केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के लिए एक नए ऑपरेशनल बेस के अलावा सात नई सीमा बटालियनों की स्थापना के लिए 9,400 नए सैनिकों की भर्ती को आज मंजूरी दे दी. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक के दौरान प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट प्रेस ब्रीफिंग के दौरान संवाददाताओं को यह जानकारी दी.
इन ठिकानों को 2020 में मंजूरी दी गई थी
1962 के बाद चीनी आक्रामकता से निपटने के लिए आईटीबीपी के लगभग 90,000 कर्मियों को भारत के पूर्वी हिस्से पर 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रखवाली करने का काम सौंपा गया है. आईटीबीपी इस मोर्चे पर सेना के साथ काम कर रही है. भारत और चीन की सेनाएं 2020 से लद्दाख में गतिरोध में हैं. सरकार की मंजूरी के अनुसार, इस सीमा के साथ बड़े पैमाने पर अरुणाचल प्रदेश में 47 नई सीमा चौकियों और एक दर्जन 'स्टेजिंग कैंप' या सैनिकों के ठिकानों को बनाने के लिए नए जनशक्ति का उपयोग किया जाएगा. इन ठिकानों को 2020 में मंजूरी दी गई थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एलएसी की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, इन नए ठिकानों को मंजूरी दी गई थी और अब सात बटालियन और लगभग 9,400 कर्मियों वाला एक नया सेक्टर मुख्यालय स्वीकृत किया गया है.
ठिकानों की ताकत में 26 फीसदी की बढ़ोतरी होगी
अनुराग ठाकुर ने कहा कि बटालियनों और सेक्टर मुख्यालयों को 2025-26 तक स्थापित किए जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण, कार्यालय और आवासीय भवनों के निर्माण और हथियारों और गोला-बारूद के लिए 1,808.15 करोड़ रुपये का गैर-आवर्ती व्यय होने का अनुमान है, जबकि 963.68 करोड़ रुपये का आवर्ती वार्षिक व्यय वेतन और राशन मद के तहत किया जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि 47 नई सीमा चौकियों के बनने से इन ठिकानों की ताकत में 26 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, जबकि 9,400 नए जवानों के शामिल होने से इसकी ताकत में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. बल के पास वर्तमान में एलएसी पर 176 सीमा चौकियां हैं.
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