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Exclusive : "प्‍यार और राजनीति में सब जायज है" : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का इशारा किस ओर?

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2024) को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एनडीटीवी को एक इंटरव्‍यू दिया है, जिसमें गडकरी ने कहा कि राजनीति में कहते हैं कि प्‍यार और राजनीति में सब जायज है.

मुंबई:

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2024) को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एनडीटीवी के साथ एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू में महायुति की जीत का विश्‍वास जताया है. साथ ही पार्टी तोड़ने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि शरद पवार ने अपने समय में ऐसा किया था. उन्‍होंने कहा कि कहते हैं कि प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज है. कभी-कभी इन बातों से फायदा होता है तो कभी रिएक्‍शन भी होता है. इसके साथ ही गडकरी ने शिवसेना और एनसीपी के टूटने, मराठा आंदोलन, जातिवाद, असली शिवसेना सहित विभिन्‍न मुद्दों पर बेबाकी से जवाब दिए.

शिवसेना और राकांपा के टूटने और भाजपा पर जोड़तोड़ के आरोपों पर गडकरी ने कहा, "शरद पवार महाराष्‍ट्र में बहुत कद्दावर नेता हैं. जब वह मुख्‍यमंत्री थे तब उन्‍होंने हर पार्टी को तोड़ा. राजनीति में यह अक्‍सर होता है. यह सही है या गलत यह अलग बात है, लेकिन राजनीति में कहते हैं कि एवरीथिंग फेयर इन लव एंड पॉलिटिक्‍स. कभी-कभी यह बातें होती हैं. कभी जनता में इसका फायदा होता है तो कभी इसका रिएक्‍शन भी होता है." 

ना संविधान बदलने वाले हैं, ना किसी को बदलने देंगे : गडकरी 

उन्‍होंने पिछले लोकसभा चुनाव को लेकर कहा, "पिछले चुनाव में यह गलत प्रचार किया गया था कि हमारी सरकार आएगी तो बाबा साहेब का संविधान बदल देगी, बाद में यह झूठा प्रचार निकला. ना हम संविधान बदलने वाले हैं, ना बदलने का इरादा है, ना हम किसी को बदलने देंगे." 

गडकरी कांग्रेस पर भी जमकर बरसे और आपातकाल को याद दिलाते हुए कहा कि इंदिरा गांधी जब चुनाव हार गई थीं तो खुद के स्‍वार्थ के लिए कांग्रेस ने संविधान को तोड़ा-मरोड़ा. बाद में जनता पार्टी ने इसे रद्द किया. उन्‍होंने कहा कि अगर किसी ने संविधान के साथ छेड़छाड़ की है तो वो कांग्रेस पार्टी है. उन्‍होंने कहा कि जब कंविंस नहीं किया जाता है तो कंफ्यूज करने की कोशिश की जाती है. अब लोगों के सामने मुद्दा साफ हुआ है. गलतफहमी दूर हुई है. लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग थे. इस वक्‍त निश्चित रूप से हमें यहां पर बढ़त है. 

उन्‍होंने आरोप लगाया, "लोकसभा में जिस तरह का कांग्रेस ने प्रचार किया और मुसलमानों के मन में वोट बैंक पॉलिटिक्‍स के लिए भय पैदा किया. दलित समाज और आदिवासी समाज में संविधान को लेकर गलतफहमी पैदा की गई. आदिवासी समाज को कहा गया कि आपका आरक्षण कम कर दिया जाएगा. यह प्रचार जिस तरह से हुआ, उसके कारण हमें तकलीफ हुई. हालांकि चुनाव के बाद यह सिद्ध हो गया है कि ऐसी कोई बात नहीं है, प्रचार झूठा था. निश्चित रूप से हमें जनता का विश्‍वास मिलेगा, यह मेरा विश्‍वास है." 

