
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को मिजोरम की पहली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे.
- यह ट्रेन सायरंग स्टेशन से दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन तक 43 घंटे 25 मिनट में यात्रा करेगी.
- ट्रेन सप्ताह में एक बार चलेगी और 21 स्टेशनों पर ठहराव के साथ मिजोरम और राष्ट्रीय राजधानी जोड़ेगी.
Railway News : PM मोदी शनिवार को मिजोरम की पहली राजधानी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे. यह ट्रेन आइजोल के सायरंग स्टेशन को दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से जोड़ेगी. इसकी साप्ताहिक सेवाएं 19 सितंबर से शुरू होंगी.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी और मिजोरम के बीच सीधा संपर्क प्रदान करने वाली यह ट्रेन 57.81 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति से 43 घंटे 25 मिनट में 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. ट्रेन का उद्घाटन दिवस कार्यक्रम इसकी नियमित सेवा से अलग है. ट्रेन कहां कहा रुकेगी, डिब्बों की संख्या और अन्य विवरण समान रहेंगे.

अनुमान है कि उद्घाटन के दिन 13 सितंबर को 20 डिब्बों वाली यह ट्रेन सुबह 10 बजे सायरंग स्टेशन से चलेगी और सोमवार सुबह साढ़े सात बजे आनंद विहार रेलवे स्टेशन पहुंचेगी. सायरंग स्टेशन मिजोरम की राजधानी आइजोल से 22 किलोमीटर दूर है.

ट्रेन संख्या 20597 के रूप में अधिसूचित इस ट्रेन की नियमित सेवाएं 19 सितंबर से शाम साढ़े चार बजे सायरंग से शुरू होंगी. ट्रेन 21 सितंबर को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर आनंद विहार पहुंचेगी. अपनी वापसी की यात्रा पर यह उसी दिन (21 सितंबर) शाम सात बजकर 50 मिनट पर आनंद विहार से ट्रेन संख्या 20598 के रूप में चलेगी और मंगलवार (23 सितंबर) को अपराह्न तीन बजकर 15 मिनट पर सैरांग पहुंचेगी.

यह ट्रेन सायरंग और आनंद विहार को छोड़कर 21 स्टेशनों पर रुकेगी. प्रमुख ठहरावों में गुवाहाटी, न्यू कूच बिहार, न्यू जलपाईगुड़ी, मालदा टाउन, भागलपुर, पटना, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन और कानपुर शामिल हैं.

बइरबी से गुवाहाटी तक एक डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि बइरबी से सायरंग तक नयी लाइन का अभी विद्युतीकरण होना बाकी है. गुवाहाटी में डीजल इंजन की जगह एक इलेक्ट्रिक इंजन लगाया जाएगा और यह ट्रेन को आनंद विहार तक खींचेगा.

इस पूरे रेलवे रूट के बीच 4 रेलवे स्टेशन बनाए गए हैं. इसी के साथ 48 टनल 150 से ज्यादा छोटे बड़े ब्रिज मौजूद हैं. दुर्गम पहाड़ों, घने जंगलों और भारी बारिश ने शुरुआती सर्वे को ही बेहद चैलेंजिंग बना दिया था. इतनी अवधि में कई बार सर्वे रिपोर्ट भी बदली गई. लेकिन कड़ी मेहनत और डेडीकेशन के बाद अब ये सफलता मिली है. इस पूरे रूट पर प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है घने जंगलों के बीच विशालकाय पहाड़ और बड़ी नदियां हैं दूर दूर तक आबादी नहीं है.

इसी के साथ इस रूट पर देश का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भी मौजूद है जिसकी ऊंचाई 114 मीटर है जो कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊंचा है. अभी तक असम के सिलचर से बैराबी तक ही लोग ट्रेन से सफर कर सकते थे. लेकिन अब बैराबी से मिजोरम की राजधानी आइजॉल को भी जोड़ कर एक बड़ा इतिहास लिखा गया है.

सिलचर से आइजॉल तक लगभग 150 किमी की दूरी के लिए एक व्यक्ति को बाय रोड 1000 रुपए तक चुकाने पड़ते थे. लेकिन अब ट्रेन के द्वारा 80 रुपए से भी कम में सफर कर सकेंगे. इस ट्रेन के चलने से यहां कनेक्टिविटी बढ़ेगी तो व्यापार बढ़ेगा रोजगार बढ़ेगा टूरिस्ट भी आकर्षित होंगे जिससे मिजोरम के विकास को पंख लगेंगे.
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