Parth Pawar Land Scam: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार के खिलाफ जमीन घोटाले के गंभीर आरोप लगे हैं. उनकी कंपनी पर आरोप है कि उसने 1800 करोड़ रुपये की जमीन महज 300 करोड़ रुपये में खरीद ली. इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है, लेकिन फिलहाल अजित पवार का नाम किसी भी एफआईआर में शामिल नहीं किया गया है. खास बात ये है कि जिस कंपनी करोड़ों के घोटाले के आरोप लगे हैं, उसमें 99% हिस्सेदारी पार्थ पवार की है. आइए समझते हैं कि ये पूरा मामला कैसे शुरू हुआ और एफआईआर में किन लोगों के नाम दर्ज हैं.
शीतल तेजवाणी की तलाश
7 नवंबर की सुबह, पुणे में दो अलग-अलग पुलिस थानों में दो FIR दर्ज हुईं. यहीं से महाराष्ट्र की सियासत का सबसे बड़ा ‘जमीन का खेल' शुरू हुआ. इन दोनों मामलों में पार्थ पवार का नाम केंद्र में है, जो अब खुद को निर्दोष बताते हुए फरार शीतल तेजवाणी पर सारा ठीकरा फोड़ सकते हैं. शीतल तेजवाणी , जिनके पास जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी थी, उन्होंने पार्थ के साथ जमीन का सौदा किया था, वो अब जांच एजेंसियों के लिए सबसे बड़ा रहस्य बन चुकी हैं. फिलहाल उनकी तलाश जारी है और माना जा रहा है कि उनकी गिरफ्तारी से ही इस सबसे करोड़ों के जमीन घोटाले का पूरा सच सामने आएगा.
FIR नंबर 1: कोरेगांव पार्क की 40 एकड़ जमीन
बावधन पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई यह FIR एक बम की तरह फटी. आरोप हैं कि 20 मई 2025 को 40 एकड़ सरकारी जमीन (सर्वे नं. 88, मौजे मुंढवा) फर्जी दस्तावेजों के सहारे 300 करोड़ में बेच दी गई, जबकि उसकी मार्केट वैल्यू 1800 करोड़ रुपये थी. ये जमीन दलित आरक्षित ‘महार वतन' की थी, जो 1959 से लेकर 2038 तक Botanical Survey of India (BSI) को सरकार ने लीज पर दी है. यानी सरकारी जमीन को निजी बताकर बेच दिया गया.
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कौन हैं आरोपी?
दिग्विजय पाटिल (Amedia Enterprises LLP का पार्टनर)
शीतल तेजवाणी (272 लोगों की Power of Attorney होल्डर)
निलंबित सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तरू
FIR नंबर 2: बोपोडी की 13 एकड़ जमीन
दूसरी FIR खड़क पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है. यहां सब-डिविजनल ऑफिसर प्रवीणा बोर्डे ने शिकायत करते हुए कहा कि तहसीलदार सूर्यकांत येवले ने फरवरी 2024 से जुलाई 2025 तक कई अवैध आदेश जारी किए और सरकारी जमीन को निजी घोषित किया. इस मामले में भी कई आरोपी हैं, जिन पर धोखाधड़ी, विश्वासघात और सरकारी संपत्ति की चोरी जैसी धाराओं में मामला दर्ज है.
- सूर्यकांत येवाले (सस्पेंडेड तहसीलदार)
- दिग्विजय पाटिल
- शीतल तेजवाणी
- हेमंत गावंडे सहित 9 लोग
FIR के बाद अजित पवार की सफाई
पार्थ के पिता और डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि 'डील कानूनी थी की नहीं इसकी जांच होगी, लेकिन शक से बचने हमने ये कैंसल कर दी.' उन्होंने यह भी संकेत दिए कि शीतल तेजवाणी और दिग्विजय पाटिल ने
बिना जानकारी के दस्तावेजों में बदलाव किए.
हालांकि जांच एजेंसियों को कुछ और ही दिखाई दे रहा है. कंपनी का रजिस्टर्ड एड्रेस पार्थ के बंगले से मेल खाता है और ज्यादातर पेपरवर्क में Amedia LLP के 99% ओनर के रूप में पार्थ पवार का ही नाम मौजूद है. इस मामले में तेजवाणी की भूमिका सबसे रहस्यमय है. उनकी कंपनी Paramount Dreambuild Pvt. Ltd. पहले ही स्ट्रक ऑफ हो चुकी है और उन्होंने 2006 की Power of Attorney का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन को 'खासगी' बताने की कोशिश की. फिलहाल पुलिस को उनकी तलाश है और उनके घर, ऑफिस और रिश्तेदारों के पते खंगाले गए हैं. फिलहाल कोई भी सुराग नहीं मिला है.
पुराना करार, नया घोटाला
1959 में महाराष्ट्र सरकार और BSI के बीच 15 साल के लिए इस जमीन का पहला करार हुआ था. बाद में 1999 में उसे रिन्यू करवाया गया. अब यह करार मार्च 2038 तक वैध है. यांनी 50 साल के लिए जमीन BSI के पास लीज पर थी. जिसे फर्जी कागज से बदला गया. दो बार (1992 और 2023) जिला प्रशासन ने लिखित रूप से स्पष्ट किया था कि यह जमीन सरकारी है, किसी निजी विक्री की अनुमति नहीं है. इसके बावजूद, झूठे दस्तावेजों से सौदा किया गया. सबसे बड़ा सवाल है कि अगर जमीन सरकारी थी, तो रजिस्ट्रेशन ऑफिस ने बिक्री की अनुमति कैसे दी?ॉ
विपक्ष उठा रहा सवाल
इस मामले को लेकर पार्थ पवार का नाम एफआईआर में शामिल नहीं करना और बाकी चीजों को लेकर अब विपक्ष भी सवाल खड़े कर रहा है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि 99% हिस्सेदारी के बावजूद कंपनी मालिक को क्यों बचाया जा रहा है? फिलहाल शीतल तेजवाणी की गिरफ्तारी का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद ये साफ होगा कि पार्थ पवार निर्दोष हैं, या ‘जमीन के खेल' के असली खिलाड़ी.
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