शिवसेना और भाजपा का था नेचुरल अलायंस : गडकरी 

केंद्रीय मंत्री ने भाजपा और शिवसेना के पुराने गठबंधन को याद करते हुए कहा, "बालासाहेब ठाकरे जब थे, तब पहली बार हिंदुत्‍व के विचारों के लिए गठबंधन हुआ था. वो कोई सत्ता के लिए गठबंधन नहीं था. बालासाहेब का अपना एक स्‍वभाव था. उनका नेतृत्‍व था. मैं उन भाग्‍यवान  लोगों में से हूं, जिस पर बालासाहेब का बहुत प्रेम था. वह मुझे गडकरी की जगह रोडकरी कहते थे. बालासाहेब से खुली चर्चा होती थी." 

उन्‍होंने कहा, "हिंदुत्‍व के लिए बना गठबंधन नहीं टूटता तो उसमें महाराष्‍ट्र और महाराष्‍ट्र के मराठी लोगों का हित था. दुर्भाग्‍यवश विवाद हुआ और गठबंधन टिक नहीं पाया. उस वक्‍त जो नेचुरल अलायंस था वो भाजपा और शिवसेना का थी, क्‍योंकि हिंदुत्‍व का विचार लेकर शिवसेना और भाजपा दोनों चले थे." साथ ही उन्‍होंने सवाल किया कि आज जिन पार्टियों के साथ उद्धव ठाकरे काम कर रहे हैं, वो पार्टियां कहां हिंदुत्‍ववादी हैं?

उन्‍होंने कहा, "राजनीति दो तरह की है. पॉलिटिक्‍स ऑफ कन्वीनियंस (सुविधा की राजनीति) और पॉलिटिक्‍स ऑफ कनविक्‍शन (विश्‍वास की राजनीति). मैं पॉलिटिक्‍स ऑफ कनविक्‍शन का विद्यार्थी हूं. उन्‍होंने कहा कि अब पॉलिटिक्‍स ऑफ कन्वीनियंस धीरे-धीरे हावी हो रहा है. हर आदमी एमएलए बनना चाहता है, हर आदमी मंत्री बनना चाहता है. इसके कारण विचारधारा की राजनीति में कमी आई है. इसमें लोकतंत्र का नुकसान है. इसलिए हमें विचारों के आधार पर राजनीति को मजबूत करना होगा, उसी से लोकतंत्र मजबूत होगा."

'राजनीति में अनेक सवालों के जवाब चुनावों से मिलते हैं' 

इसके साथ ही गडकरी ने असली शिवसेना के सवाल पर कहा कि राजनीति में अनेक सवालों के जवाब चुनावों से मिलते हैं, अब चुनाव हो रहा है. उन्‍होंने कांग्रेस का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जब टूटी तो इंदिरा गांधी ने नई पार्टी तैयार की. उन्‍होंने कहा कि जनता की अदालत में सब बातों के फैसले होते हैं और उनमें कुछ पार्टियां खत्‍म हो जाती हैं. कुछ पार्टियां आगे जाती हैं. 

मराठा आंदोलन के सवाल पर जवाब देते हुए गडकरी ने कहा, "महाराष्‍ट्र की जो राजनीतिक परिस्थितियां हैं, सबसे बड़े दुख की बात है कि जातिवादी माहौल ने उसे खराब किया है. पिछड़ापन एक राजनीतिक हित बनता जा रहा है. मैं किसी जाति को आरक्षण देने के विरोध में नहीं हूं. मैं यह मानता हूं कि कोई भी व्‍यक्ति जात, पंथ, धर्म, भाषा से बड़ा नहीं होता है, अपने गुणों से बड़ा होता है. जिस भाव में गैस का सिलेंडर एक मुसलमान को मिलता है, उसी भाव से हिंदू को भी मिलता है. अब दुर्भाग्‍य यह है कि आरक्षण की भी एक मर्यादा है. यह बहुत ही तेजी से बढ़ा है."

जाति के जरिये समाज को तोड़ने की कोशिश दुर्भाग्‍यपूर्ण : गडकरी 

उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबासाहेब अंबेडकर, महात्‍मा ज्‍योतिबा फुले, साहू महाराज इनके वैचारिक अधिष्‍ठान महाराष्‍ट्र में हैं. इसलिए जातिवाद मुक्‍त सुदृढ लोकतंत्र का विचार महाराष्‍ट्र ने पूरे देश को दिया है. इस समय जाति का उपयोग करके समाज को तोड़ने की कोशिश बहुत दुर्भाग्‍यपूर्ण है. मुझे लगता है कि महाराष्‍ट्र के सभी नेताओं को मिलकर एक बार महाराष्‍ट्र को इन महापुरुषों की दिशा में जाना होगा. 

