कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को आरोप लगाया कि तिरुवनंतपुरम में उनके खिलाफ सीपीआई के चुनाव अभियान का एकमात्र इफेक्ट 'भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करना' है.
एक्स पर एक पोस्ट में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, "ये विडंबना है कि वही @cpofindia जो वायनाड में @RahulGandhi की उम्मीदवारी के बारे में शिकायत करता है, तिरुवनंतपुरम में बीजेपी का खेल, खेल रहा है."
शशि थरूर ने पोस्ट में कहा, "तिरुवनंतपुरम में मेरे खिलाफ सीपीआई के अभियान का एकमात्र प्रभाव भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करना है और वे वायनाड में गठबंधन धर्म का प्रचार करते हैं!"
It's ironic that the same @cpofindia that complains about @RahulGandhi's candidature in Wayanad is playing the BJP's game in Thiruvananthapuram. The only effect of the CPI's campaign against me in Thiruvananthapuram is to divide the anti-BJP vote. And they preach alliance dharma…
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 19, 2024
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा कि ये वामपंथी ही है जो 'सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों से लड़ रहा है.'
उन्होंने कहा, "ये एक बेतुका बयान है. शशि थरूर जैसे शिक्षित व्यक्ति को केरल के इतिहास को ठीक से समझना चाहिए. ये वामपंथ है जो सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतों से लड़ रहा है, जबकि इतने सारे कांग्रेस नेता छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं."
पलटवार करते हुए सीपीआई नेता ने सवाल किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी केरल के वायनाड से क्यों चुनाव लड़ रहे हैं?
वहीं शशि थरूर ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में पिछले 15 सालों में उनका काम खुद बोलेगा.
थरूर ने कहा, "मैंने 15 सालों तक तिरुवनंतपुरम के लोगों की सेवा की है. वे मुझे जानते हैं और उन्होंने मेरी सेवा देखी है. ऐसा नहीं है कि मेरे ट्रैक रिकॉर्ड में शर्मिंदा होने के लिए कुछ भी है. मैं लगातार उपलब्ध रहा हूं और प्रमुख मुद्दे उठाता रहा हूं."
उन्होंने कहा, "यहां हमेशा त्रिकोणीय लड़ाई रही है, क्योंकि मैंने एलडीएफ से सीट जीती थी. उन्होंने मुझसे पहले दो बार इसे जीता था और फिर पिछले दो बार में, भाजपा यहां से दूसरे स्थान पर रही है. इसलिए हमें दोनों उम्मीदवारों को गंभीरता से लेना होगा. मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार भी मैं ही जीतूंगा.''
बीजेपी ने यहां से कांग्रेस सांसद थरूर के खिलाफ केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को मैदान में उतारा है.
केरल में 26 अप्रैल को एक ही चरण में चुनाव होंगे. केरल में 20 लोकसभा की सीटे हैं और भाजपा ने इस राज्य में कभी भी संसदीय सीट नहीं जीती है. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 353 सीटें जीती थीं, वहीं यूपीए 91 और अन्य ने 98 सीटें जीती थीं.
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