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भारत पूरा समर्थन करेगा... पीएम मोदी ने नेपाल की अंतरिम PM सुशीला कार्की से फोन कॉल पर की बात

पीएम मोदी ने नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के साथ इस फोन कॉल पर नेपाल के Gen Z आंदोलन के दौरान हुए जानमाल की हानी पर अपनी संवेदना व्यक्त की.

भारत पूरा समर्थन करेगा... पीएम मोदी ने नेपाल की अंतरिम PM सुशीला कार्की से फोन कॉल पर की बात
  • भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से फोन पर बातचीत की
  • प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल में Gen Z आंदोलन के दौरान हुई जानमाल की हानि पर अपनी संवेदना व्यक्त की
  • पीएम मोदी ने नेपाल में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए भारत के दृढ़ समर्थन को दोहराया
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से फोन कॉल पर बात की है. पीएम मोदी ने खुद इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने इस फोन कॉल पर नेपाल के Gen Z आंदोलन के दौरान हुए जानमाल की हानी पर अपनी संवेदना व्यक्त की.

पीएम मोदी ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, "नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधान मंत्री श्रीमती सुशीला कार्की से आत्मीय बातचीत हुई. हाल ही में जानमाल की दुखद हानि पर दिल से संवेदना व्यक्त की और शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयासों के लिए भारत के दृढ़ समर्थन को दोहराया. साथ ही, मैंने उन्हें और नेपाल के लोगों को कल (19 सितंबर) उनके राष्ट्रीय दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं दीं."

गौरतलब है कि नेपाल में 2015 में नए संविधान की घोषणा के उपलक्ष्य में नेपाली कैलेंडर के अनुसार अहोज 3 (इस साल 19 सितंबर को है) को संविधान दिवस के रूप में मना रहा है.

नेपाल में दशकों में देखी गई सबसे हिंसक आंदोलन के बाद पिछले पीएम केपी ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके तीन दिन बाद सुशीला कार्की शुक्रवार, 12 सितंबर को अंतरिम सरकार की मुखिया (अंतरिम प्रधान मंत्री) बनीं. नेपाल के राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले युवा प्रदर्शनकारियों (Gen Z) के बीच एक बैठक के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था.

सोशल मीडिया पर सरकारी बैन के खिलाफ शुरू हुआ छात्रों के नेतृत्व वाला "Gen Z" विरोध प्रदर्शन एक बड़े आंदोलन में बदल गया. ओली सरकार पर भ्रष्टाचार और आम लोगों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया गया. भले ही सरकार ने 8 सितंबर की रात को सोशल मीडिया पर से बैन हटा दिया था, लेकिन एक दिन बाद विरोध प्रदर्शन की तीव्रता बढ़ गई. आंदोलन का ध्यान भ्रष्टाचार और राजनीतिक वर्ग की आलिशान जीवन शैली पर केंद्रित हो गया. राष्ट्रपति पौडेल को लिखे अपने त्याग पत्र (रेजिग्नेशन लेटर) में, केपी ओली ने नेपाल के सामने मौजूद "असाधारण परिस्थितियों" का हवाला दिया और कहा कि वह वर्तमान स्थिति के "संवैधानिक और राजनीतिक" समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के लिए पद छोड़ रहे हैं.

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