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बिनाका गीतमाला, किशोर कुमार... इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर जमकर बरसे अमित शाह, भाषण की बड़ी बातें

अमित शाह ने कहा, "संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए. इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा. किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं. संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया. संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है."

नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार (17 दिसंबर) को 17वां दिन है. आज राज्यसभा में संविधान पर चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. इस दौरान शाह ने संविधान में संशोधन, इमरजेंसी और आरक्षण को लेकर कांग्रेस को जमकर खरीखोटी सुनाई. शाह ने मशहूर रेडियो प्रोग्राम बिनाका गीतमाला और सिंगर किशोर कुमार के गाने बैन करने को लेकर कांग्रेस को आईना भी दिखाने की कोशिश की. अमित शाह ने कहा, "देश में लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक गहरी हैं. इसने कई तानाशाहों के अहंकार और गुमान को चूर-चूर किया है. जो कहते थे भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे, हम आज दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं." 

अमित शाह ने कहा, "संविधान के दोनों सदन में चर्चा हुई है. वो हमारे किशोरों के लिए युवाओं के लिए है. आने वाले समय में सदन में बैठकर देश के भविष्य का फैसला करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होगी. यह भी तय होगा, जब जब जनता ने जिस पार्टी को शासन दिया, उसने संविधान का सम्मान किया या नहीं."

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, "मैं बिनाका गीतमाला सुनता था. ये रेडियो पर आती थी और एक दिन अचानक बंद हो गई. मैंने घर मैं झगड़ा किया कि गीतमाला क्यों नहीं आती. मेरे पड़ोस वाले चाचा ने कहा कि किशोर कुमार के साथ इंदिरा जी का झगड़ा हो गया है. इसलिए बिनाका गीतमाला में किशोर कुमार का आवाज अब नहीं सुनाई देगी. लता दीदी की आवाज में फिर से रिकॉर्डिंग हुई और तब यह कार्यक्रम शुरू हुआ... ये इमरजेंसी में हुआ था. जब लाखों लोग बिना अपराध के जेल में डाल दिए गए थे."

बिनाका गीतमाला, रेडियो पर प्रसारित होने वाला एक लोकप्रिय कार्यक्रम था. इसकी शुरुआत 3 दिसंबर 1952 को हुई थी. इस कार्यक्रम को अमीन सयानी ने होस्ट किया था.

संविधान लहराकर विपक्ष ने झूठ बोला, हारते हैं तो EVM गड़बड़ : राज्यसभा में अमित शाह

इमरजेंसी पर कांग्रेस को घेरा
अमित शाह ने कहा, "5 नवंबर 1971 को इंदिरा गांधी की सरकार ने 24वें संशोधन में नागरिक अधिकारों को कर्टेल करने का संसद को अधिकार दे दिया." 39वां संविधान संशोधन को लेकर शाह ने कहा, "ये संविधान संशोधन क्या था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था. अभी कुछ नहीं है तो हारने पर EVM ले लेकर घूमते हैं. महाराष्ट्र में सूपड़ा साफ हो गया और दूरबीन लेकर दिखाई नहीं देता. उसी दिन झारखंड में जीते हैं तो टप से नए कपड़े पहनकर जाकर शपथ ले ली. एक जगह EVM सही, एक जगह खराब है." 

राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने तक कांग्रेस ने बढ़ाई
अमित शाह ने कहा, "वन नेशन-वन इलेक्शन के बिल पर लोकसभा में कांग्रेस और उनके साथियों ने हंगामा किया. इन्होंने लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाकर 6 साल किया था. कांग्रेस ने समझा कि संसद और राज्यसभा में कोरम की आवश्यकता नहीं, ये बिल पास किया राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने तक कांग्रेस ने बढ़ाई."

अमित शाह ने केशवानंद भारती केस का उदाहरण देते हुए कहा, "फैसले तो हमारे खिलाफ भी आते हैं. न्यायिक व्यवस्था है, मानना चाहिए. कांग्रेस ने क्या किया, तीन लोगों पर तरजीह देकर चौथे को मुख्य न्यायाधीश बनाने का काम किया जिसकी वजह से तीनों इस्तीफा देकर घर चले गए. ये बार-बार दोहराना चाहिए, हर बच्चे को रटाना चाहिए कि तानाशाहों को क्या करना चाहिए जिससे कोई हिम्मत न कर सके इमरजेंसी लाने की."

धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे
अमित शाह ने कहा, "कांग्रेस ने आरक्षण बढ़ाने को लेकर झूठ बोलना शुरू कर दिया है. ये आरक्षण क्यों बढ़ाना चाहते हैं, ये मैं बताता हूं. इन्होंने 50% से अधिक आरक्षण करने की वकालत की है. देश के 2 राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है. ये गैर संवैधानिक है." 

शाह ने कहा, "संविधान सभा की डिबेट पढ़ लीजिए. स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा. आरक्षण पिछड़ापन के आधार पर होगा. कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया. 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं. दोनों सदन में जब तक BJP का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे, ये संविधान विरोधी है."


