पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सोमनाथ में तीन नई परियोजनाओं का अनावरण किया. वर्चअल माध्यम से आयोजित हुए एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मैं लौह पुरुष सरदार पटेल के चरणों में भी नमन करता हूँ जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई. सरदार साहब, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे.' पीएम ने कहा किआज मुझे समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी और जीर्णोद्धार के बाद नए स्वरूप में जूना सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है.साथ ही आज पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ है.उन्होंने कहा, 'आज मैं, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी प्रणाम करता हूं जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया.प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है.' तालिबान के संकट के बीच पीएम मोदी ने कहा कि आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली शक्तियां कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन,उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता,
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प्रधानमंत्री ने जिन तीन परियोजनाओं का अनावरण किया, उनमें 49 करोड़ रुपये से निर्मित एक किलोमीटर लंबा ‘‘समुद्र दर्शन'' पैदल पथ, 75 लाख रुपये में निर्मित एक संग्रहालय और अहिल्याबाई होलकर मंदिर का नवीनीकरण शामिल है.भगवान शिव की महिमा पर प्रकाश डालते हुए पीएम ने कहा, 'ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं. इसलिए शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं. शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है. इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया. यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई. लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ.'
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उन्होंने कहा कि जो तोड़ने वाली शक्तियां है,जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वे किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन,उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती. हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की. इसलिए, जब मैं ‘भारत जोड़ो आंदोलन' की बात करता हूँ तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है. ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस अवसर पर मौजूद थे.
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