आज बिहार कैबिनेट की बैठक में दो महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए गए. पहले बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण संशोधन विधेयक को संविधान की नौवीं अनूसूची में डालने के लिए केंद्र से आग्रह किया गया जिससे न्यायिक समीक्षा ना हो. दूसरा ये कि एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया. सीएम नीतीश कुमार ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने की पुनः मांग की. देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है. जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिये आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.
सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है. जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाये गये हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी. 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60 हजार रूपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है. इसके साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे। जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जायेगा जिसके लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रूपये की दर से राशि उपलब्ध करायी जायेगी.
सतत् जीविकोपार्जन योजना के अन्तर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब 01 लाख रूपये के बदले 02 लाख रूपये दिये जायेंगे. इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी. इन कामों के लिये काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाय तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे. हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं. इसके लिए 24 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी. हमारी माँग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया. मई, 2017 में भी हमलोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था. आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने हेतु केन्द्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार बिहार को शीघ्र विशेष राज्य का दर्जा दे.
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