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पूर्वोत्तर में NDA-इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ाएंगे संगमा? 'वन नॉर्थ-ईस्ट' की पहली मेगा रैली से दिए संकेत

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अगुआई में बने नए क्षेत्रीय राजनीतिक मंच ‘वन नॉर्थ-ईस्ट’ ने गुरुवार को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में पहली मेगा रैली करके पूर्वोत्तर की राजनीति में एक नए समीकरण की शुरुआत कर दी.

पूर्वोत्तर में NDA-इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ाएंगे संगमा? 'वन नॉर्थ-ईस्ट' की पहली मेगा रैली से दिए संकेत
  • मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा के नेतृत्व में बने वन नॉर्थ-ईस्ट मंच की त्रिपुरा में पहली मेगा रैली हुई
  • रैली में पूर्वोत्तर के प्रमुख नेता शामिल हुए. यह NDA-इंडिया गठबंधन के समानांतर नई ताकत बन सकता है
  • रैली में टिपरा मोथा के संस्थापक प्रद्योत माणिक्य और पूर्व बीजेपी नेता म्हनलुमो किकोन प्रमुख रूप से शामिल हुए
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मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अगुआई में बने नए क्षेत्रीय राजनीतिक मंच ‘वन नॉर्थ-ईस्ट' ने गुरुवार को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में अपनी पहली मेगा रैली की. इस रैली ने पूर्वोत्तर की राजनीति में एक नए समीकरण की शुरुआत कर दी है, जिसे एनडीए और इंडिया गठबंधन के समानांतर उभरती ताकत के रूप में देखा जा रहा है. 

'वन नॉर्थ-ईस्ट' की इस पहली बड़ी रैली में पूर्वोत्तर के कई प्रमुख नेता शामिल हुए. इनमें त्रिपुरा के टिपरा मोथा के संस्थापक प्रद्योत माणिक्य देब बर्मन और पूर्व बीजेपी नेता म्हनलुमो किकोन प्रमुख रूप से शामिल थे.

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कॉनराड संगमा ने इस दौरान कहा कि जब तक हम अलग-अलग और असंगठित थे, हमारी आवाज को दबा दिया जाता था या अनसुना कर दिया जाता था क्योंकि हम कमजोर थे. यह मंच किसी के खिलाफ नहीं है. इसका मकसद सभी को एक साथ लाना है. उन्होंने कहा कि मंच का लक्ष्य पूर्वोत्तर की चिंताओं पर काम करना और ताकत को एकजुट करना है ताकि कोई भी अकेला महसूस न करे.

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि इसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि विभिन्न राज्यों, समुदायों और राजनीतिक दलों के नेता हमारे साथ जुड़ रहे हैं. यह देश को एक मजबूत संदेश देगा कि क्षेत्र के लोग एक साथ आ रहे हैं और  वर्तमान व भविष्य की पीढ़ी के लिए मिलकर लड़ेंगे. 

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रैली के प्रमुख मुद्दों में भूमि अधिकारों के संरक्षण, गैर-आईएलपी राज्यों में भी इनर लाइन परमिट (ILP) की व्यवस्था लागू करवाना, देशी स्वायत्तता को बढ़ावा देना शामिल रहे. इस दौरान नेताओं ने जोर देकर कहा कि इन मुद्दों को अलग अलग उठाने के बजाय अब समन्वित अब मिलकर दबाव बनाने की जरूरत है ताकि बदलाव लाया जा सके.

टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य  ने रैली के आयोजन में आई चुनौतियों का जिक्र किया और बताया कि अनुमति न मिलने के कारण कुछ शुरुआती कार्यक्रम रद्द करने पड़े थे. रैली के दिन कई ट्रेनें रद्द होने से बहुत से लोग शामिल नहीं हो पाए. लेकिन जिस तरह से लोगों की प्रतिक्रिया मिली है, उससे मैं खुश हूं और मुझे लगता है कि यह एक शुरुआत है. अब समय आ गया है कि पूर्वोत्तर के स्वदेशी लोग अपने अस्तित्व, अपने भविष्य और अगली पीढ़ी के लिए एक सुर में आवाज उठाएं.

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