
प्रधानमंत्री ने पहली बार इस मामले में दख़ल देते हुए सोमवार को दिशा−निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रभावित राज्यों की केन्द्र हर संभव मदद करेगा।
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:
पिछले कुछ दिनों से यूपीए से नाराज़ कृषि मंत्री शरद पवार सोमवार को भी दफ्तर नहीं पहुंचे। ऐसे समय पर जब उनका मंत्रालय कमज़ोर मॉनसून की वजह से सूखे के हालात से निपटने के लिए इंतज़ामों में जुटा है पवार की गैर−मौजूदगी सवाल खड़े करती है। खास कर ऐसे समय पर जब कई राज्य सूखे की मार झेलने की जद्दोजहद में जुटे हैं और पंजाब और कई दूसरे प्रभावित राज्यों ने हज़ारों करोड़ का अंतरिम राहत पैकैज मांगना शुरू कर दिया है।
हालात इतने गंभीर हैं कि कमज़ोर मौनसून को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी चिंता बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री ने पहली बार इस मामले में दख़ल देते हुए सोमवार को दिशा−निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रभावित राज्यों की केन्द्र हर संभव मदद करेगा। पीएमओ के नोट में कहा गया है कि सरकार हालात से निपटने के लिए तैयार है प्रभावित इलाकों के लिए पूरे इंतज़ाम हैं और कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान पर नज़र रखना ज़रूरी है।
पीएमओ ने माना कि कमज़ोर मॉनसून का असर दिखना शुरू हो चुका है पिछले साल के मुकाबले इस साल बुआई का 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र घटा है हाल में चीनी दाल और सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और बीपीएल परिवारों को दाल पर दी जा रही सब्सिडी बढ़ाई जा सकती है।
खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कमज़ोर मॉनसून का असर दाल की पैदावार पर पड़ेगा। हम बीपीएल परिवारों को 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सब्सिडी देने पर विचार कर रहे हैं। यानी सूखे से निपटने की तैयारी बड़े स्तर पर करनी होगी।
ऐसे में शरद पवार का मंत्रालय से दूर रहना भारत सरकार की चिंता को बढ़ा रहा है। उम्मीद है कि पवार सियासी उठा−पटक से बाहर निकलकर इस ओर ध्यान देंगे क्योंकि कमज़ोर मौनसून का असर न सिर्फ महत्वपूर्ण फसलों की बुआई पर पड़ा है। बल्कि इसकी वजह से कुछ जलाशयों और नदियों में भी पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले इस बार कम है।
मौसम विभाग का दावा है कि मौनसून अगल कुछ दिनों में ज़ोर पकड़ सकता है। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत सरकार को प्रभावित इलाकों के लिए बड़े स्तर पर राहत योजना का इंतज़ाम करना होगा।
हालात इतने गंभीर हैं कि कमज़ोर मौनसून को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी चिंता बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री ने पहली बार इस मामले में दख़ल देते हुए सोमवार को दिशा−निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रभावित राज्यों की केन्द्र हर संभव मदद करेगा। पीएमओ के नोट में कहा गया है कि सरकार हालात से निपटने के लिए तैयार है प्रभावित इलाकों के लिए पूरे इंतज़ाम हैं और कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान पर नज़र रखना ज़रूरी है।
पीएमओ ने माना कि कमज़ोर मॉनसून का असर दिखना शुरू हो चुका है पिछले साल के मुकाबले इस साल बुआई का 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र घटा है हाल में चीनी दाल और सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और बीपीएल परिवारों को दाल पर दी जा रही सब्सिडी बढ़ाई जा सकती है।
खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कमज़ोर मॉनसून का असर दाल की पैदावार पर पड़ेगा। हम बीपीएल परिवारों को 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सब्सिडी देने पर विचार कर रहे हैं। यानी सूखे से निपटने की तैयारी बड़े स्तर पर करनी होगी।
ऐसे में शरद पवार का मंत्रालय से दूर रहना भारत सरकार की चिंता को बढ़ा रहा है। उम्मीद है कि पवार सियासी उठा−पटक से बाहर निकलकर इस ओर ध्यान देंगे क्योंकि कमज़ोर मौनसून का असर न सिर्फ महत्वपूर्ण फसलों की बुआई पर पड़ा है। बल्कि इसकी वजह से कुछ जलाशयों और नदियों में भी पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले इस बार कम है।
मौसम विभाग का दावा है कि मौनसून अगल कुछ दिनों में ज़ोर पकड़ सकता है। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत सरकार को प्रभावित इलाकों के लिए बड़े स्तर पर राहत योजना का इंतज़ाम करना होगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं