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This Article is From Nov 26, 2021

नोएडा में मुस्लिम बुजुर्ग पर हमला और हेट स्पीच के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

मामले में आरोपियों और यूपी पुलिस पर कार्यवाई की मांग की गई है. साथ ही निष्पक्ष जांच और ट्रायल की मांग की गई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मुआवजा भी मांगा है. 

नोएडा में मुस्लिम बुजुर्ग पर हमला और हेट स्पीच के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
मामले में निष्पक्ष जांच और ट्रायल की मांग की गई
नई दिल्ली:

नोएडा में मुस्लिम बुजुर्ग पर हमले और हेट स्पीच के मामले पर पीड़ित कजीम अहमद काजमी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है. मामले में आरोपियों और यूपी पुलिस पर कार्यवाही की मांग की गई है. साथ ही निष्पक्ष जांच और ट्रायल की मांग की गई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मुआवजा भी मांगा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पीड़ित को यूपी सरकार को याचिका की कॉपी देने को कहा है.  जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि CJI एनवी रमना की बेंच हेट स्पीच मामले की सुनवाई कर रही है.  इसलिए मामले को CJI के पास भेजा जाना चाहिए.

 याचिकाकर्ता का कहना है कि 4 जुलाई, 2021 की सुबह, वह अलीगढ़ के लिए बस पकड़ने के लिए सेक्टर 37, नोएडा गया था. जब वह बस का इंतजार कर रहा था, एक सफेद कार / वैन रुक गई और उसे अलीगढ़ की सवारी करने की पेशकश की. याचिकाकर्ता ने  चालक को किराए की पेशकश भी की. हालांकि, वैन के पास पहुंचने पर, उसने अचानक देखा कि अंदर तीन अन्य लोग थे. उन्होंने उसे पिछली सीट पर डाल दिया.

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 याचिकाकर्ता को अगले 15 मिनटों में जघन्य रूप से प्रताड़ित किया गया. उन पर हमला किया गया और बार-बार उनकी धार्मिक पहचान से संबंधित कई अन्य अपमानजनक शब्द कहे गए. उन्हें बताया गया कि इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें अपमानित किया गया था. उनकी दाढ़ी, अपराधियों द्वारा खींची गई थी. उन पर शारीरिक हमला किया गया. धमकी दी गई कि उन्हें एक पेचकस से अंधा कर दिया जाएगा. मारपीट के साथ गाली-गलौज भी की गई. 

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इसके बाद लगभग 15 मिनट तक इधर-उधर खदेड़ने के बाद, याचिकाकर्ता को कार से बाहर फेंक दिया गया. उनसे रुपये भी छीन लिए गए. होश में आने पर याचिकाकर्ता को एक अजनबी ने मदद की, जिसने उसे एक रिक्शा में बिठाया और याचिकाकर्ता सीधे नोएडा सेक्टर 37 थाने गए . लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की . याचिकाकर्ता ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का पहले का आदेश है और उसके तहत कार्यवाही की जानी चाहिए .  

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