विज्ञापन
This Article is From Sep 28, 2022

'अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक' : केंद्र के बैन को कोर्ट में चुनौती देगी PFI की स्टूडेंट विंग

आतंकवाद रोधी कड़े कानून यूएपीए के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना के बाद संगठन के खिलाफ कई कार्रवाई की जाएंगी.

'अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक' : केंद्र के बैन को कोर्ट में चुनौती देगी PFI की स्टूडेंट विंग
नई दिल्ली:

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर कथित आतंकी गतिविधियों को लेकर प्रतिबंध को उसके छात्र विंग की ओर से कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. स्टूडेंट विंग ने इस विंग को "अलोकतांत्रिक" और "असंवैधानिक" करार दिया. 240 से अधिक सदस्यों की गिरफ्तारी और छामेपारी के बाद केंद्र ने मंगलवार को पीएफआई पर बैन लगा दिया था. आतंकवाद रोधी कड़े कानून यूएपीए के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना के बाद संगठन के खिलाफ कई कार्रवाई की जाएंगी, जिनमें इसकी संपत्तियों को जब्त करना, बैंक खातों पर रोक लगाना और इसकी सामान्य गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना शामिल है.

सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘संबंध' होने के कारण पीएफआई और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर कड़े आतंकवाद रोधी कानून के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है.

कथित आतंकी गतिविधियों को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र शाखा पर लगे प्रतिबंध को अदालत में चुनौती दी जाएगी. केंद्र ने कई छापेमारी और 240 से अधिक सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद कल पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का जमात-उल-मुजाहिदीन के साथ संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक "गैरकानूनी संघ" घोषित किया गया है.

प्रतिबंधित संगठन पर आपराधिक साजिश के तहत हवाला और दान के माध्यम से भारत और विदेश दोनों से धन जुटाने का आरोप लगाया गया है. गृह मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया है, "धन और बाहर से वैचारिक समर्थन के साथ, यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है."

मंत्रालय ने कहा कि पीएफआई "केरल में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना और अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं जैसी हिंसक कृत्यों में शामिल रहा है." बयान में कहा गया है, 'पीएफआई के सदस्यों ने लोगों के मन में आतंक का राज कायम करने के लिए अतीत में कई आपराधिक गतिविधियां और नृशंस हत्याएं की हैं.

गृह मंत्रालय ने कहा कि पीएफआई और उसके सहयोगी "देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक" गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं और उनमें सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता है. मंत्रालय ने कहा कि पीएफआई समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक गुप्त एजेंडा पर काम कर रहा है. संगठन देश के संवैधानिक अधिकार के प्रति सरासर अनादर दिखाता है.

पीएफआई के अलावा इससे जुड़े संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफ), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी रोक लगा दी गई है. पीएफआई की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने प्रतिबंध को 'अलोकतांत्रिक' और 'असंवैधानिक' करार देते हुए कहा कि वे इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे.

मंत्रालय ने कहा कि तीन राज्यों कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश ने संगठन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का फैसला केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच के दौरान जुटाए गए सबूतों के आधार पर लिया गया है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राज्य पुलिस द्वारा समन्वित कदम में 15 राज्यों में पीएफआई नेताओं और पदाधिकारियों पर पहली बार 22 सितंबर को छापेमारी की गई, जिसमें 100 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं. संगठन के खिलाफ दूसरे दौर की राष्ट्रव्यापी कार्रवाई कल की गई. अधिकारियों ने बताया कि अब तक 240 से अधिक गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com