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बैंक से 122 करोड़ रुपए के घोटाले मामले में आरोपी को राहत नहीं, कोर्ट ने खारिज की अर्जी, जानें क्या है मामला?

New India Co-operative Bank Scam: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में आरोपी जावेद को कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने जावेद की जमानत की याचिका को खारिज कर दिया है.

बैंक से 122 करोड़ रुपए के घोटाले मामले में आरोपी को राहत नहीं, कोर्ट ने खारिज की अर्जी, जानें क्या है मामला?

New India Co-operative Bank Scam Case: बीते दिनों न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 122 करोड़ के घोटाले मामले में गिरफ्तार आरोपी जावेद इकबाल (Javed Iqbal) आजम, (47) ने कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. सूत्रों की मानें, तो 30 अप्रैल को कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. जावेद की जमानत की अर्जी का विरोध करते हुए मुंबई पुलिस की EOW ने कोर्ट को कहा था कि अगर जावेद को जमानत मिलेगी, तो वह सबूत के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. इसके अलावा वह गवाहों को भी गुमराह कर सकता है. 

पुलिस ने रखी अपनी दलील

पुलिस ने कोर्ट को मामले में बताया कि उनके पास ऐसे सबूत मिले हैं, जो बताते हैं कि इस घोटाले का 18 करोड़ रुपए जावेद के पास है, जिसे रिकवर करना अभी बाकी है. आरोपी ने बिहार में डिजिटल दुनिया नाम की दुकान खोली थी. इस दुकान से वह इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचता था. शुरुआती जांच में पता चला कि आरोपी ने डिजिटल दुनिया नाम की इस दुकान में करीब 10 करोड़ रुपए कीमत का इलेक्ट्रॉनिक सामान रखा था. गिरफ्तारी के बाद बहुत से इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट को वहां से लोगों ने हटा लिया. 

पुलिस जब वहां पहुंची, तो पुलिस को कुछ ही इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट मिले, जिनकी वैल्यू करीब 52 लाख रुपए है. इसके अलावा बैंक के पूर्व CEO अभिमन्यु भोवन की जमानत अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

डिफेंस ने कहा कि हीरेन मेहता ने अभिमन्यु को 1 करोड़ रुपए सौंपे थे. उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि आरबीआई द्वारा बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं में छापेमारी के बाद, वे भोआन के एचडीएफसी बैंक लॉकर तक पहुंचे और उन्हें कथित तौर पर उनकी ज्ञात आय से अधिक संपत्ति के दस्तावेज मिले.

ईओडब्ल्यू ने दी अहम जानकारी

ईओडब्ल्यू ने आगे तर्क दिया कि भोआन और मेहता बैंक में नकदी प्रतिधारण सीमा के बारे में पूरी तरह से जानते थे, जिसे 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया था. जांच अधिकारी ने आगे दावा किया कि भोआन के लैपटॉप पर हिरेन और गौरी भानु के पासपोर्ट और ट्रैवेल डॉक्युमेंट्स भी मिले, जिससे उसे फरार भानु दंपत्ति से जोड़ा जा सका. 

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भोआन के वकील ने जवाब दिया कि उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी थी और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार ब्रेन-मैपिंग और पॉलीग्राफ परीक्षण नहीं किए गए थे. इस 122 करोड़ के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में अब भी EOW को मामले में फरार चल रहे पूर्व चेयरमैन हीरेन भानु और  गौरी भानु की तलाश चल रही है.

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