 

पिछड़ी जातियों का पिछड़ापना किया दूर
अमित शाह ने कहा कि एक संविधान संशोधन हम लेकर आए. GST लाकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक 100 अलग-अलग कानूनों को समाप्त कर जनहित का काम किया. नरेंद्र मोदी ने GST का विरोध किया था, इसलिए किया था कि आप GST तो लाना चाहते थे, लेकिन राज्यों को कंपन्सेशन की गारंटी देना नहीं चाहते थे.हमने वो भी किया. हम दूसरा संशोधन लेकर आए ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए किया. BJP ने पिछड़ी जातियों के कल्याण के लिए दूसरा संशोधन किया. तीसरा संशोधन गरीबों के कल्याण के लिए लाए कि जिन जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है, उनको 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के लिए किया. पिछड़ी जातियों का पिछड़ापना हमने दूर किया."

मोदी सरकार ने दिलाई गुलामी की मानसिकता से आजादी
गृह मंत्री ने कहा, "मोदी सरकार ने नई भारतीय न्याय संहिता के जरिये देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद करने का काम किया. कई साल तक बजट शाम को 5.30 बजे रखते थे, क्योंकि अंग्रेज की रानी की घड़ी में तब 11 बजते थे. उसे किसी ने बदला तो वाजपेयी जी ने बदला."


कांग्रेस ने 70 साल तक आर्टिकल-370 को नाजायज औलाद की तरह पाला
अमित शाह ने कहा, "70 वर्षों तक कांग्रेस ने संविधान के अनुच्छेद-370 को नाजायज संतान की तरह अपनी गोदी में पाले रखा. जब मोदी जी 2019 में फिर से PM बने, तो एक झटके में ही इसी सदन में अनुच्छेद-370 को समाप्त कर दिया. ये लोग कहते थे कि अनुच्छेद-370 हटा तो खून की नदिया बह जाएगी, लेकिन आज किसी की कंकड़ चलाने की भी हिम्मत नहीं है."

अमित शाह ने कहा, "BJP ने 16 साल राज किया और 22 बार संविधान में संशोधन किया. कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 बार संविधान में परिवर्तन किया. BJP और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए, लेकिन परिवर्तन का उद्देश्य क्या था? इससे पार्टी का संविधान में विश्वाश का पता चलता है."



संविधान का सम्मान बातों में नहीं काम में होना चाहिए
अमित शाह ने कहा, "संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए. इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा. किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं. संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया. संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है. संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया."

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नागरिक अधिकारों के कत्ल के लिए भी हुआ संशोधन
अमित शाह ने कांग्रेस पर नागरिक अधिकारों के कत्ल के लिए संविधान संशोधन करने का आरोप लगाते हुए कच्चातिवू द्वीप को लेकर भी कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा कि रातोंरात इन्होंने ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया. संसद के पास ये विषय ही नहीं आया. आज भी यह हमारा भूभाग है लेकिन हमारे पास नहीं है. आपने पार्टी को तो परिवार की जागीर समझा ही है, संविधान को भी परिवार की जागीर समझ लिया है. संविधान के साथ ऐसा अन्याय दुनिया के किसी शासक ने नहीं किया होगा. 

मुस्लिम पर्सनल लॉ का जिक्र कर कांग्रेस को घेरा
आमित शाह ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का जिक्र करते हुए कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा, "कांग्रेस यह स्पष्ट करे कि एक कानून होना चाहिए या नहीं. इन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ हिंदू कोड बिल भी ला दिया. हम तो चाहते हैं कि कानून नए हों. हिंदू कोड बिल में कोई पुराना नियम नहीं है. सामान्य कानून को ही इन्होंने हिंदू कोड बिल का नाम दे दिया. चलो मान लिया कि पर्सनल लॉ होना चाहिए. तो पूरा शरिया लागू करिए. विवाह और तलाक के लिए पर्सनल लॉ, ये तुष्टिकरण की शुरुआत यहीं से हुई है."

गरीबी हटाओ का नारा देने वाली पार्टी गरीब रखे रही
गृहमंत्री ने कहा, "सब समझते हैं कि व्यक्ति की माली हालत बुद्धिमता और उसके परिश्रम पर निर्भर करता है. 75 साल तक इस देश की जनता को गरीबी हटाओ का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी गरीब रखे रही. 9.6 करोड गरीब महिलाओं को मोदी सरकार ने उज्ज्व्ला कनेक्शन देकर गैस सिलेंडर पहुंचाया, किसानों के खाते में करोड़ों रुपये सीधे ट्रांसफर हुए और आयुष्मान योजना के तहत लोगों ने मुफ्त में इलाज कराया है. 36 राज्यों में 80  करोड़ लोगों को राशन कार्ड और मुफ्त राशन दिया."

मोहब्बत बेचने की चीज नहीं
अमित शाह ने कांग्रेस को लगे हाथ नसीहत भी दे डाली. उन्होंने कहा, "कांग्रेस क्यों नहीं संविधान का सम्मान करती है. इन्होंने परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार हमेशा आगे रखा. ये छोड़ दो, जनता जीता देगी. मोहब्बत की दुकान के बहुत नारे सुने हैं. हर गांव में दुकान खोलने की महत्वाकांक्षा रखने वाले के भी बहुत भाषण सुने हैं. मोहब्बत बेचने की चीज नहीं है भैया. मोहब्बत जज्बा है, महसूस करने की चीज है."
 

गृहमंत्री अमित शाह का भाषण खत्म होने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही 18 दिसंबर को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
 

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