- PM मोदी ने कहा कि नेहरू ने मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् पर समझौता कर लिया
- प्रियंका गांधी ने लोकसभा में कहा कि वंदे मातरम् पर बहस की जरूरत नहीं क्योंकि यह देश की भावना का प्रतीक है
- अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम् कोई राजनीति का विषय नहीं है और BJP इसे एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रही है
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हमें बताएं।वंदे मातरम पर आज संसद में चर्चा हुई. लोकसभा में पीएम मोदी ने दावा किया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए गए और एक दिन पार्टी को भारत के बंटवारे के लिए भी झुकना पड़ा. मोदी ने सदन में ‘‘राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर चर्चा'' की शुरुआत करते हुए 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल का हवाला दिया और कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था.
पीएम मोदी, अखिलेश, प्रियंका के भाषण की खास बातें
- पीएम ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘जब आजादी को कुचलने की कोशिश हुई, संविधान की पीठ पर छुरा घोंप दिया गया और देश पर आपातकाल थोप दिया गया, तब इसी वंदे मातरम ने देश को खड़ा किया.'' प्रधानमंत्री ने कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 1875 में लिखित वंदे मातरम् जब देश की ऊर्जा और प्रेरणा का मंत्र बन रहा था और स्वतंत्रता संग्राम का नारा बन गया था, तब मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति और मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में कांग्रेस झुक गई.

- प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘तब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा. नेहरू जी मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों पर करारा जवाब देते, मुस्लिम लीग के बयानों की निंदा करते, वंदे मातरम के प्रति खुद की और कांग्रेस पार्टी की निष्ठा को प्रकट करते, उसके बजाय उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी.'' प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन्ना के विरोध के पांच दिन बाद ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखा और उसमें जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए कहा ‘‘वंदे मातरम की आनंद मठ की पृष्ठभूमि मुसलमानों को इरिटेट (क्षुब्ध) कर सकती है.'' इसके बाद कांग्रेस ने वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा की घोषणा की जिससे पूरा देश हैरान था.

- मोदी ने कहा, ‘‘देशभक्तों ने इस प्रस्ताव के विरोध में देश के कोने कोने में प्रभात फेरियां निकालीं, वंदे मातरम् गीत गाया, लेकिन देश का दुर्भाग्य कि 26 अक्टूबर (1937) को कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता कर लिया. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए और मुस्लिम लीग के दबाव में यह किया. यह कांग्रेस का तुष्टीकरण की राजनीति को साधने का एक तरीका था. नेहरू ने पत्र में लिखा, ‘‘मैंने वंदे मातरम गीत की पृष्ठभूमि पढ़ी है. मुझे लगता है कि जो पृष्ठभूमि है, इससे मुस्लिम भड़केंगे.''

- पीएम मोदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे पर झुकी, इसलिए उसे एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा. दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां आज वैसी की वैसी ही हैं और आज आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) चलते-चलते एमएमसी हो गया है.'' प्रधानमंत्री ने गत 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव में राजग की जीत के बाद अपने भाषण में कांग्रेस के लिए एमएमसी (मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस) शब्द का इस्तेमाल किया था.

- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि राष्ट्रीय गीत पर चर्चा की जरूरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह देश के कण-कण में बसा है तथा देश की भावना से जुड़ा है. केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य ने यह दावा भी किया कि सत्तापक्ष ने वंदे मातरम् पर चर्चा करवाई ताकि ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके. प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘हमारा राष्ट्र गीत उस भावना का प्रतीक है, जिसने गुलामी में सोए हुए भारत को जगाया.''

- प्रियंका ने कहा, ‘‘हम अपने सदन में राष्ट्र गीत पर चर्चा कर रहे हैं. हम इस पर बहस क्यों कर रहे हैं? यह बहस हम दो वजहों से कर रहे हैं. पहला कारण यह है कि पश्चिम बंगाल चुनाव आ रहा है और प्रधानमंत्री इसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं. दूसरा कारण है कि देश की आजादी लड़ाई लड़ने वाले और कुर्बानियां देने वालों के खिलाफ नए आरोप लगाए जाएं. सरकार ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है.''

