दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को संरक्षण की अवधि बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक को संसद से मंजूरी

राज्यसभा में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में शासन की जिम्मेदारी संभालने से पहले दिल्ली में समस्याएं थीं और समस्याएं उपेक्षा के कारण थीं.

दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को संरक्षण की अवधि बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक को संसद से मंजूरी

उच्च सदन में आठ सदस्यों ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिया.

नई दिल्ली:

संसद ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया जिसमें दिल्ली में अनधिकृत गतिविधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया है. इससे पहले दिन में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) अधिनियम, 2023 लोकसभा में संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित हो गया. निचले सदन में तीन सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया. उच्च सदन में आठ सदस्यों ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिया और इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.

राज्यसभा में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में शासन की जिम्मेदारी संभालने से पहले दिल्ली में समस्याएं थीं और समस्याएं उपेक्षा के कारण थीं.

उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा काम पूरा करने के लिए दो और साल मांगे जाने के बाद 2019 से केंद्र इस विधेयक पर चर्चा कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह कानून 2019 में अस्तित्व में आया. 2020 की शुरुआत में, हम (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहे थे और 2020 और 2021 के लिए महामारी में, लगभग कोई जमीनी स्तर का काम नहीं किया जा सका. इन अनधिकृत कॉलोनियों में करीब 40 लाख लोग रहते हैं. यदि एक औसत परिवार में चार सदस्य हैं तो हमें लगभग आठ से 10 लाख परिवारों को पंजीकृत करना होगा. हम पहले ही चार लाख कर चुके हैं। हमें और अधिक करने की जरूरत है और हमें तेजी लाने की जरूरत है.''

पुरी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों और देश के अन्य हिस्सों से लोग दिल्ली आ रहे हैं लेकिन पिछली सरकारों ने इस समस्या का समाधान नहीं किया.

उन्होंने कहा कि दिल्ली का भूमि क्षेत्र नहीं बदला है, लेकिन जनसंख्या 1947 में सात-आठ लाख से बढ़कर वर्तमान में लगभग 2.5 करोड़ हो गई है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह समस्या 20 साल पहले दिखाई दे रही थी और इस पर पहले भी ध्यान दिया जा सकता था लेकिन कांग्रेस सरकार ने 2006 में दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय की कार्रवाई के कारण अनधिकृत कॉलोनियों को एक साल के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून लाया.''

पुरी ने कहा कि कानून को हर साल 2011 तक बढ़ाया गया था और उसके बाद, इसे तीन साल के लिए बढ़ाया गया था और आज इसे फिर आगे बढ़ाया जा रहा है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के साथ सक्रिय परामर्श कर रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि वे अनधिकृत कॉलोनियों का सत्यापन कब तक पूरा कर लेंगे, जिसके बाद केंद्र अतिक्रमण और अनधिकृत कॉलोनियों की पहचान करना शुरू कर सकता है और राहत प्रदान कर सकता है.

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों ने सदन में होने के बावजूद दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण विधेयक का समर्थन नहीं किया.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप के सदस्यों के दिल में गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है.

उन्होंने कहा कि उनकी गरीब विरोधी और पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता हर बार परिलक्षित होती है.

उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ हैं. यह घमंडिया... आईएनडीआई गठबंधन का असली चेहरा है.''

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा राज्यसभा के सभापति और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ की नकल करने और मजाक उड़ाए जाने का मुद्दा भी उठाया.

गोयल ने कहा कि पूरे जाट समुदाय ने राज्यसभा और उपराष्ट्रपति का अपमान करने वाले कृत्य की आलोचना की, लेकिन सदन में कांग्रेस के एक सदस्य ने इसकी निंदा नहीं की.

उच्च सदन में विधेयक पर चर्चा में आठ सदस्यों ने हिस्सा लिया.

बहस की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य बाबूराम निषाद ने विधेयक का समर्थन किया.

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा देशभर में चलाई जा रही 'जल से नल' जैसी योजनाओं को दिल्ली में लागू किया जाएगा.

बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य अमर पटनायक और भाजपा के अनिल जैन और राकेश सिन्हा ने विधेयक का समर्थन किया.

अन्नाद्रमुक सदस्य एम. थंबीदुरई ने कहा कि केंद्र को न केवल दिल्ली बल्कि देश के अन्य हिस्सों में झुग्गी वासियों से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद करनी चाहिए.

विपक्ष के एक सदस्य ने विधेयक पर मतदान की मांग की लेकिन सभापति ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि वह अपनी सीट पर नहीं थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)