पारादीप (ओडिशा):
परियोजनाओं में होने वाली देरी और लागत में भारी वृद्धि की कड़ी आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए परियोजनाओं का खाका तैयार करने और उन्हें समय से पहले पूरा करने की एक नई कार्य संस्कृति की जरूरत है।
उन्होंने विपक्षी पार्टी कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि हाल के महीनों में जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, वह सब कांग्रेस के कार्यकाल में शुरू हुई थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वह खुश होते यदि ये परियोजनाएं 15 साल पूरी हो गई होतीं और इनसे रोजगार सृजन हुआ होता।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की 34,555 करोड़ रुपये की लागत से तैयार रिफाइनरी राष्ट्र को समर्पित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2022 तक तेल आयात पर निर्भरता को 10 प्रतिशत कम करने का है। इसके तहत ऐसा नीतिगत माहौल तैयार किया जाएगा, जिससे घरेलू उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही वाहन ईंधन में एथेनॉल जैसे जैव ईंधन का मिश्रण किया जाएगा।
उन्होंने कहा, यह काफी स्वाभाविक है कि मैं परियोजनाओं का उद्घाटन कर खुश हूं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री के रूप में मुझे यह खुशी नहीं होती है। मैं तब अधिक खुश होता जब ये परियोजनाएं 15 साल पहले पूरी हो गई होतीं और इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में परियोजनाओं को अदालती प्रक्रिया, निविदा प्रक्रिया और कुछेक बार आंदोलनों के रूप में अड़चनों का सामना करना पड़ता है, जिससे ये काफी महंगी हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए नागरिकों, अफसरों, उद्योग और नीति निर्माता सभी को ऐसी संस्कृति बनानी होगी, जहां परियोजनाएं समय पर शुरू हों, तय समय के हिसाब से आगे बढ़ें और तय समय में पूरी हो जाएं, ताकि देश को इसका लाभ मिले और यह लाभ तय समय से पहले मिले।
उन्होंने कहा कि सरकार यह बदलाव लाने का प्रयास कर रही है जिससे विलंब होने पर सरकारी खजाने का गंभीर नुकसान न हो। ये पहल भविष्य को ध्यान में रखकर होनी चाहिए और इन्हें तय समय से पहले पूरा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, विलंब नहीं होना चाहिए। पूर्व में यदि कोई विचार 50 साल पहले सामने आया तो उसे कागज पर लाने और खाका तैयार करने में 10 साल लग गए, इतने ही साल उसकी आधारशिला रखने के लिए लग गए और उसके बाद कई साल पश्चात परियोजना पूरी हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पारादीप रिफाइनरी से रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे, क्योंकि यह प्लास्टिक सहित कई उद्योगों के लिए कच्चा माल बनाएगी। इस रिफाइनरी की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में रखी थी।
उन्होंने विपक्षी पार्टी कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि हाल के महीनों में जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, वह सब कांग्रेस के कार्यकाल में शुरू हुई थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में वह खुश होते यदि ये परियोजनाएं 15 साल पूरी हो गई होतीं और इनसे रोजगार सृजन हुआ होता।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की 34,555 करोड़ रुपये की लागत से तैयार रिफाइनरी राष्ट्र को समर्पित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2022 तक तेल आयात पर निर्भरता को 10 प्रतिशत कम करने का है। इसके तहत ऐसा नीतिगत माहौल तैयार किया जाएगा, जिससे घरेलू उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही वाहन ईंधन में एथेनॉल जैसे जैव ईंधन का मिश्रण किया जाएगा।
उन्होंने कहा, यह काफी स्वाभाविक है कि मैं परियोजनाओं का उद्घाटन कर खुश हूं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री के रूप में मुझे यह खुशी नहीं होती है। मैं तब अधिक खुश होता जब ये परियोजनाएं 15 साल पहले पूरी हो गई होतीं और इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में परियोजनाओं को अदालती प्रक्रिया, निविदा प्रक्रिया और कुछेक बार आंदोलनों के रूप में अड़चनों का सामना करना पड़ता है, जिससे ये काफी महंगी हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए नागरिकों, अफसरों, उद्योग और नीति निर्माता सभी को ऐसी संस्कृति बनानी होगी, जहां परियोजनाएं समय पर शुरू हों, तय समय के हिसाब से आगे बढ़ें और तय समय में पूरी हो जाएं, ताकि देश को इसका लाभ मिले और यह लाभ तय समय से पहले मिले।
उन्होंने कहा कि सरकार यह बदलाव लाने का प्रयास कर रही है जिससे विलंब होने पर सरकारी खजाने का गंभीर नुकसान न हो। ये पहल भविष्य को ध्यान में रखकर होनी चाहिए और इन्हें तय समय से पहले पूरा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, विलंब नहीं होना चाहिए। पूर्व में यदि कोई विचार 50 साल पहले सामने आया तो उसे कागज पर लाने और खाका तैयार करने में 10 साल लग गए, इतने ही साल उसकी आधारशिला रखने के लिए लग गए और उसके बाद कई साल पश्चात परियोजना पूरी हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पारादीप रिफाइनरी से रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे, क्योंकि यह प्लास्टिक सहित कई उद्योगों के लिए कच्चा माल बनाएगी। इस रिफाइनरी की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2000 में रखी थी।
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