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This Article is From Oct 05, 2021

'38 घंटे बाद भी न कोई आदेश दिया गया, न नोटिस' : यूपी में गिरफ्तारी को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा का बयान

प्रियंका की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है, '38 घंटे बीत चुके हैं. मुझे न तो कोई ऑर्डर (गिरफ्तारी को लेकर) दिया गया है और न नोटिस '

'38 घंटे बाद भी न कोई आदेश दिया गया, न नोटिस' : यूपी में गिरफ्तारी को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा का बयान
नई दिल्‍ली:

यूपी में किसानों की मौत के बाद लखीमपुर खीरी जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra)को उत्तर प्रदेश पुलिस ने रोक दिया था और हिरासत में ले लिया था. प्रियंका को सीतापुर जिले में गेस्‍ट हाउस में रखा गया है. प्रियंका की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है, '38 घंटे बीत चुके हैं. मुझे न तो कोई ऑर्डर (गिरफ्तारी को लेकर) दिया गया है और न नोटिस 'प्रियंका की ओर से जारी बयान में  कहा गया है, 'मुझे  चार अक्‍टूबर को सुबह 4.30 बजे अरेस्‍ट किया गया. अरेस्‍ट करने वाले अधिकारी डीसीपी पीयूष कुमार सिंह (CO City, Sitapur) ने मौखिक तौर पर बताया कि सेक्‍शन 151 के अंतर्गत यह गिरफ्तारी की गई है. '

प्रियंका के बयान के अनुसार, 'जिस समय मुझे अरेस्‍ट किया गया, मैं सीतापुर जिले में यात्रा कर रही थी जो कि लखीमपुरी खीरी जिले की सीमा से करीब 20 KM दूर है जहां धारा 144 लागे थी. मेरी जानकाीर के अनुसार, सीतापुर में धारा 144 लागू नहीं थी.बहरहाल, मैं, चार अन्‍य लोगों के साथ एक वाहन पर यात्रा कर रही थी, इसमें दो स्‍थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता के अलावा दीपेंद्र हुड्डा और संदीप सिंह थे. इन चार लोगों के अलावा कोई सुरक्षा वाहन या कांग्रेस  कार्यकर्ता मेरे साथ नहीं था.इसके बाद मुझे दो महिला और दो पुरुष कांस्‍टेबल की साथ सीतापुर के PAC कंपाउंड ले जाया गया.इसके बाद मुझे दो महिला और दो पुरुष कांस्‍टेबल की साथ सीतापुर के PAC कंपाउंड ले जाया गया.इपांच अक्‍टूबर की शाम 6.30 बजे तक मुझे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है, इस बारे में यूपी पुलिस या प्रशासन की ओर से जानकारी नहीं दी गई है. '

प्रियंका के बयान में कहा गया है, 'मुझे न तो कोई ऑर्डर या नोटिस दिया गया है, न ही मुझे एफआईआर दिखाई गई है. मैंने सोशल मीडिया पर एक पेपर कए एक हिस्‍सा देखा है जिसमें उन्‍होंने 11 लोगों का नाम दिया है, इसमें से 8 तो मेरी गिरफ्तारी के समय मौजूद भी नहीं थे. तथ्‍य यह है कि इन्‍होंने उन दो लोगों के नाम भी दिए हैं जो चार अक्‍टूबर की दोपहर को लखनऊ से मेरे कपड़े लेकर लाए थे. यहीं नहीं, मुझे न तो मजिस्‍ट्रेट या किसी अन्‍य न्‍यायिक अधिकारी के समक्ष पेश किया गया है.  मुझे अपने कानूनी सलाहकार से भी मिलने नहीं दिया गया. '

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