पेमा खांडू ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली. इसी के साथ पेमा खांडू लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. शपथ ग्रहण समारोह में चौना मीन ने अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. पेमा खांडू को बुधवार के दिन ही एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया था. भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों- रविशंकर प्रसाद और तरूण चुग ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया था.
#WATCH पेमा खांडू ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। pic.twitter.com/nnL9FC2bJP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 13, 2024
#WATCH चौना मीन ने अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। pic.twitter.com/jubj1l4ga7
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शपथ समारोह में अमित शाह, जेपी नड्डा समेत मौजूद रहे कई नेता
मुक्तो विधानसभा क्षेत्र से विधायक खांडू को राज्यपाल के टी परनाइक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई अन्य नेताओं की मौजूदगी में शपथ दिलाई. खांडू के साथ 11 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. भारतीय जनता पार्टी ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीट पर जीत हासिल कर लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश की सत्ता में वापसी की है.
विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीती 60 में से 46 सीट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीटें जीती थीं, जबकि एनपीपी ने 5, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने तीन, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) ने दो सीटे पर जीत दर्ज की. वहीं कांग्रेस ने एक सीट और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी. अरुणाचल प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है. बता दें कि यहां लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को राज्य में विधानसभा चुनावों के साथ ही हुए थे.
राजनीति के माहिर खिलाड़ी पेमा खांडू
खेल और संगीत के शौकीन पेमा खांडू (Pema Khandu) अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं, खासकर 2016 में पैदा हुए उस संवैधानिक संकट के बाद जिसके कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा था. खांडू कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी छवि बना चुके हैं. अपनी इसी रणनीति की बदौलत ही उन्होंने फिर से अरुणाचल में कमल खिलाया.
37 साल की आयु में पहली बार सीएम बने थे पेमा खांडू
जनवरी 2016 में उस संवैधानिक संकट के बाद उनके नेतृत्व का दायरा तेजी से बढ़ा था, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. जब केंद्र का शासन हटा तो वह बीजेपी समर्थित कलिखो पुल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने. हालांकि ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चली. अदालत के हस्तक्षेप से तुकी सरकार को बहाल कर दिया गया लेकिन तुकी ने शीघ्र ही इस्तीफा दे दिया. इसके बाद महज 37 वर्ष की उम्र में खांडू मुख्यमंत्री बन गए.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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