78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से देश के नाम अपने संबोधन में उन वीर योद्धाओं को भी याद किया जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से लंबी लड़ाई लड़ी. पीएम मोदी ने संबोधन में कहा कि इतिहास गवाह है 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले भी आजादी का जंग लड़ी जा रही थी. गुलामी के इतने लंबे कालखंड, जुल्मी शासक , अपरंपार यातनाएं, इसके बावजूद उस समय की जनसंख्या के हिसाब से 40 करोड़ देशवासियों ने वह जज्बा और सपना दिखाया. वे एक संकल्प लेकर चलते और जूझते रहे. हमें गर्व है कि हमारी रगों में उनका ही खून है. सिर्फ 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महसत्ता को उखाड़ कर फेंक दिया था.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि उन पूर्वजों का खून हमारी रगो में है. आज हम 140 करोड़ हैं. अगर 40 करोड़ आजादी लेकर के रह सकते हैं, तो 140 करोड़ देश के नागरिक अगर संकल्प लेकर चल पड़ पड़ते हैं, तो चुनौतियां कितनी भी कितनी भी न हों, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तब भी हर चुनौती को पार कर हम एक समृद्ध भारत बना सकते हैं. हम 2047 तक देश को एक विकसित भारत बना सकते हैं. देश की मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है, तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है.
उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं है, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है. देश के कोटि कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं. देशवासियों से सुझाव मांगे हैं. मुझे खुशी है कि करोड़ों ने नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए करोड़ों सुझाव दिए. हर देशवासी का संकल्प उसमें झलक रहा है. युवा, बुजुर्ग, गांव के लोग, किसान, आदिवासी, पहाड़ों, शहरों में रहने वाले लोग हों, हर किसीने 2047 के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं. इन सुझावों को देख मेरा मन प्रसन्न हो जाता है. पीएम मोदी ने कहा कि किसी ने बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाओं के बीच शासन प्रशासन में क्षमता निर्माण का सुझाव दिया तो बहुत सारे लोगों ने यह सपना भी देखा है कि अंतरिक्ष में भारत का ‘स्पेस स्टेशन' जल्द से जल्द बनना चाहिए।
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