नेपाल के अलग-अलग बैराजों से छोड़े गए 10 लाख क्यूसेक पानी ने उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में भारी तबाही मचा दी है। बहराईच में घाघरा और श्रावस्ती की राप्ती नदी उफान पर है। इन दोनों ही जिलों में करीब 400 से ज्यादा गांवों में पानी भर गया है और हजारों हेक्टेयर खेत पानी में डूब गए।
दोनों जिलों में दो लाख से ज्यादा आबादी इस बाढ़ से प्रभावित हैं और 100 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। नेपाल से छोड़ा गया पानी इतनी तेजी से इन जिलों में आया कि जान बचाकर भाग रहे कई लोग पानी में बह गए।
शुक्रवार रात को बहराईच के महसी तहसील में घाघरा नदी का पानी घुसने लगा। पिपरी गांव के पेशकार यादव रात में अपना सामान लादकर जैसे ही सुरक्षित जगह जाने लगे, इनकी बेटी रामप्यारी और बेटा देवकी गहरे पानी में जा गिरे। बाद में उनके शव झाड़ियों में फंसे मिले।
राप्ती और घाघरा का कहर
आमतौर पर सामान्य सी नदी की तरह बहने वाली राप्ती नदी खतरे के निशान से 10 मीटर ऊपर बह रही है। यह नदी नेपाल के चितवन घाटी से निकलती है। नेपाल में भारी बारिश और बादल फटने के चलते राप्ती नदी में अचानक बाढ़ आ गई। श्रावस्ती जिले में नदी का पानी करीब 200 से ज्यादा गांव में भर गया है।
बहराईच-श्रावस्ती फोर लेन सड़क के ऊपर से नदी का पानी बह रहा है। 200 मीटर तक सड़क पूरी तरह गायब हो गई है, जिसके चलते श्रावस्ती दूसरे जिलों से कट गया है। यही नदी बाद में घाघरा में मिल जाती है।
घाघरा नदी ने बहराईच के महसी, मिहीपुरवा, नानपारा तहसील में भयानक तबाही मचाई है। नदी का जलस्तर अगर और बढ़ा, तो बहराईच-लखनऊ राजमार्ग को भी बंद किया जा सकता है। घाघरा नदी ने कई गांवों का अस्तित्व लगभग खत्म कर दिया है। गोंडा से बहराईच ब्रॉड गेज की रेलवे लाइन बाढ़ की वजह से बंद कर दी गई है।
बाढ़ के लिए कोई चेतावनी नहीं
हर साल नेपाल में छोड़े गए पानी से यूपी के तराई जिलों में बाढ़ आती है। लेकिन अब तक कोई ऐसी हल नहीं खोजा जा सका है,
ताकि पानी छोड़े जाने से पहले इन जिलों के अधिकारी इसके बचाव के लिए कदम उठा पाए। बहराईच के डीएम कहते हैं कि नेपाल के करनाली नदी में पानी बढ़ने से बाढ़ आई। लेकिन इसकी पहले से सूचना नहीं दी गई। सवाल यह उठता है कि हर साल इस तरह की बाढ़ के बावजूद क्यों इसका समाधान नहीं खोजा गया।
खबर है कि नेपाल की तरफ से आने वाली करनाली नदी का पानी कार्तिनिया घाट सेंचुरी में घुस गया। बहुत सारे जंगली जानवरों के मारे जाने की आशंका है। यहां से सटे मिहीपुरवा इलाके के कई गांव पानी से घिरे हैं। नावों की कमी के चलते बहुत सारे लोगों को उनके घरों से नहीं निकाला जा सका है।
धुसुवा के वीरेंद्र प्रताप सिंह कॉलेज के प्राचार्य विवेक प्रताप सिंह बताते हैं कि श्रावस्ती के रास्ते कटे होने के चलते राहत का सामान और बचाव कर्मी भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। श्रावस्ती जिले के ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में पानी भरा है। आने वाले समय में स्वास्थ्य महकमा को भी मुस्तैद होना पड़ेगा, क्योंकि बाढ़ के उतरते पानी से डायरिया का बड़ा संकट जिले में मंडरा रहा है।
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