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This Article is From Sep 08, 2022

कर्तव्य पथ के रूप में आज नए इतिहास का सृजन हुआ है : सेंट्रल विस्टा के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया. उद्घाटन के साथ ही सालों पुराना राजपथ कर्तव्य पथ बन गया है. 

पीएम ने कहा, " सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे."

नई दिल्ली:

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन किया. उद्घाटन के साथ ही सालों पुराना राजपथ कर्तव्य पथ बन गया है. इसके साथ ही उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रतिमा का भी अनावरण किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना पर काम करने वाले सभी श्रमिकों को आमंत्रित करेंगे.   

इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सभी सभी देशवासी एक ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे हैं. गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. आजादी के अमृत महोत्सव में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है.

उन्होंने कहा, " आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं. आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है. गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं:"

पीएम मोदी ने कहा, " आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है. गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी. आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है. "

पीएम ने कहा, " सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे. उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि, पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. उनमें साहस था, स्वाभिमान था. उनके पास विचार थे, विजन था. उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं. अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता. लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया."

पीएम मोदी ने कहा, " अगर पथ ही राजपथ हो, तो यात्रा लोकमुखी कैसे होगी? राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे. राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी. आज इसका आर्किटेक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है." उन्होंने कहा, " आज के इस अवसर पर, मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है."

उन्होंने कहा, " कल से लेकर तीन दिनों तक नेताजी पर आधारित ड्रोन शो भी होगा. आइए सेल्फी लीजिए और #कर्तव्यपथ का इस्तेमाल कर उसे अपलोड करिए." बता दें कि ‘कर्तव्य पथ' राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का मार्ग है. इस सड़क के दोनों तरफ लॉन और हरियाली के साथ ही पैदल चलने वालों के लिए लाल ग्रेनाइट पत्थरों से बना पैदल पथ इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है.

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