राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने फिलहाल ठोस और तरल कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए ओडिशा सरकार (Government of Odisha) पर 1,138 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने से परहेज किया है. एनजीटी ने उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने एक हलफनामे में कहा कि ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए जल्द ही 1,152 करोड़ रुपये एक अलग खाते में जमा किए जाएंगे.अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के हलफनामे को ध्यान में रखते हुए ‘‘हम फिलहाल ओडिशा राज्य पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाने से परहेज कर रहे हैं.'' इसने राज्य के मुख्य सचिव को छह मासिक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
आपको बता दें कि National Green Tribunal (एनजीटी) जिसे ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण' के नाम से जाना जाता है. एनजीटी की स्थापना 18 अक्तूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के अंतर्गत की गई थी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 के अंतर्गत भारतीय नागरिकों को स्वस्थ पर्यावरण प्रदान करने के अधिकार के विषय में विस्तार पूर्वक बताया गया है.
एनजीटी का उद्देश्य भारत में पर्यावरण से सम्बंधित मामलों को तेजी के साथ निर्णय प्रदान करना है, जिससे भारत की न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ कम हो सके. एनजीटी के द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में 90 दिनों के अंदर याचिका डाली जा सकती है. इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एनजीटी काम करता है.
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