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This Article is From Jul 30, 2023

मणिपुर में जातीय संघर्ष से भारत की छवि खराब हो रही है: अधीर रंजन चौधरी

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 

मणिपुर में जातीय संघर्ष से भारत की छवि खराब हो रही है: अधीर रंजन चौधरी
चौधरी ने कहा कि हमें शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए. (फाइल)
इंफाल :

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को कहा कि मणिपुर में जातीय संघर्ष भारत की छवि को खराब कर रहा है और इसे समाप्त करने के लिए सभी दलों को एक शांतिपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश करनी होगी. विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए हिंसा प्रभावित मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को यहां पहुंचा और पीड़ितों से मुलाकात की. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्षी गठबंधन के सांसदों के दौरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे मात्र दिखावा करार दिया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि ‘इंडिया' के सदस्यों का दौरा ‘‘मात्र दिखावा'' है. 

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि जब पूर्ववर्ती सरकारों के शासन में मणिपुर ‘‘जलता'' था, तब उन लोगों ने संसद में एक भी शब्द नहीं कहा, जो अब पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर रहे हैं. ठाकुर ने कहा, ‘‘जब मणिपुर महीनों बंद रहा करता था, तब उन्होंने एक भी शब्द नहीं कहा.''

अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन, सांसदों ने इंफाल, बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और चुराचांदपुर में कई राहत शिविरों का दौरा किया और जातीय हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात की. 

चौधरी ने शनिवार शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री कुछ नहीं कह रहे हैं और देश को गुमराह कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि मणिपुर में सब कुछ ठीक है, लेकिन ऐसा नहीं है. वे हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां लोगों से मिलने आए हैं, हमने उनसे बात की और खौफनाक कहानियां सुनीं. अब, हम उन घटनाओं को संसद में उठाएंगे.''

इससे पहले, दिन में चौधरी ने कहा, ‘‘जातीय हिंसा ने मणिपुर, पूर्वोत्तर क्षेत्र और पूरे भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया है. हमें शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए. हम यहां कोई राजनीति करने नहीं आए.''

सांसद दिल्ली से विमान के जरिये मणिपुर पहुंचे. प्रतिनिधिमंडल यहां पहुंचने के बाद चुराचांदपुर में राहत शिविरों में रह रहे कुकी समुदाय के पीड़ितों से मिलने गया, जहां हाल में हिंसा की घटनाएं हुई हैं.

प्रतिनिधिमंडल के दौरे के संबंध में एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘वे सुरक्षा कारणों से इंफाल से हेलीकॉप्टर के जरिए चुराचांदपुर गए. इस समय केवल एक हेलीकॉप्टर उपलब्ध है, इसलिए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को दो टीम में बांटा गया और हेलीकॉप्टर ने उन्हें पहुंचाने के लिए दो फेरे लगाए.''

एक टीम में लोकसभा में कांग्रेस नेता चौधरी और अन्य शामिल थे. यह टीम चुराचांदपुर कॉलेज के ‘बॉयज हॉस्टल' में स्थापित राहत शिविर का दौरा करने के लिए सबसे पहले चुराचांदपुर के लिए रवाना हुई. 

मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के एक सूत्र ने बताया कि एक अन्य टीम में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और अन्य शामिल थे. यह टीम चुराचांदपुर में डॉन बॉस्को स्कूल में एक राहत शिविर का दौरा करने गई. 

मणिपुर मामले का राजनीतिकरण करने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर गोगोई ने कहा, ‘‘हमें प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर बहुत खुशी होती, लेकिन वह परिदृश्य में कहीं नजर ही नहीं आ रहे. उन्होंने संसद में मणिपुर को लेकर एक शब्द नहीं कहा.''

उन्होंने कहा, ‘‘राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) इस परिदृश्य से पूरी तरह गायब है, लेकिन ‘इंडिया' मौजूद है. ‘इंडिया' मणिपुर के लोगों के साथ खड़ा है. हम राज्य में शांति लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.''

प्रतिनिधिमंडल में शामिल और केरल से कांग्रेस के सांसद के. सुरेश ने केंद्र और मणिपुर सरकार पर स्थिति से ‘‘खराब तरीके से निपटने'' का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां जमीनी हालात का आकलन करने और हिंसा पीड़ितों से मिलने आए हैं. दिल्ली लौटने के बाद, हम अपने आकलन के आधार पर विभिन्न मुद्दों को संसद में उठाएंगे और इन मुद्दों पर केंद्र का ध्यान खींचने की कोशिश करेंगे.''

कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि भाजपा ‘‘ध्रुवीकरण कर रही है'' और उसने दो परस्पर विरोधी समुदायों में से ‘‘एक को समर्थन दिया'' है. 

