अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/STs) के लिए आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुक्रवार को मोदी कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक के बाद सरकार ने कहा कि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है, जैसा कि बीआर अंबेडकर ने परिकल्पना की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते अपने फैसले में कहा था कि राज्यों को अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए आरक्षित श्रेणी में कोटा देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है.
संविधान के अनुसार हो SC-ST आरक्षण का प्रावधान : वैष्णव
वैष्णव ने कहा, "बीआर अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है." साथ ही उन्होंने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुसार होना चाहिए.
यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुद्दा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री या प्रधानमंत्री द्वारा उठाया गया था, वैष्णव ने कहा कि यह कैबिनेट का विचार है.
संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से सुनाया था फैसला
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया था और कहा था कि राज्यों द्वारा एससी और एसटी के उप-वर्गीकरण की अनुमति दी जा सकती है, जिससे इन समूहों में अधिक पिछड़ी जातियों को कोटा दिया जा सके. पीठ ने छह अलग-अलग फैसले सुनाए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोटे में कोटा तर्कसंगत अंतर पर आधारित होगा. इसे लेकर राज्य मनमर्जी से काम नहीं कर सकते हैं. राज्यों की गतिविधियां न्यायिक समीक्षा के अधीन होगी.
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