हिमालयन शहर जोशीमठ के लोगों को घरों और जमीन में दरार आने के बाद राहत शिविर में शिफ्ट किया गया है. घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आने के बाद लोग राहत शिविर में रहने को विवश हैं. इन्हीं लोगों में से एक हैं 71 साल की मनदोदरी देवी, जिन्हें अपने 10 कमरों के घर को छोड़कर राहत शिविर के एक कमरे में परिवार के छह अन्य सदस्यों के साथ रहना पड़ रहा है, जिसमें दो बच्चे भी शामिल हैं.
मनदोदरी देवी को अभी तक एक भी रुपये का मुआवजा नहीं मिला है. इस संबंध में पूछने पर वो भावुक हो जाती हैं. उन्होंने एनडीटीवी को बताया, " हमारा दो मंजिला मकान था, सारी सुविधाएं थीं. हम 23 साल से वहां रह रहे थे. इस घर को सवारने के कारण हमने गांव में भी अच्छा घर नहीं बनाया. अब इस घर में दरारें आ गई हैं. क्या करें समझ नहीं आ रहा. घर के सामानों को भी इधर-उधर फेंका जा रहा. अभी तो हमारे पास पहनने को भी कपड़े नहीं हैं."
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, " जब किसी के सिर से छत चली जाती है तो दुख तो होता ही है." बता दें कि करीब जोशीमठ के रहने वाले करीब आठ परिवारों ने गुरुद्वारे में शरण ली है. लेकिन उनता कहना है कि वो कितने दिन तक गुरुद्वारे या राहत शिविर में रहेंगे. सरकार उन्हें कहीं पर बसाए या स्थिति स्पष्ट करें.
राहत शिविर में रह रही महिला ने कहा, " हमारे पास एक मकान ही था जिसके किराए से हम अपना घर चला रहे थे. हमारे पास ना कोई नौकरी है और ना कारोबार. हमारे बच्चे भी छोटे हैं. कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
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