
केरल में NIA की कार्रवाई के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने बंद का ऐलान किया था. कन्नूर के पयन्नूर में कुछ दुकानदारों ने इसका विरोध करते हुए अपनी दुकानें बंद करने से मना कर दिया. इसके बाद उनके और पीएफआई के लोगों के बीच झड़प हो गई. स्थानीय लोगों ने पीएफआई के कार्यकर्ताओं की पिटाई कर दी.
स्थानीय टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित फुटेज में एक हड़ताल समर्थक को स्थानीय लोगों द्वारा पीटते हुए देखा जा सकता है. प्रदर्शनकारी को पकड़कर लोग पुलिस के हवाले करते दिख रहे हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार घटना तब घटी जब पीएफआई कार्यकर्ताओं का समूह बाजार पहुंचा. उन्हें कुछ दुकानें खुली होने का पता चला था. दुकानें बंद कराने के पीएफआई कार्यकर्ताओं के प्रयासों को रोकने में दुकानदारों और स्थानीय लोगों के साथ अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी शामिल हो गए. इसके बाद यह प्रदर्शन देखते-देखते ही हिंसक झड़प में बदल गई.
इससे पहले 18 सितंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी. एजेंसी ने यह कार्रवाई तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में की थी. 11 राज्यों में एक साथ छापे मारे और देश में आतंकवाद के वित्त पोषण में कथित तौर पर शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.
वहीं, केरल उच्च न्यायालय ने इस्लामी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' (पीएफआई) द्वारा राज्यभर में शुक्रवार को की गई हड़ताल का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि यह इस तरह के प्रदर्शनों को लेकर 2019 में जारी उसके आदेश की प्रथम दृष्टया अवमानना प्रतीत होती है. न्यायमूर्ति ए. के. जयशंकरण नांबियार ने कहा कि उनके 2019 के आदेश के बावजूद पीएफआई ने बृहस्पतिवार को अचानक हड़ताल का आह्वान किया. यह एक अवैध' हड़ताल है.
अदालत ने कहा, ‘‘ इन लोगों द्वारा हमारे पूर्व के आदेश में दिए एक निर्देशों का पालन किए बिना हड़ताल का आह्वान करना प्रथम दृष्टया, उपरोक्त आदेश के संदर्भ में इस न्यायालय के निर्देशों की अवमानना के समान है.'' मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने हड़ताल के आह्वान का समर्थन नहीं करने वालों की सार्वजनिक व निजी संपत्ति को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाए जाने से रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने का पुलिस को निर्देश दिया है.
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