उन्होंने कहा, ‘‘यह राज्य में अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भाजपा द्वारा पैदा की गई समस्या है. भाजपा लोगों को जाति, धर्म और भाषा के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है.''

एमपीसीसी के सूत्र ने बताया कि इंफाल लौटने के बाद, चौधरी के नेतृत्व में टीम ने मेइती समुदाय के पीड़ितों से मिलने के लिए सड़क मार्ग से बिष्णुपुर जिले के मोइरांग कॉलेज में एक राहत शिविर का दौरा किया. 

विपक्षी सांसदों की दूसरी टीम इंफाल पूर्वी जिले के अकंपत में ‘आइडियल गर्ल्स कॉलेज' राहत शिविर गई. 

एमपीसीसी के अधिकारी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल रविवार सुबह राजभवन में राज्यपाल अनसुइया उइके से मिलेगा और मणिपुर की मौजूदा स्थिति एवं शांति बहाल करने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर बात करेगा. 

इस प्रतिनिधिमंडल में चौधरी और गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम भी शामिल हैं. 

राजद के झा ने कहा, ‘‘इस खूबसूरत राज्य के लोग पिछले तीन महीने से कष्ट झेल रहे हैं. सरकार की ओर से कोई भी पीड़ितों की शिकायतें सुनने नहीं आया.''

झा ने कहा, ‘‘आज हम यहां कुछ कहने नहीं, बल्कि सिर्फ उनकी बात सुनने आए हैं. हम उनका दर्द महसूस करते हैं और इसीलिए हम यहां हैं.''

कनिमोई ने कहा कि ‘इंडिया' के सांसद दोनों समुदायों के लोगों की आवाज सुनेंगे. द्रमुक नेता ने कहा, ‘‘वे संकट में हैं और केंद्र सरकार उनकी समस्या का समाधान करने में विफल रही है.''

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता एवं सांसद अरविंद सावंत ने प्रधानमंत्री पर संसद में मणिपुर मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि वह (मोदी) संसद में बोलें, लेकिन उन्होंने एक भी शब्द नहीं कहा.''

चार मई को मणिपुर में भीड़ द्वारा निर्वस्त्र करके घुमाई गई दो महिलाओं में से एक की मां ने विपक्षी गठबंधन के सांसदों से उस दिन मारे गये उनके पति और बेटे के शव उन्हें दिखाये जाने में मदद करने का आग्रह किया. 

जब तृणमूल कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव और द्रमुक सांसद कनिमोई ने पीड़ितों में से एक की मां से मुलाकात की, तो उन्होंने उनसे कम से कम उनके बेटे और पति के शव दिखाने में मदद करने का आग्रह किया. 

उन्होंने दोनों नेताओं को यह भी बताया कि स्थिति ऐसी है कि दोनों समुदाय कुकी और मेइती अब एक साथ नहीं रह सकते हैं. 

देव ने कहा, ‘‘उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया गया और उनके पति और बेटे को भीड़ ने मणिपुर पुलिस की मौजूदगी में मार डाला, लेकिन आज तक एक भी पुलिस अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया है.''

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है. वे कह रहे हैं कि 1,000 से अधिक लोगों की भीड़ थी और उन्होंने एक विशेष मांग की है, जिसे मैं राज्यपाल के सामने उठाऊंगी.''

मणिपुर में रहने वाले कुकी समुदाय द्वारा ‘अलग प्रशासन' की मांग के खिलाफ मेइती समुदाय ने शनिवार को ‘विशाल रैली' आयोजित की जिसमें घाटी के पांच जिलों के हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. 

रैली में शामिल लोगों ने राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने की मांग की जो मई महीने के शुरुआत से ही जातीय हिंसा का सामना कर रहा है. 

कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रीटी (सीओसीओएमआई) द्वारा आयोजित रैली की शुरुआत इंफाल पश्चिम जिले के थांगमेबंद से शुरू हुई और पांच किलोमीटर की दूरी तय कर इंफाल पूर्वी जिले के हप्ता कंगजेयबुंग में संपन्न हुई. 

मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि वह उस नफरत और अविश्वास को खत्म करने के लिए काम कर रही हैं जिसने मेइती और कुकी समुदायों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है. 

चुराचांदपुर जिले में एक राहत शिविर का दौरा करने के बाद पत्रकारों से उइके ने कहा कि वह दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों से मिल रही हैं, और राज्य में शांति का माहौल बहाल करने के लिए उनका सहयोग मांग रही हैं. 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां दूसरी बार आई हूं, अपने भाई-बहनों का दुख बांटने के लिए. लगभग तीन महीने हो गए हैं ये लोग अपने घरों से दूर हैं. मैं यहां ये देखने आई हूं कि कम से कम इन लोगों को शिविर में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े.''

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 

मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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