- प्रियंका गांधी ने दावा किया कि यह सरकार वर्तमान और भविष्य की ओर नहीं देखना चाहती. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का आत्मविश्वास घटने लगा है तथा उनकी नीतियां देश को कमजोर कर रही हैं. इनके अपने लोग दबी जुबान में कहने लगे हैं कि सारी सत्ता को केंद्रित करने से देश को नुकसान हो रहा है.''

- लोकसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "वंदे मातरम के 150 वर्ष के होने के उपलक्ष्य में हम राष्ट्रीय गीत को सदन में याद कर रहे हैं. हमें इस बात का गर्व है. मगर बीजेपी बहुत कुछ अपनाना चाहती है..''

- अखिलेश यादव ने कहा, "जब हम इस खास मौके पर वंदे मातरम को याद कर रहे हैं, तो सत्ता पक्ष की भारतीय जनता पार्टी में हमें समय-समय पर देखने को मिलता है कि जो महापुरुष उनके नहीं हैं, उन्हें वे अपनाना चाहते हैं. उनकी पार्टी का जिस समय गठन हो रहा था, उस समय उनके अध्यक्ष को जो पहला भाषण देना था, उस पर भी बहस चल रही थी. बहस इस बात की थी कि उनकी पार्टी सेक्युलर रास्तों पर जाएगी या नहीं. तमाम विरोध के बाद जब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे, तो उन्होंने भाषण में समाजवादी आंदोलन, समाजवादी और सेक्युलर विचारधारा अपनाई."

