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पहलगाम में हर रोज घोड़े वाले झेल रहे 2 करोड़ रुपये का नुकसान

घोड़ा एसोसिएशन से जुड़े रईस ने बताया कि पहलगाम में जब से आतंकवादी हमला हुआ है, तब से लगातार पर्यटकों की बुकिंग कैंसिल हो रही है, जिसके कारण घोड़े वाले हर रोज दो करोड़ रुपये का घाटा झेल रहे हैं.

पहलगाम में हर रोज घोड़े वाले झेल रहे 2 करोड़ रुपये का नुकसान
पहलगाम में 6000 हजार घोड़े, सिर्फ 100 के पास काम!
पहलगाम:

जम्‍मू-कश्‍मीर में पहलगाम की बेसरन घाटी से सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी चलती है, लेकिन इन दिनों यहां सन्‍नाटा छाया हुआ है. बेसरन घाटी में हुए आतंकी हमले से पूरा देश दहल गया था. यही वजह है कि अब भी पर्यटक यहां आने से कतरा रहे हैं. इससे यहां घोड़े वालों से लेकर फोटोग्राफरों तक का काम ठप पड़ गया है. एक अनुमान के अनुसार, पहलगाम में हर रोज घोड़े वाले 2 करोड़ रुपये का नुकसार झेल रहे हैं. एनडीटीवी की टीम ने पहलगाम पहुंचकर यहां के हालात का जायजा लिया.    

बुकिंग फुल थी, लेकिन...

घोड़ा एसोसिएशन से जुड़े रईस ने बताया कि पहलगाम में जब से आतंकवादी हमला हुआ है, तब से लगातार पर्यटकों की बुकिंग कैंसिल हो रही है, जिसके कारण घोड़े वाले हर रोज दो करोड़ रुपये का घाटा झेल रहे हैं. सामान्य तौर पर गर्मी की छुट्टियों में यहां पर लाखों की भीड़ आती थी, जो कि हर बार घुड़सवारी करने के लिए आस पास की वादियों में ज़रूर जाती थी. इस वर्ष भी बुकिंग फुल थी, लेकिन घटना के बाद से लगातार लोगों ने पहलगाम और कश्मीर के कई इलाकों की यात्रा को कम कर दिया, जिसकी वजह से घोड़ा मालिकों के पास इस समय काम नहीं है.

6000 हजार घोड़े, सिर्फ 100 के पास काम!

मुश्किल ये है कि घोड़ा चलाने के अलावा इनके पास कोई काम है नहीं और न इन्हें कुछ और काम करना आता है. ऐसे में अगर कुछ बचा है, तो घोड़े का ख़र्चा. लेकिन अब घोड़ों का खर्चा निकालना भी मालिकों के लिए मुश्किल हो गया है. पहलगाम में मौजूदा समय में करीब छह हजार घोड़े हैं, जिनमें से सिर्फ 1900 के पास ही लाइसेंस है. पिछले कुछ वर्षों से सरकार की ओर से लाइसेंसिंग की प्रक्रिया धीमी चल रही है, जिसकी वजह से नये लाइसेंस मिले नहीं हैं. सीज़न के समय हर घोड़े वाला प्रति घोड़ा तीन हज़ार रुपये कमा लेता है, लेकिन इस समय इन 6000 घोड़ों में से मात्र सौ के पास ही मुश्किल से काम है. 

एक लाख का घोड़ा, 400 रुपये की रोजाना खुराक 

पहलगाम में घोड़े वालों की करीब पांच असोसिएशन हैं. यहां हर व्यक्ति के पास दो घोड़े संभालने की अनुमति है. एक घोड़े का दिन भर का न्यूनतम खाने पीने का ख़र्च 400 रुपये है. लेकिन जैसे-जैसे घोड़े की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे उसका इलाज का खर्चा बढ़ता है. कभी-कभी ये खर्च डेढ़ हज़ार रुपये प्रतिदिन तक चला जाता है. आम तौर पर घोड़े की उम्र पांच साल से 18 साल तक की होती है. घोड़े को हर रोज करीब 10-15 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है. घोड़ा खरीदने में करीब एक लाख रुपये का खर्च आता है, जो कि आसान नहीं होता और कभी-कभी तो घोड़े EMI पर लिये जाते हैं.

पहलगाम में अगर आपको घूमने के लिए घोड़ा चाहिए, तो उसके लिए कितना खर्च आता है?

  • घोड़े वाले पर्यटकों से पहलगाम से बेसरन घाटी ले जाने के लिए 1300 रुपये लेते हैं.   
  • अगर इस दौरान कहीं अतिरिक्‍त रुकना पड़ता है, तो उसके लिए 400 प्रतिघंटा चार्ज है. 
  • पहलगाम में 4 लोकेशन घुमाने का फुल पैकेज 2420 रुपये प्रति व्‍यक्ति है.
  • इन 4 पर्यटन स्‍थलों में पहलगाम, बैसरन घाटी, कश्मीर घाटी, दबयाइन, डेनो घाटी शामिल है. 
  • चारों लोकेशन को घूमने में कम से कम 4 घंटे से लेकर पूरा दिन भी लग जाता है. 

इस घुड़सवारी के काम से क़रीब एक लाख स्थानीय लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें से कई की ज़िंदगी तो पूरी तरह से इसी पर निर्भर है. हर घोड़े पर दो लोगों की ज़रूरत होती है, ऐसे में क़रीब 40,000 से ज़्यादा परिवार इन पर निर्भर हैं. आम तौर पर सीज़न गर्मियों में होता है, लेकिन जब अमरनाथ यात्रा शुरू होती है, तो फिर धार्मिक दर्शन करने वाले लोग ज़्यादा आते हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सीज़न दिसंबर और जनवरी में भी होता था, जहां लोग बर्फ़ और ठंड का मज़ा लेने आते थे.

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