
जब दुनिया जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत पर शोक मना रही थी, तब पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ बैठकर 'कश्मीर मुद्दा' उठाया. इस जघन्य हमले के कुछ घंटों बाद, शरीफ ने अंकारा में एर्दोगन के साथ एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, कश्मीर के मुद्दे पर तुर्की के "अटूट समर्थन" के लिए धन्यवाद दिया.
पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तानी प्रधान मंत्री की अंकारा यात्रा के बारे में एक रिपोर्ट छापी है. इसके अनुसार शहबाज शरीफ ने "कश्मीर मुद्दे पर तुर्की के अटूट समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया." रिपोर्ट में कहा गया है कि एर्दोगन ने "आतंकवाद को खत्म करने के पाकिस्तान के प्रयासों" के लिए तुर्की का पूरा समर्थन भी जताया है.
कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ देता रहा है तुर्की
यह पहली बार नहीं है जब तुर्की कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा हुआ है. इससे पहले फरवरी में, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने जब इस्लामाबाद की यात्रा की थी तो उस दौरान भी कश्मीर पर पाकिस्तान को अपना समर्थन दिया था और इस मुद्दे के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र में वार्ता का आह्वान किया था.
उस समय, भारत के विदेश मंत्रालय ने एर्दोगन की टिप्पणी की आलोचना की थी और कहा कि उसने तुर्की के राजदूत को बुलाकर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, "हम उन मामलों पर ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियों को खारिज करते हैं जो भारत के लिए शाश्वत (नहीं बदलने वाली) हैं. हमने तुर्की के राजदूत के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया है. भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह के अनुचित बयान अस्वीकार्य हैं."
उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस बात का भी जिक्र किया कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद नीति जम्मू-कश्मीर की अवाम के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है.
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