- सपा सुप्रीमो ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वंदे मातरम् कोई दिखावा, या राजनीति का विषय नहीं है, लेकिन ‘‘ऐसा लगता है कि वंदे मातरम् इन्हीं (सत्तापक्ष) का बनवाया हुआ है.'' उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘जिन्होंने आजादी के आंदोलन में भाग ही नहीं लिया, वे वंदे मातरम् का महत्व क्या जानेंगे?''
- लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि इसने पूरे देश को आजादी की लड़ाई के लिए जगाया और ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी. यह सिर्फ बंगाल के स्वदेशी आंदोलन या किसी चुनाव तक सीमित नहीं है.उन्होंने याद दिलाया कि राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए उस समय 'वंदे मातरम समिति' भी बनाई गई थी. सन 1906 में जब भारत का पहला राष्ट्रीय झंडा तैयार किया गया, उसके बीच में 'वंदे मातरम' लिखा हुआ था. उस समय 'वंदे मातरम' नाम से एक अखबार भी निकलता था.
- राजनाथ सिंह ने कहा कि 'वंदे मातरम' के साथ उतना न्याय नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था. जन-गण-मन राष्ट्रीय भावना में पूरी तरह समा गया, किंतु 'वंदे मातरम' को जान-बूझकर दबाया गया. सदन के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम' के साथ इतिहास ने बड़ा छल किया है. इस अन्याय की बात हर भारतीय को जाननी चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन सारी कोशिशों के बावजूद 'वंदे मातरम' का महत्व कभी कम नहीं हुआ. यह स्वयं में पूर्ण है, पर इसे अपूर्ण सिद्ध करने की बार-बार कोशिश की गई. इस अन्याय के बावजूद 'वंदे मातरम' आज भी करोड़ों भारतीयों के हृदय में जीवंत है. उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम' के साथ जो अन्याय हुआ, उसे जानना जरूरी है. देश की भावी पीढ़ी 'वंदे मातरम' के साथ अन्याय करने वालों की मंशा जान सके. आज हम 'वंदे मातरम' की गरिमा को फिर से स्थापित कर रहे हैं. राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत को बराबर का दर्जा देने की बात की गई थी. जन-गण-मन और वंदे मातरम भारत माता की दो आंखें हैं. वंदे मातरम राजनीतिक नहीं है.
- डीएमके सांसद ए राजा ने वंदे मातरम की विरासत और मतलब पर सवाल उठाया. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के सुभाष चंद्र बोस को लिखे एक लेटर का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रीय गीत के विरोध की जड़ें जितनी मानी जाती हैं, उससे कहीं ज्यादा ऐतिहासिक हैं. राष्ट्रगीत पर चर्चा के दौरान राजा ने कहा कि नेहरू ने बोस को लिखे अपने लेटर में कहा था कि वंदे मातरम के खिलाफ लोगों का गुस्सा कम्युनिस्ट लोगों ने बनाया था, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि लोगों के कुछ हिस्सों की शिकायतों में कुछ दम था. राजा ने तर्क दिया कि इन चिंताओं का, खासकर धार्मिक सोच वाले समुदायों के बीच, एक ऐतिहासिक संदर्भ था और इसे सिर्फ देश-विरोधी भावना कहकर खारिज नहीं किया जा सकता था.
- बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने सोमवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वंदे मातरम से ‘‘हमें एनर्जी'' मिलती है, वहीं विपक्षी दल को इससे ‘‘एलर्जी'' होती है. लोकसभा में, ‘‘राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर चर्चा'' में भाग लेते हुए ठाकुर ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने वंदे मातरम् के शताब्दी वर्ष पर आपातकाल लगाकर देश को अंधेरे में पहुंचाया. यह काम उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया और आज स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंदे मातरम् के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को देश के सामने रखा.''
- लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर वंदे मातरम् पर चर्चा को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोग जितनी भी कोशिश कर लें, पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान पर दाग नहीं लगा सकते. उन्होंने सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा, ‘‘भाजपा के राजनीतिक पूर्वजों का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा.''गोगोई ने दावा किया कि कांग्रेस ने सबसे पहले वंदे मातरम् का उद्घोष किया था. कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री के भाषण को गौर से सुना. उनके दो उद्देश्य थे. उनका पहला उद्देश्य यह बताने का प्रयास करने का था कि आपके (सत्तापक्ष) राजनीतिक पूर्वज अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे. उनका दूसरा उद्देश्य इस चर्चा को राजनीतिक रंग देने का था.''
- शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "मैं 'वंदे मातरम' पर चर्चा का स्वागत करती हूं. यह हमारे इतिहास का हिस्सा है, जो हमारी संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है. यह वह इतिहास है जिसमें सभी भारतीय देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए एकजुट हुए थे. इसलिए, आज की चर्चा देश के हित में होनी चाहिए, न कि राजनीतिक फायदे के लिए. सही तरीके से 'वंदे मातरम' के विषय पर संसद में चर्चा हो तो यह अच्छा होगा. हास्यास्पद यह है कि 'वंदे मातरम' पर चर्चा वे लोग करना चाह रहे हैं, जिन्होंने राज्यसभा में 'एंटी-नेशन' नोटिफिकेशन निकाला था. सांसदों पर पाबंदी लगाई गई कि वे 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' नारे नहीं लगा सकते. इससे स्पष्ट दिखता है कि सत्ता पक्ष की 'करनी और कथनी' में अंतर है."
- अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने वंदे मातरम की चर्चा के दौरान विवादित बयान देते हुए कहा कि हाल में 25 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी अयोध्या गए थे, प्रभु श्रीराम के मंदिर में पताका फहराने. हम नहीं समझ पाए हमें इग्नोर क्यों किया गया? हमें पास क्यों नहीं दिया गया? हमें उसमें शामिल होने का निमंत्रण क्यों नहीं दिया गया. यह मर्यादा पुरुषोत्तम के जो लोग हैं, यह अवधेश प्रसाद का अपमान नहीं है, यह बल्कि अयोध्या के प्रभु श्रीराम के लोगों का अपमान है.
- पीएम मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान इसके रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी को ‘बंकिम दा' कहा तो तृणमूल कांग्रेस की ओर से आपत्ति जताई गई, जिसके बाद मोदी ने राष्ट्रगीत के लेखक के नाम के साथ ‘बाबू' शब्द जोड़ा. लोकसभा में ‘राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा' की शुरुआत करते हुए जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसकी रचना के समय का उल्लेख कर रहे थे तो उन्होंने बंकिम चंद्र चटर्जी को ‘बंकिम दा' कहकर पुकारा. इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने प्रधानमंत्री से चटर्जी का जिक्र करते समय ‘बाबू' शब्द का इस्तेमाल करने को कहा. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ठीक है. मैं बंकिम बाबू कहूंगा. धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं.''
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