भारतीय सेना का जवान.
नई दिल्ली:
कश्मीर में वार्ताकार की नियुक्ति का राज्य में आतंकवादियों के खिलाफ जारी सैन्य अभियानों पर कोई फर्क़ नहीं पड़ेगा. सरकार को आतंकवादियों के सफाए के लिए जो करना है वह करती रहेगी. आगे भी सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों को ढूंढकर सफाए का काम जारी रहेगा. घाटी से आतंकवादियों का सफ़ाया भी शांति की दिशा में उठाया गया कदम ही है. इसलिए घाटी में सेना के ऑपरेशन में और कश्मीर में वार्ताकार की नियुक्ति के कदम में कोई आपसी विरोधाभास नहीं है.
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जब दो तीन आतंकवादी हमले हुए और ऐसा लगा कि क्या देश को जवाब नहीं देना चाहिए. तभी सर्जिकल स्ट्राइक की गयी. किसी सर्जिकल स्ट्राइक में कितना अंदर जाना है और कितनी बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक करनी है, इसका आकलन सेना द्वारा किया जाता है. बिना राजनीतिक इच्छाशक्ति के सर्जिकल स्ट्राइक होना संभव नहीं है.
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हाल ही में म्यांमार बॉर्डर के पास जो हुआ वो सर्जिकल स्ट्राइक नहीं थी. वो आर्मी की तरफ से एक संतुलित रिस्पांस था जो देश की सीमाओं के अंदर रहते हुए ही किया गया था.
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हाल ही में म्यांमार बॉर्डर के पास जो हुआ वो सर्जिकल स्ट्राइक नहीं थी. वो आर्मी की तरफ से एक संतुलित रिस्पांस था जो देश की सीमाओं के अंदर रहते हुए ही किया गया था.
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