नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब दिल्ली में नोटबंदी पर उनके विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा बनने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन किया तो उन्होंने बेहद सरल शब्दों में उनको जवाब दिया. नीतीश कुमार ने ममता से कहा कि जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी के इस कदम पर हस्ताक्षर कर दिए हैं तो यह विरोध बेमानी हो जाता है.
पटना में विधायकों के एक समूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह बात कही. हालांकि ये विधायक उनकी पार्टी के न होकर सहयोगी लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के थे. लालू प्रसाद ने निजी तौर पर मुख्यमंत्री को इस समूह को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था.
नीतीश कुमार की उपस्थिति लालू खेमे को यह आश्वस्त करने के लिए थी कि पीएम मोदी के नोटबंदी के कदम का समर्थन करने के बावजूद वह बीजेपी के लिए मौजूदा सहयोगियों को छोड़ने वाले नहीं हैं. गौरतलब है कि लगभग दो दशकों तक बीजेपी के साथ गठजोड़ को 2013 में तोड़कर वह अलग हो गए थे.
वहीं दूसरी ओर नोटबंदी के फैसले को रद करने की मांग कर रहीं ममता बनर्जी मंगलवार शाम को पटना पहुंची. मंगलवार को लखनऊ की तर्ज पर वह बुधवार को यहां भी इस फैसले के खिलाफ आयोजित विरोध रैली का आयोजन करने जा रही हैं. ममता बनर्जी इस बात से खफा बताई जा रही हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विपरीत नीतीश ने कैबिनेट मंत्री को उनकी आगवानी के लिए नहीं भेजा. इसके साथ ही स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता ममता के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होगा.
हालांकि शाम को जब ममता बनर्जी की मुलाकात लालू प्रसाद से हुई तो उनको यह बताया गया कि राजद के प्रतिनिधि उनके आयोजन में शामिल होंगे. हालांकि सूत्रों के मुताबिक नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल लालू के दोनों पुत्र इस आयोजन में शिरकत नहीं करेंगे.
इसके साथ ही राजद खेमे की मीटिंग में नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि भविष्य में राज्य विधानसभा में जब विपक्षी बीजेपी लालू के खिलाफ हमलावर होगी तो उनकी पार्टी के लोग लालू का बचाव करेंगे. गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में ऐसा नहीं हुआ था और लालू प्रसाद ने नीतीश को फोन कर इसकी शिकायत की थी.
पटना में विधायकों के एक समूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह बात कही. हालांकि ये विधायक उनकी पार्टी के न होकर सहयोगी लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के थे. लालू प्रसाद ने निजी तौर पर मुख्यमंत्री को इस समूह को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था.
नीतीश कुमार की उपस्थिति लालू खेमे को यह आश्वस्त करने के लिए थी कि पीएम मोदी के नोटबंदी के कदम का समर्थन करने के बावजूद वह बीजेपी के लिए मौजूदा सहयोगियों को छोड़ने वाले नहीं हैं. गौरतलब है कि लगभग दो दशकों तक बीजेपी के साथ गठजोड़ को 2013 में तोड़कर वह अलग हो गए थे.
वहीं दूसरी ओर नोटबंदी के फैसले को रद करने की मांग कर रहीं ममता बनर्जी मंगलवार शाम को पटना पहुंची. मंगलवार को लखनऊ की तर्ज पर वह बुधवार को यहां भी इस फैसले के खिलाफ आयोजित विरोध रैली का आयोजन करने जा रही हैं. ममता बनर्जी इस बात से खफा बताई जा रही हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विपरीत नीतीश ने कैबिनेट मंत्री को उनकी आगवानी के लिए नहीं भेजा. इसके साथ ही स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता ममता के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होगा.
हालांकि शाम को जब ममता बनर्जी की मुलाकात लालू प्रसाद से हुई तो उनको यह बताया गया कि राजद के प्रतिनिधि उनके आयोजन में शामिल होंगे. हालांकि सूत्रों के मुताबिक नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल लालू के दोनों पुत्र इस आयोजन में शिरकत नहीं करेंगे.
इसके साथ ही राजद खेमे की मीटिंग में नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि भविष्य में राज्य विधानसभा में जब विपक्षी बीजेपी लालू के खिलाफ हमलावर होगी तो उनकी पार्टी के लोग लालू का बचाव करेंगे. गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में ऐसा नहीं हुआ था और लालू प्रसाद ने नीतीश को फोन कर इसकी शिकायत की थी.
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