- 2017 की एक्ट्रेस किडनैप-रेप केस में दिलीप को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
- पल्सर सुनी समेत छह लोगों को दोषी करार दिया गया है और अब 12 दिसंबर को उन्हें सजा सुनाई जाएगी.
- चलती कार में हमला, यौन शोषण से जुड़ा यह हाई-प्रोफाइल केस आठ साल तक मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में चर्चा में रहा.
केरल की एक अदालत ने एक जानी मानी अभिनेत्री के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में मलयालम एक्टर दिलीप को सोमवार को बरी कर दिया. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्री का फरवरी 2017 में कोच्चि में अपहरण और यौन शोषण हुआ. अदालत ने इस मामले में दिलीप के अलावा तीन अन्य लोगों को भी बरी किया. एर्नाकुलम की प्रधान सत्र न्यायाधीश हनी एम. वर्गीस ने सुनाया जिससे आठ साल से चली आ रही लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है. 25 नवंबर को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली गई थी और छह लोगों को दोषी ठहराया है. इस मामले में एक्टर दिलीप भी अभियुक्त थे. उन पर इस मामले में साजिश रचने का आरोप था. पर जिन्हें बरी कर दिया गया है. दोषियों को सजा 12 दिसंबर को सुनाई जाएगी.
क्या है मामला- चलती कार में अपहरण, हमला और वीडियो रिकॉर्डिंग?
17 फरवरी 2017 की रात अभिनेत्री कोच्ची में एक फ़िल्म की डबिंग निपटाकर त्रिचूर लौट रही थीं. अभिनेत्री ने तब बताया था कि जब वो त्रिचूर से कोच्ची लौट रही थीं तभी उनकी ऑडी गाड़ी एक वैन से टकरा गई. उनका ड्राइवर मार्टिन वैन में सवार लोगों से बात करने के लिए नीचे उतरा, तभी सुनील और अन्य लोग ऑडी में घुसे और मार्टिन को गाड़ी चलाने पर मजबूर किया. गाड़ी करीब दो घंटे तक शहर में चलती रही और उस दौरान अभिनेत्री के साथ यौन शोषण किया. मुख्य आरोपी पल्सर सुनी ने उनका यौन शोषण किया और ब्लैकमेल करने के लिए मोबाइल पर वीडियो बनाया. सुनी ने कहा कि वह एक 'कॉन्ट्रैक्ट' पूरा कर रहा है. बाद में उन्हें एक फिल्म निर्देशक के घर के पास छोड़ दिया.
24 घंटे के अंदर ड्राइवर गिरफ्तार
अभिनेत्री ने उसी रात पुलिस में शिकायत की. अगले दिन 24 घंटे के अंदर ड्राइवर मार्टिन एंटनी गिरफ्तार हुआ, फिर सुनी ने सरेंडर किया. जांच में पता चला कि यह अभिनेत्री से दुश्मनी से कारण किया गया था. इन लोगों पर जो आरोप लगाए गए हैं वो दिल्ली के निर्भया बलात्कार कांड के बाद बलात्कार से जुड़े बदले हुए नए कानून के तहत यौन शोषण के दायरे में आते हैं. अभियुक्तों पर आईपीसी की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 340 (गलत तरीके से रोकना या कैद करना) 366 (अपहरण), 376D (गैंग रेप) और आईटी एक्ट के तहत चार्ज लगाए गए.

मामले में अभिनेता दिलीप का नाम आया
इसी दौरान अभिनेता दिलीप का नाम सामने आया. दिलीप पर आरोप लगा कि उन्होंने सुनी को हायर किया क्योंकि अभिनेत्री ने उनका एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर उजागर किया था. सुनी का दिलीप को पत्र मिला जिसमें पैसे की मांग थी. दिलीप को 10 जुलाई 2017 को गिरफ्तार किया गया. पर उन्हें अक्टूबर में जमानत मिल गई. यह घटना न सिर्फ डरावनी थी, बल्कि हैरान करने वाली भी थी, क्योंकि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री आम तौर पर कलाकारों के बीच दोस्ताना रिश्तों के लिए जानी जाती है.
थोड़े ही समय में यह मामला बड़ा हो गया और इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा मोड़ बन गया. दिलीप मलयालम सिनेमा के जाने माने अभिनेताओं में से एक हैं. उन्होंने पीड़ित अभिनेत्री के प्रति इस घटना के तुरंत बाद सहानुभूति भी जताई थी. पर बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिए गया. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने इस हमले की साजिश रची और हमलावरों के साथ मिलकर इसे अंजाम दिलवाया. इस आरोप ने फिल्म इंडस्ट्री और जनता दोनों को झकझोर दिया. जेंडर, ताकत और जवाबदेही पर एक बड़ी बहस शुरू हो गई.
कोर्ट को दिलीप का पल्सर सुनी से संबंध नहीं मिला
ट्रायल 30 जनवरी 2020 से जज हनी एम वर्गीसे के कोर्ट में चला. अभियोजन और जज के बीच खींचतान रही. दो स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर बदले. कई गवाह मुकर गए. 2021 में निर्देशक बालचंद्रकुमार ने दावा किया कि दिलीप के पास वीडियो था. मेमोरी कार्ड से छेड़छाड़ का मामला भी आया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. 261 गवाहों और 834 दस्तावेजों के बाद फरवरी 2025 में आखिरी बहस हुई.

अभियुक्तों पर गैंगरेप, साजिश रचने, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने, गलत तरीके से कैद करने, आपराधिक बल का इस्तेमाल करने, सबूत नष्ट करने, अश्लील तस्वीरें लेने और शेयर का आरोप था. कोर्ट ने इस मामले में पल्सर सुनी (आरोपी नंबर एक), मार्टिन एंटनी, बी मणिकंदन, वीपी विजीश, वादिवल सलीम और प्रदीप को दोषी ठहराया पर दिलीप को बरी कर दिया. स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर वी अजयकुमार के मुताबिक कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त पल्सर सुनी और दिलीप के बीच के बीच संबंध को सही नहीं पाया.
कोर्ट से बरी किए जाने के बाद एक्टर दिलीप ने कहा, "असली साजिश मुझे इस मामले में अभियुक्त बनाने और मेरे करियर को खत्म करने की थी."
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर असर
यह घटना केरल में महिला सुरक्षा, मलयालम फिल्म उद्योग में विभिन्न स्तरों की संरचना और जेंडर असमानता को लेकर व्यापक बहस की वजह बनी. इस केस ने मलयालम सिनेमा को झकझोर दिया. इसने मलयालम सिनेमा में लंबे समय से छिपी महिलाओं के प्रति भेदभाव और यौन हिंसा की समस्याओं को उजागर कर दिया. महिलाओं ने शोषण की कहानियां साझा कीं. 2017 में विमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) बनी. 2019 में जस्टिस हेमा कमेटी गठित हुई, जिसकी रिपोर्ट 2024 में आई. रिपोर्ट में 300 लोगों के बयान थे, जो मलयालम सिनेमा जगत में महिलाओं की हरासमेंट के बयान थे. इससे मलयालम फिल्म जगत में सुधार की मांग बढ़ी.
लगभग नौ साल की जांच, अदालत में सुनवाई और भारी सार्वजनिक ध्यान के बाद, यह मामला अपने अंतिम पड़ाव पर है. अब एर्नाकुलम जिला एवं सत्र अदालत 12 दिसंबर को दोषियों को सजा सुनाएगी. यह केरल के सबसे चर्चित आपराधिक मामलों में से एक का महत्वपूर्ण अध्याय होगा.
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