मनसे प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. ये वारंट सांगली कोर्ट ने 6 अप्रैल 2022 को ही जारी किया है, बावजूद इसके आज तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. ये मामला साल 2008 का है, जिसमें आईपीएस की धारा 109, 117, 143 लगाई गई है. मुंबई पुलिस ने एक्ट 135 के तहत मामला दर्ज किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुतबाकि- 5-10 साल से पुराना कोई मामला हो, तो उस पर जल्द से जल्द कार्रवाई करके फैसला होना चाहिए.
बता दें कि राज ठाकरे एक ओर मामले को लेकर चर्चा में हैं. महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सोमवार को कहा कि औरंगाबाद के पुलिस आयुक्त महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के वहां दिये गए भाषण का अध्ययन कर हैं और इस मामले में कानूनी राय लेने के बाद आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा. राज ठाकरे ने एक दिन पहले औरंगाबाद में रैली को संबोधन के दौरान तीन मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाने की मांग पर कड़ा रवैया अपनाते हुए प्रशासन और पुलिस को समय-सीमा दी थी.
राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद में एक रैली में राज ठाकरे ने कहा था कि वह मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए तीन मई की समय सीमा पर अडिग हैं और अगर ऐसा नहीं किया गया, तो सभी हिंदुओं को इन धार्मिक स्थलों के बाहर हनुमान चालीसा बजाना चाहिए. पाटिल ने कहा कि ऐसा मानने की कोई वजह नहीं है कि राज्य सरकार किसी की चेतावनी से डर जाएगी. उन्होंने पुणे में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ''औरंगाबाद के पुलिस आयुक्त इसका ( राज ठाकरे का भाषण) अध्ययन कर रहे हैं और इस संबंध में कानूनी राय लेंगे तथा अगली रणनीति तय करेंगे.'' मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में कानून का शासन है और हर चीज कानून के अनुसार ही होगी. (इमपुट्स भाषा से भी)
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