- भारत चौथा सबसे अधिक आय समानता वाला देश बना है.
- डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि सतत उच्च आर्थिक विकास से आय समानता में सुधार हुआ.
- महंगाई दर को नियंत्रित रखने से भी देश में आय समानता में वृद्धि हुई
- आर्थिक विकास के दौरान असमानता की वृद्धि से बचने की जरूरत है
नीति आयोग के सदस्य और जानेमाने अर्थशास्त्री डॉ. अरविंद विरमानी ने भारत में आय समानता को लेकर NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा अधिक समानता वाला देश बना है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सतत उच्च आर्थिक विकास दर (Sustained High Economic Growth Rate और सामाजिक कल्याण की योजनाओं (Social Welfare Schemes) का कारगर तरीके से कार्यान्वयन है.
- पिछले 10 साल में सरकार महंगाई दर को काफी हद तक नियंत्रण में रखने में कामयाब रही है.इसकी वजह से भी देश में आय समानता में काफी सुधार आया है. वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि देश में "एक्सट्रीम पॉवर्टी" घटकर 2.3% रह गई है.
- गरीबी दर में बड़ी गिरावट से भी देश में आय असमानता काफी घट गई है.
- अक्सर यह देखा गया है कि जब कोई देश काफी ज्यादा आर्थिक रफ्तार से प्रगति करता है तो वहां आर्थिक असमानता बढ़ती है.
डॉ. अरविंद विरमानी ने आगे कहा कि ऐसे में भारत को सतर्क रहना पड़ेगा. हमें यह सुनिश्चित करना पड़ेगा की 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य की तरफ जब हम तेजी से आगे बढ़े तो देश में आर्थिक असमानता ना बढ़े. हमें पता था कि भारत में आर्थिक असमानता और गरीबी घटी है, लेकिन वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में नई बात यह है कि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में आर्थिक समानता का आकलन किया गया है. हमें खुशी है की वर्ल्ड बैंक में भारत को चौथे नंबर पर रैंक किया है.
इसके कई कारण है.
- देश में गरीबी घटने के पीछे सबसे बड़ी वजह Fast, Inclusive Sustained Growth है.
- महंगाई दर पिछले 10 साल में काफी कम हो गई है. महंगाई बढ़ने का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ता है.
- देश में सामाजिक जनकल्याण से जुड़ी बड़ी योजनाओं का कार्यान्वयन कारगर तरीके से हुआ है. इससे टारगेटेड तरीके से सरकारी सुविधा गरीब जरूरतमंद लोगों तक पहुंची है.चाहे वह पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम हो एलपीजी की स्कीम हो...
- Keynesian Curve (Theory) के मुताबिक- जब इकोनामिक ग्रोथ बढ़ती है... और एक देश लो इनकम से मिडिल इनकम देश बनने की दिशा में आगे बढ़ता है तो असमानता बढ़ती है.
- इतिहास में ऐसे कई उदाहरण है ... कोई भी देश लॉ इनकम कंट्री से जब मिडिल इनकम कंट्री बनने की तरफ आगे बढ़ता है तो वहां आर्थिक असमानता बढ़ती है.
- हमारी यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम भविष्य में जब तेजी से आर्थिक प्रगति करें तो भारत में आर्थिक असमानता ना बढ़े.
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