प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के अन्य मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन भेजा है. केजरीवाल को 18 मार्च को एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी के कार्यालय में अधिकारियों के सामने पेश होने और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है. दिल्ली की मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने इस समन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर निशाना साधा और इसे "फर्जी समन" बताया.
केजरीवाल की कैबिनेट सहयोगी आतिशी ने कहा, "कोई नहीं जानता कि यह डीजेबी (दिल्ली जल बोर्ड) मामला किस बारे में है. यह किसी भी तरह केजरीवाल को गिरफ्तार करने और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने की एक बैकअप प्लान लगता है."
"केजरीवाल ने हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार किया"
आतिशी पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार किया है. मनोज तिवारी ने कहा, 'अरविंद केजरीवाल के पास अब सम्मान नहीं, सिर्फ समन है. लगता है अरविंद केजरीवाल ने हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार किया है.
"केजरीवाल का ज्ञान शून्य"
बीजेपी नेता बांसुरी स्वराज ने आतिशी के दावों को गलत बताते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल सुशिक्षित हैं और उनके कैबिनेट मंत्री भी. हालांकि जब कानून की बात आती है, तो उनका ज्ञान शून्य है. जांच शराब घोटाले के संबंध में है क्योंकि आरोप गंभीर हैं. आरोप कहते हैं कि AAP नेताओं ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है.
दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने कहा, "ईडी ने कानून के मुताबिक समन जारी किया है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री इससे भाग रहे हैं... और केवल वही जानते हैं कि ऐसा क्यों है? वैसे, उन्हें पीड़ित कार्ड खेलने की आदत है."
क्या है दिल्ली जल बोर्ड
दिल्ली जल बोर्ड मामले में केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी एक टेंडर से रिश्वत का पैसा चुनावी फंड के रूप में AAP को दिया गया था. जांच के दौरान ईडी ने फरवरी में केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार, आप सांसद एनडी गुप्ता, पूर्व डीजेबी सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल से जुड़े स्थानों पर छापा मारा. जनवरी में रिश्वत मामले में रिटायर चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, अरोड़ा ने एक कंपनी एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को डीजेबी का ठेका 38 करोड़ रुपये में दिया था, जबकि कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती थी.
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