
- PM मोदी ने हिमाचल प्रदेश की त्रासदी के बाद कांगड़ा एयरपोर्ट पर पीड़ितों से मुलाकात कर मदद का आश्वासन दिया.
- 11 महीने की निकिता के माता-पिता और दादी बादल फटने से हुए भूस्खलन में लापता हो गए, जबकि वह सुरक्षित बची है.
- त्रासदी की रात तेज बारिश के कारण परिवार ने घर को बचाने का प्रयास किया, लेकिन भूस्खलन ने उन्हें बहा दिया.
हिमाचल प्रदेश में हुई त्रासदी के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कांगड़ा एयरपोर्ट पहुंचे. यहां उन्होंने त्रासदी के पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया. प्रधानमंत्री ने सबसे पहले कृष्णा देवी से मुलाकात की, जिनके परिवार के कई सदस्य इस त्रासदी में मारे गए हैं. इसके बाद, वह निकिता से मिले, जो इस आपदा में अनाथ हो गई है. मोदी ने दोनों को सांत्वना दी और भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी हर ज़रूरत का ख्याल रखेगी.
त्रासदी की दर्दनाक कहानी: 11 महीने की निकिता
यह कहानी 11 महीने की बच्ची निकिता की है, जो हिमाचल की इस त्रासदी में अनाथ हो गई. सिराज घाटी के तलवाड़ा गांव में बादल फटने से हुए भूस्खलन में उसके माता-पिता और दादी लापता हो गए.

जिस रात यह हादसा हुआ, तेज बारिश हो रही थी. निकिता के पिता रमेश कुमार, मां राधा देवी, और दादी पूनम देवी ने देखा कि घर की ओर पानी आ रहा है. उन्होंने घर को बचाने के लिए पानी को मोड़ने का फैसला किया. उन्होंने निकिता को कमरे के अंदर सुलाकर, दरवाजा बंद कर दिया और बाहर चले गए. उन्हें लगा कि वे जल्दी ही लौट आएंगे.
लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि पीछे से बादल फट गया है. पानी के तेज बहाव और पत्थरों के साथ भूस्खलन हुआ, जिसने उन तीनों को बहा दिया. सुबह बचाव दल ने रमेश कुमार का शव बरामद किया, लेकिन निकिता की मां और दादी का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.
निकिता का भविष्य और परिवार का संकल्प
इस त्रासदी से बेखबर, 11 महीने की निकिता सुरक्षित बच गई, क्योंकि वह कमरे में सो रही थी. उसके सुरक्षित होने की खबर मिलने के बाद, अब कई लोग उसे गोद लेना चाहते हैं और मदद की पेशकश कर रहे हैं. एसडीएम और अन्य कई परिवार निकिता को गोद लेने के लिए संपर्क कर रहे हैं. लेकिन निकिता की बुआ और परिवार के अन्य सदस्य ने उसे किसी को भी गोद देने से मना कर दिया है. उन्होंने कहा कि वे उसकी देखभाल खुद करेंगे. परिवार का कहना है कि वे निकिता को आर्थिक मदद तो स्वीकार करेंगे, लेकिन उसे किसी को देंगे नहीं.
राज्य सरकार ने भी निकिता के नाम से बैंक खाता खोलने का फैसला किया है, ताकि जो भी आर्थिक मदद मिले, वह सीधे उसके भविष्य के लिए काम आए. यह एक दर्दनाक वाक़या है, लेकिन निकिता के परिवार का संकल्प यह दिखाता है कि इस मुश्किल घड़ी में भी इंसानियत और परिवार का साथ ज़िंदा है.
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