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This Article is From Jan 13, 2023

"Hydel Project एक किलोमीटर दूर": जोशीमठ में जमीन धंसने के मामले पर एनटीपीसी

एनटीपीसी ने पत्र में लिखा, “सुरंग जोशीमठ शहर की बाहरी सीमा से लगभग 1.1 किमी की क्षैतिज दूरी पर है और जमीनी सतह से लगभग 1.1 किमी नीचे है.”

"Hydel Project एक किलोमीटर दूर": जोशीमठ में जमीन धंसने के मामले पर एनटीपीसी
इलाके में करीब दो वर्षों से कोई सक्रिय निर्माण कार्य भी नहीं हुआ है: एनटीपीसी
नई दिल्ली:

सरकारी स्वामित्व वाली राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) ने बिजली मंत्रालय से कहा है कि इसकी परियोजना की इस क्षेत्र के जमीन धंसने में कोई भूमिका नहीं है. उसने कहा कि तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना से जुड़ी 12 किलोमीटर लंबी सुरंग जोशीमठ शहर से एक किलोमीटर दूर है और जमीन से कम से कम एक किलोमीटर नीचे है. उत्तराखंड के जोशीमठ में सैकड़ों घरों और इमारतों में दरारें आने के लिए जमीन के धंसने को कारण बताया जा रहा है.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 10 जनवरी को जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना की समीक्षा के लिए एनटीपीसी के अधिकारियों को तलब किया था. इसके एक दिन बाद भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी ने मंत्रालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए पत्र लिखा. उसने लिखा कि तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के उत्पादन के लिए बांध स्थल पर पानी के अंतर्ग्रहण को बिजलीघर से जोड़ने वाली एक हेड ट्रेस टनल (एचआरटी) “जोशीमठ शहर के नीचे से नहीं गुजर रही है”.

एनटीपीसी ने पत्र में लिखा, “सुरंग जोशीमठ शहर की बाहरी सीमा से लगभग 1.1 किमी की क्षैतिज दूरी पर है और जमीनी सतह से लगभग 1.1 किमी नीचे है.”

एनटीपीसी ने कहा कि जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला काफी पुराना है जो पहली बार 1976 में देखा गया था. एनटीपीसी ने राज्य सरकार द्वारा उसी साल नियुक्त एम.सी. मिश्रा समिति का हवाला देते हुए दरारों व जमीन धंसने के लिये “हिल वॉश (चट्टान या ढलान के आधार पर इकट्ठा मलबा), झुकाव का प्राकृतिक कोण, रिसाव के कारण खेती का क्षेत्र और भू-क्षरण” को जिम्मेदार बताया.

तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना (4x130 मेगावाट) का निर्माण कार्य नवंबर 2006 में शुरू हुआ. इस परियोजना में तपोवन (जोशीमठ शहर के 15 किमी ऊपर की ओर) में एक कंक्रीट बैराज का निर्माण शामिल है. यह परियोजना मार्च 2013 तक पूरी हो जानी थी लेकिन लगभग 10 वर्षों बाद भी यह ‘निर्माणाधीन' है. एनटीपीसी ने कहा, “इस खंड में सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के माध्यम से किया गया है, जिससे आसपास की चट्टानों में कोई बाधा नहीं आती है.”

एनटीपीसी ने ऊर्जा मंत्रालय को यह भी बताया कि इलाके में करीब दो वर्षों से कोई सक्रिय निर्माण कार्य भी नहीं हुआ है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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