अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा देने के बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कहा कि इस घटनाक्रम से सीधा सवाल उठता है कि आखिर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर किसका दबाव है? कांग्रेस ने पूछा कि क्या अरुण गोयल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) या सरकार के साथ किसी मतभेद के कारण ये कदम उठाया है?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूछा कि क्या गोयल ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है, जैसा कि उन्होंने अपने त्याग पत्र में इसका उल्लेख किया है या कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हालांकि गोयल के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ये देखने के लिए इंतजार करना होगा कि वह आने वाले दिनों में क्या करते हैं.
इधर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में कई बार ऐसा हुआ है, जहां भी दबाव पड़ा अधिकारियों को नौकरी छोड़कर जाना पड़ा, आयोग छोड़कर जाना पड़ा. सीधा सवाल उठता है कि आखिरकार, संवैधानिक और स्वतंत्र इकाई चुनाव आयोग पर किसका दबाव है, वह भी लोकसभा चुनाव से पहले.'
आईएएस अधिकारी अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले शनिवार शाम निर्वाचन आयुक्त पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कार्यकाल 2027 तक था, हालांकि उन्होंने त्यागपत्र देने का कोई कारण नहीं बताया.
सेवानिवृत्त नौकरशाह गोयल पंजाब कैडर के1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे. वो नवंबर 2022 में निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे. फरवरी में अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और गोयल के इस्तीफे के बाद, तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार हैं.
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