप जो ये मदद कर रहे हैं, उसे आने वाली पीढ़ी याद रखेगी." एनडीआरएफ की टीम के एक सदस्य ने बताया कि हमने 80 घंटे बाद एक बच्ची को सुरक्षित मलबे के नीचे से निकाल, तो उसके चेहरे की खुशी देखने योग्य थी. एक अधिकारी ने कहा पीएम सर, जब हम वहां से लौट रहे थे, तो कई तुर्की के लोग रो रहे थे. ऐसे ही कई उदाहरण ऑपरेशन दोस्त की टीम ने प्रधानमंत्री मोदी से साझा किए.
I will always remember this interaction with those who took part in ‘Operation Dost.' pic.twitter.com/RYGDuEn6wW
— Narendra Modi (@narendramodi) February 21, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि हम 'वसुधैव कुटुम्बकम्' यानि पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं. ऐसे में परिवार के किसी भी सदस्य पर कोई संकट आए, तो भारत का धर्म और कर्तव्य है, उसकी मदद के लिए आगे बढ़ना. देश कोई भी हो, अगर बात मानवता की है, मानवीय संवेदना की है, तो भारत मानव हित को ही सर्वोपरि रखता है. तुर्की में भूकंप के बाद जिस प्रकार आपने पूरी निष्ठा से, वहां हर चुनौती का सामना करते हुए काम किया, वो वाकई प्रेरणादायक है. वहां पूरे 10 दिनों तक आपने जो काम किया, उस पर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित हुआ है. इस बार हमारी बेटियां गईं, पहली बार गईं और मेरे पास जितनी खबर है. इन बेटियों की मौजूदगी ने भी वहां के नारी जगत के अंदर एक विश्वास पैदा किया.
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