उन्‍होंने कहा कि लोग कहते थे कि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आदर्श हैं और उनके लिए उनके राज्‍य को शिवशाही कहते थे. हमारे नेता बालासाहेब ठाकरे कहते थे कि महाराष्‍ट्र में शिवशाही लानी है. मुझे लगता है कि यह शिवशाही जातिवाद मुक्‍त है. शिवशाही छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्‍य ऐसा था कि जात, पंथ, भाषा धर्म के आधार पर उन्‍होंने किसी से भेदभाव नहीं किया. उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र का आधार, महाराष्‍ट्र की आत्‍मा इन सभी महापुरुषों के विचारों से जुड़ा है. एक अस्‍थायी स्थिति है, यह वक्‍त गुजर जाएगा और फिर हम सही दिशा में जाएंगे. 

गठबंधन की राजनीति पर भी बोले केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि गठबंधन की राजनीति आवश्‍यकता की राजनीति है. राजनीति राजनीतिक अंतर्विरोधों, आवश्‍यकता और सीमाओं का खेल है. ग्रासरूट पर गठबंधन की राजनीति का कोई पर्याय नहीं है.

उन्‍होंने शिवसेना और राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंट गई. इसके कारण इस समय का ध्रुवीकरण आज तक की राजनीति में अलग हुआ है. आप पूरे महाराष्‍ट्र की राजनीति को एक करके नहीं समझ सकते हैं. यहां पर संभाग और जिलेवार राजनीति के अलग-अलग आयाम हैं. उन्‍होंने कहा कि हर शहर के प्रश्‍न अलग हैं. इसलिए एक तरह की जटिल राजनीति है. इसमें गठबंधन होने के कारण मुश्किल कॉम्पिटिशन है. मुझे विश्‍वास है कि महायुति निश्चित रूप से सफल होगी. 

यदि महायुति को मिला बहुमत तो कौन होगा मुख्‍यमंत्री?

मराठा आंदोलन के अगुवा जरांगे पाटिल किसके साथ हैं? इस सवाल पर उन्‍होंने कहा कि वह किसके साथ हैं यह तो वही बता पाएंगे. साथ ही उन्‍होंने कहा कि वह बहुत ज्‍यादा देवेंद्र फउणवीस के खिलाफ बोलते हैं. मुझे लगता है कि यह उनके साथ अन्‍याय करते हैं. 

बहुमत में महायुति के बहुमत में आने पर मुख्‍यमंत्री कौन होगा? यह सवाल हर कोई जानना चाहता है. गडकरी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि लोकतंत्र में नए विधायक चुनकर आने के बाद अपने नेता का चुनाव करते हैं. जहां तक भाजपा का सवाल है पार्टी का शीर्ष नेतृत्‍व चर्चा करके यह तय करेगा. उन्‍होंने कहा कि यह चुनाव एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के नेतृत्‍व में लड़ा जा रहा है. मुझे लगता है कि तीनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. समय आने पर पार्टी नेता इसका फैसला करेंगे. 

उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में हमारी सरकार ने जो अच्‍छा काम किया है, वो लोगों के सामने है. महाराष्‍ट्र सरकार का काम भी लोगों के सामने है. उन्‍होंने कहा कि इस बार लोकसभा की तुलना में अच्‍छा माहौल है. निश्चित रूप से हमारे गठबंधन को लोग चुनेंगे. भारत सरकार ने जो काम किया है, यह उसका परिणाम है और राज्‍य सरकार की लड़की बहिन योजना का भी प्रभाव है. मेरा विचार है कि चुनाव में हमें अच्‍छी जीत हासिल होगी. 

इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में विपक्षी महा विकास अघाड़ी ने राज्य की 48 सीटों में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन को 17 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी. उधर, महाराष्‍ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 20 नवंबर को मतदान होना है. नतीजे 23 नंवबर को आएंगे.  

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