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वंदे मातरम, बंकिम और बंगाल... संसद में PM मोदी के भाषण का समझिए सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में चाहे कांग्रेस पर निशाना साधा हो, लेकिन उनका संदेश पश्चिम बंगाल की जनता के लिए भी था. उन्होंने बंगाली अस्मिता पर जोर देकर स्वतंत्रता आंदोलन में राज्य के भद्र लोक के अहम योगदान की याद भी दिला दी. वहीं मुस्लिम तुष्टीकरण और विभाजन की बात कर परोक्ष रूप से राज्य के हिंदू वोटरों को भी संदेश देने की कोशिश की है.

वंदे मातरम, बंकिम और बंगाल... संसद में PM मोदी के भाषण का समझिए सार
  • लोकसभा में वंदे मातरम के 150वें वर्ष पर चर्चा में पश्चिम बंगाल चुनाव से जुड़े कई राजनीतिक संकेत सामने आए हैं
  • प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाली अस्मिता और स्वतंत्रता संग्राम में राज्य के भद्र लोक के योगदान को संसद में याद किया
  • मोदी ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग द्वारा वंदे मातरम के खंडित उपयोग और विरोध को भी लोकसभा में उजागर किया
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लोक सभा में आज वंदे मातरम के 150वें वर्ष पर चर्चा में ऐसी कई बातें सामने आई हैं, जो इसका पश्चिम बंगाल चुनाव से कनेक्शन जोड़ता है. संयोग यह है कि इस चर्चा से ठीक एक दिन पहले रविवार को कोलकाता में लाखों लोगों ने श्रीमद्भभगवदगीता का सामूहिक पाठ किया था. यह एक तरह से राज्य में हिंदू जागरण के प्रयास के रूप में देखा गया. यह चर्चा ऐसे समय भी हो रही जब तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर राज्य में बाबरी मस्जिद बनाने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं.

उधर, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में चाहे कांग्रेस पर निशाना साधा हो, लेकिन उनका संदेश पश्चिम बंगाल की जनता के लिए भी था. उन्होंने बंगाली अस्मिता पर जोर देकर स्वतंत्रता आंदोलन में राज्य के भद्र लोक के अहम योगदान की याद भी दिला दी. वहीं मुस्लिम तुष्टीकरण और विभाजन की बात कर परोक्ष रूप से राज्य के हिंदू वोटरों को भी संदेश देने की कोशिश की है.

पीएम मोदी ने बंकिम चंद्र चटर्जी के योगदान और वंदे मातरम की रचना के तात्कालिक कारणों और घटनाओं का उल्लेख किया. इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के हवाले से पीएम मोदी ने कहा कि "सुभाष चंद्र बोस को लिखी चिट्ठी में नेहरु जी ने कहा था कि वंदे मातरम की आनंद मठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को इरीटेट कर रही है." पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम का विरोध किया था. पीएम ने आगे कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए और मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए. वहीं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का कहना है कि "वंदे मातरम गीत तो कांग्रेस के स्वतंत्रता सेनानी गाते थे और आरएसएस के नेताओं ने एक बार भी वंदे मातरम नहीं गाया. यहां तक कि मोहम्मद अली जिन्ना के समर्थन से जो सरकार बनी थी उसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंत्री थे."

दरअसल, पीएम मोदी संपूर्ण वंदे मातरम के पाठ के स्थान पर केवल शुरू के दो पद्यांश के गायन की बात कर रहे हैं. पिछले महीने वंदे मातरम के 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने वंदे मातरम को खंडित कर दिया, क्योंकि मुस्लिम लीग के विरोध के बाद केवल दो स्टैंजा को ही राष्ट्र गीत के रूप में सम्मान मिला. आज प्रधानमंत्री मोदी ने बाद के पद्यांशों के कुछ हिस्से लोक सभा में सुनाए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाली अस्मिता का जिक्र किया. उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पश्चिम बंगाल की मेधा पूरे देश को रास्ता दिखाया करती थी. यह राज्य के भद्र लोक को बड़ा संदेश है जिनका समर्थन लेने के लिए बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है. गौरतलब है कि उत्तरी बंगाल में चुनावी सफलता प्राप्त करने वाली बीजेपी कोलकाता और उसके आसपास अपनी ताकत बढ़ाने के लिए संघर्ष करती दिखती है. बीजेपी यह भी कहती है कि वह एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है, जिसकी स्थापना एक बंगाली ने की थी. दरअसल, भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी. 1980 में भारतीय जनसंघ ही भारतीय जनता पार्टी बना.

हालांकि राष्ट्र गीत के 150वें वर्ष को लेकर पक्ष-विपक्ष में राय भिन्नता का कोई स्थान नहीं. यह एक पवित्र अवसर है. वहीं, इसमें राजनीति भी नहीं देखी जानी चाहिए लेकिन इस चर्चा में छिपे संदेशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए लगातार जोर लगा रही है. राज्य की करीब 140 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी ने कभी न कभी बढ़त हासिल की है. राज्य में करीब 27% मुस्लिम हैं. करीब 30-40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटों का प्रभाव है. एक आकलन के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस को इन सीटों पर परंपरागत रूप से बढ़त मिलती आ रही है. वहीं, बीजेपी की नजरें उन दो सौ सीटों पर हैं जहां जवाबी ध्रुवीकरण होने की संभावना रहती है.

शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले टीएमसी ने इस बात पर विरोध जताया था कि संसद भवन में वंदे मातरम और जय हिन्द के नारे लगाने से क्यों रोका जा रहा है. उसका विरोध इस बात पर था कि पार्लियामेंट बुलेटिन में सांसदों को कहा गया था कि सदन में नारे न लगाएं. लेकिन वंदे मातरम पर ही दस घंटे की चर्चा के बाद यह मुद्दा खत्म हो गया. अब सवाल यह है कि संसद में वंदे मातरम की इस चर्चा की गूंज क्या पश्चिम बंगाल तक भी पहुंचेगी?

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