नई दिल्ली:
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए केजरीवाल मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसलों के बाबत मुख्य सचिव केके शर्मा ने कहा कि 3-4 हफ्तों में दिल्ली की सड़कों की वैक्यूम क्लीनिंग की जाएगी यानि सड़कों से पूरी तरह से धूल हटाई जाएगी। साथ ही सरकार ज्यादा से ज्यादा बसें चलाएगी।
शर्मा ने बताया कि बाहर से दिल्ली आने वाले ट्रकों की जांच की जाएगी। कैबिनेट ने बाहरी ट्रकों की एंट्री भी 9 बजे के बजाए 11 बजे करने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही दिल्ली में यूरो 6, 2017 से लाने की योजना है। शर्मा ने कहा, यातायात रोकने वाली पार्किंग भी हटाई जांएगी। उन्होंने बताया कि दादरी के बिजली प्लांट से भी काफी प्रदूषण होता है, लिहाजा यूपी सरकार से इस प्लांट को बंद करने को कहा गया है। (पढ़ें : ज़हरीली हुई राजधानी : दिल्ली का आनंद विहार प्रदूषण के मामले में देशभर में अव्वल)
इससे पहले केजरीवाल कैबिनेट ने फैसला लिया कि अब दिल्ली में नंबर के हिसाब से सड़कों पर गाड़ियां चलेंगी। 2,4,6,8,0 के नंबर वाली गाड़ियां पहले दिन और 1,3,5,7,9 की गाड़ियां दूसरे दिन चलेंगी। यानि पहले दिन सम संख्या वाली और दूसरे दिन विषम संख्या वाली गाड़ियां चलेंगी। यह नियम सार्वजनिक परिवहन पर लागू नहीं किया जाएगा और इसे एक जनवरी से लागू किए जाने की बात कही जा रही है। सरकार का कहना है कि इस तरीके के ज़रिए राज्य में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को आधा किया जा सकता है। हालांकि इस फैसले की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। (पढ़ें : क्या हम चीन की तरह प्रदूषण पर तीन दिन में नियंत्रण पा सकते हैं?)
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार एक्शन के मोड में आ गई है। सीएम केजरीवाल ने इस बारे में विचार के लिए शुक्रवार को इमरजेंसी बैठक बुलाई जिसमें यह फैसला लिया गया है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने प्रदूषण के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए इस समस्या की तुलना 'गैस चेंबर में रहने' से की थी जिसके बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह बैठक बुलाई।
कोर्ट ने 21 दिसंबर तक एक्शन प्लान मांगा
गुरुवार को कोर्ट ने सख़्त लहजे में पूछा था कि क्या सरकार ने प्रदूषण की जांच के लिए कोई कदम उठाए हैं। इसके साथ ही अदालत ने 21 दिसंबर तक समयबद्ध एक्शन प्लान पेश करने को कहा था। जज ने कहा था कि पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार की ओर से पेश योजना संपूर्ण नहीं है क्योंकि इसमें जवाबदेही और टाइम लाइन के बारे में पता नहीं चलता। (पढ़ें : पीएम मोदी से अलग सुर में बोलीं मेनका गांधी, कहा-पर्यावरण को नष्ट करने में भारत भी जिम्मेदार)
इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था। ट्रिब्युनल ने बच्चों और बुजुर्गों से प्रदूषण से बचने के लिए घर में ही रहने की सलाह दी थी।
शर्मा ने बताया कि बाहर से दिल्ली आने वाले ट्रकों की जांच की जाएगी। कैबिनेट ने बाहरी ट्रकों की एंट्री भी 9 बजे के बजाए 11 बजे करने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही दिल्ली में यूरो 6, 2017 से लाने की योजना है। शर्मा ने कहा, यातायात रोकने वाली पार्किंग भी हटाई जांएगी। उन्होंने बताया कि दादरी के बिजली प्लांट से भी काफी प्रदूषण होता है, लिहाजा यूपी सरकार से इस प्लांट को बंद करने को कहा गया है। (पढ़ें : ज़हरीली हुई राजधानी : दिल्ली का आनंद विहार प्रदूषण के मामले में देशभर में अव्वल)
इससे पहले केजरीवाल कैबिनेट ने फैसला लिया कि अब दिल्ली में नंबर के हिसाब से सड़कों पर गाड़ियां चलेंगी। 2,4,6,8,0 के नंबर वाली गाड़ियां पहले दिन और 1,3,5,7,9 की गाड़ियां दूसरे दिन चलेंगी। यानि पहले दिन सम संख्या वाली और दूसरे दिन विषम संख्या वाली गाड़ियां चलेंगी। यह नियम सार्वजनिक परिवहन पर लागू नहीं किया जाएगा और इसे एक जनवरी से लागू किए जाने की बात कही जा रही है। सरकार का कहना है कि इस तरीके के ज़रिए राज्य में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को आधा किया जा सकता है। हालांकि इस फैसले की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। (पढ़ें : क्या हम चीन की तरह प्रदूषण पर तीन दिन में नियंत्रण पा सकते हैं?)
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार एक्शन के मोड में आ गई है। सीएम केजरीवाल ने इस बारे में विचार के लिए शुक्रवार को इमरजेंसी बैठक बुलाई जिसमें यह फैसला लिया गया है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने प्रदूषण के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए इस समस्या की तुलना 'गैस चेंबर में रहने' से की थी जिसके बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह बैठक बुलाई।
कोर्ट ने 21 दिसंबर तक एक्शन प्लान मांगा
गुरुवार को कोर्ट ने सख़्त लहजे में पूछा था कि क्या सरकार ने प्रदूषण की जांच के लिए कोई कदम उठाए हैं। इसके साथ ही अदालत ने 21 दिसंबर तक समयबद्ध एक्शन प्लान पेश करने को कहा था। जज ने कहा था कि पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार की ओर से पेश योजना संपूर्ण नहीं है क्योंकि इसमें जवाबदेही और टाइम लाइन के बारे में पता नहीं चलता। (पढ़ें : पीएम मोदी से अलग सुर में बोलीं मेनका गांधी, कहा-पर्यावरण को नष्ट करने में भारत भी जिम्मेदार)
इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था। ट्रिब्युनल ने बच्चों और बुजुर्गों से प्रदूषण से बचने के लिए घर में ही रहने की सलाह दी थी।
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