बेंगलुरू:
तीन राज्यों में जाने-माने नेताओं और पत्रकारों की हत्या की कथित तौर पर साजिश रचने वाले एक 'संदिग्ध' आतंकी को एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने ‘वैधानिक’ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है क्योंकि एनआईए उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने में विफल रही।
आरोपी के वकील मोहम्मद सुल्तान बारी ने बताया कि एनआईए अदालत ने डीआरडीओ में वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे एजाज अहमद मिर्जा को रिहा करने का आदेश दिया।
इस मामले में दो अन्य आरोपियों पत्रकार मोति-उर-रहमान और यूसुफ नलबंद को 25 फरवरी को रिहा किया गया था। एनआईए अदालत ने इन दोनों की रिहाई का आदेश देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने लायक कोई सबूत नहीं है।
इस मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जबकि शेष 10 आरोपी फरार हैं। सिद्दीकी और नलबंद उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें आतंकी हमले की साजिश का पर्दाफाश कर अगस्त 2012 में गिरफ्तार किया गया था।
विशेष एनआईए अदालत में गत 20 फरवरी को 15 में से 12 लोगों के खिलाफ दायर अपने आरोपपत्र में एनआईए ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने विदेश में बसे लश्कर-ए-तय्यबा समर्थित नेटवर्क और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में उनके सहयोगियों के माध्यम से देश में आतंकवादी हमले करने की साजिश रची थी।
एनआईए ने नवंबर 2012 में इस मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाली थी और कहा था कि सिद्दीकी और नलबंद के खिलाफ सबूतों के अभाव में आरोप वापस लिए जा रहे हैं।
आरोपी के वकील मोहम्मद सुल्तान बारी ने बताया कि एनआईए अदालत ने डीआरडीओ में वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे एजाज अहमद मिर्जा को रिहा करने का आदेश दिया।
इस मामले में दो अन्य आरोपियों पत्रकार मोति-उर-रहमान और यूसुफ नलबंद को 25 फरवरी को रिहा किया गया था। एनआईए अदालत ने इन दोनों की रिहाई का आदेश देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने लायक कोई सबूत नहीं है।
इस मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जबकि शेष 10 आरोपी फरार हैं। सिद्दीकी और नलबंद उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें आतंकी हमले की साजिश का पर्दाफाश कर अगस्त 2012 में गिरफ्तार किया गया था।
विशेष एनआईए अदालत में गत 20 फरवरी को 15 में से 12 लोगों के खिलाफ दायर अपने आरोपपत्र में एनआईए ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने विदेश में बसे लश्कर-ए-तय्यबा समर्थित नेटवर्क और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में उनके सहयोगियों के माध्यम से देश में आतंकवादी हमले करने की साजिश रची थी।
एनआईए ने नवंबर 2012 में इस मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाली थी और कहा था कि सिद्दीकी और नलबंद के खिलाफ सबूतों के अभाव में आरोप वापस लिए जा रहे हैं।