
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति आधारित डेटा शामिल करने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कोई प्रयास किए बिना केवल घोषणा करना पर्याप्त नहीं है. एनडीटीवी से बात करते हुए, खरगे ने कहा: "यह एक अच्छा फैसला है. इसका, हम लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. मैंने पहले और हाल ही में भी एक पत्र लिखा था... उन्हें (सरकार को) याद दिलाने के लिए."
उन्होंने कहा, "यह एक अच्छा फैसला है, लेकिन केवल बताने और चुप रहने से काम नहीं चलता. आपको बजट में रखना होगा, पर्याप्त बजट आपने नहीं रखा है, अब आपको अतिरिक्त बजट बनाना होगा. जो भी खर्च आएगा, केंद्र सरकार को उसका आवंटन करना चाहिए."
एक्स पर पहले एक पोस्ट में, खरगे ने कहा कि "इस साल के बजट में जनगणना के लिए केवल ₹ 1.575 करोड़ का आवंटित है, इसलिए यह एक जायज सवाल है कि सरकार इसे कैसे और कब पूरा करेगी". उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द बजट प्रावधान करे और जनगणना व जाति जनगणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ शुरू करे.''
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लगातार जातिगत जनगणना की माँग उठाई थी, जिसके सबसे मुखर पक्षधर श्री @RahulGandhi रहे। आज मोदी सरकार ने Census के साथ जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की है। ये सही कदम है जिसकी हम पहले दिन से माँग कर रहे थे।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) April 30, 2025
मैंने कई बार इसे संसद में उठाया और प्रधानमंत्री…
केंद्र सरकार ने एक बड़े फैसले में आगामी जनगणना प्रक्रिया में जाति गणना को "पारदर्शी" तरीके से शामिल करने का फैसला किया है. पिछली राष्ट्रव्यापी जनगणना 2011 में पूरी हुई थी और अगली दशकीय जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हो गई.
इससे पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जाति जनगणना हाशिए पर पड़े वर्गों को सशक्त बनाएगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी. उन्होंने कहा, "यह दर्शाता है कि हमारी सरकार अपने समाज और देश के मूल्यों और हितों के लिए प्रतिबद्ध है, जैसे कि अतीत में हमारी सरकार ने समाज के किसी भी वर्ग में तनाव पैदा किए बिना समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की थी."
उन्होंने यह भी कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों - कर्नाटक, तेलंगाना और बिहार का स्पष्ट संदर्भ देते हुए - ने "राजनीतिक कारणों" से सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है.
आज़ादी के बाद हुई सभी जनगणनाओं में जातियों की गणना नहीं की गई — यह कांग्रेस पार्टी के दोहरे मापदंड और पाखंड का एक और बड़ा उदाहरण है। जो काम दशकों से टाला गया, उस पर कांग्रेस ने केवल दिखावटी राजनीति की।
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) April 30, 2025
2010 में तत्कालीन PM डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में जाति जनगणना पर विचार का…
बाद में एक्स पर एक पोस्ट में, वैष्णव ने कहा, "सामाजिक न्याय सुनिश्चित करते हुए, विचारशील प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जाति जनगणना को मंजूरी देकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है."
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी "11 साल के विरोध" के बाद अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के केंद्र के "अचानक" आए फैसले का स्वागत किया, लेकिन कहा कि इसे लागू करने के लिए समयसीमा बतानी चाहिए.
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