NEET Paper Leak : नीट यूजी पेपरलीक की जांच में अब तक बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे पांच राज्यों का कनेक्शन सामने आया है. इससे लगता है कि देश भर में नकल माफिया ने संगठित रूप ले लिया है. बिहार की आर्थिक अपराध शाखा फिलहाल ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है और जांच को एक दिशा देने का काम कर रही है. इसी बीच शिक्षा मंत्रालय ने जांच सीबीआई को सौंप दी है. सीसीबीआई इस मामले में गहरी साजिश की जांच करेगी. सीबीआई ने फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में ख्यानत और आपराधिक साजिश की धाराओं में केस दर्ज किया है. राज्यों की पुलिस ने जो आरोपी पकड़े हैं उन्हें सीबीआई अपनी कस्टडी में लेगी और राज्यों की एफआईआर को भी टेकओवर करेगी. मगर सवाल यह है कि नकल माफिया कैसे फला-फूला और क्या इन पर लगाम लग पाएगी?
बिहार-झारखंड में ऐसे पकड़े गए
पटना पुलिस को 5 मई को नीट परीक्षा में गड़बड़ी की जानकारी मिली थी. पुलिस को झारखंड नंबर की डस्टर कार में सवार लोगों की जानकारी मिली थी, ये लोग परीक्षा केंद्र के आसपास मंडरा रहे थे. पुलिस ने डस्टर कार को बेली रोड पर पकड़ा और कार से तीन लोग सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार पकड़े गए. कार से चार नीट उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड भी मिले. इन चारों से सिकंदर ने सेटिंग की थी. सिकंदर ने संजीव सिंह रॉकी, नीतीश और अमित आनंद का नाम लिया था. ये लोग इसी गैंग के सदस्य थे. नीतीश पहले भी पेपर लीक में गिरफ्तार हुआ था. हालांकि नीतीश को मार्च में 4 दिन में जमानत मिल गई थी. सिकंदर ने अमित को उम्मीदवार दिए थे, वहीं अमित ने नीतीश को उम्मीदवार दिए थे. इस मामले में नीतीश ने चारों नीट अभ्यर्थियों को नीट के पेपर उपलब्ध कराए थे. सूत्रों के मुताबिक हजारीबाग ओएसिस स्कूल से नीट-यूजी का पेपर लीक हुआ था. बिहार ईओयू टीम को बुकलेट बॉक्स से भी छेड़छाड़ के सबूत मिले थे. ईओयू की टीम ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को नीट पेपर लीक से जुड़ी रिपोर्ट सौंप दी है. इस मामले में पेपर लीक के सरगना संजीव मुखिया गैंग के कई साथियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.
संजीव मुखिया गैंग कितना शातिर?
सूत्रों के अनुसार NEET पेपर लीक मामले में फंसा संजीव मुखिया अपने परिवार से अकेला ऐसा इंसान नहीं, जिसका आपराधिक इतिहास हो. मिल रही जानकारी के अनुसार संजीव का बेटा भी बीपीएससी द्वारा लिए गए शिक्षक भर्ती परीक्षा के तीसरे चरण की परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक मामले का मास्टर माइंड बताया जाता है. इस मामले में संजीव के बेटे की भी गिरफ्तारी हो चुकी है. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संजीव मुखिया के नेपाल भागने की आशंका जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि वह बीते कुछ दिनों से नेपाल में ही कहीं छिपा है.
महाराष्ट्र से दो शिक्षक गिरफ्तार
बिहार-झारखंड के बाद इस मामले का महाराष्ट्र कनेक्शन भी सामने आया है. नांदेड़ एटीएस ने महाराष्ट्र के लातूर से दो शिक्षकों को हिरासत में लिया है. एटीएस को संदेह है कि दोनों शिक्षक नीट पेपर लीक मामले में शामिल हैं. संदेह के आधार पर दोनों शिक्षकों को शनिवार रात हिरासत में लिया गया और उनसे पूछताछ की जा रही है. हिरासत में लिए गए दोनों शिक्षक लातूर में निजी कोचिंग क्लास भी चलाते हैं. आरोपी शिक्षकों में से एक लातूर और दूसरा सोलापुर में कार्यरत बताया जा रहा है. शिक्षकों के नाम संजय तुकाराम जाधव और जलील उमरखान पठान हैं. दोनों जिला परिषद स्कूलों में शिक्षक हैं.
पेपरलीक का गुजरात कनेक्शन
14 जून को गुजरात के पंचमहल जिले के गोधरा कस्बे में एक स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक सहित पांच लोगों को 27 अभ्यर्थियों से 10-10 लाख रुपये की रिश्वत लेकर राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) पास कराने में कथित तौर पर मदद करने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. नौ मई को दर्ज प्राथमिकी के अनुसार इस मामले का पर्दाफाश गोधरा के एक स्कूल में हुआ जिसे नीट-यूजी के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया था. प्राथमिकी के अनुसार जिलाधिकारी को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए गलत काम कर रहे हैं, जिसके बाद पांच मई को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया था. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में तुषार भट्ट, स्कूल के प्रधानाचार्य पुरुषोत्तम शर्मा, वडोदरा के शिक्षा सलाहकार परशुराम रॉय, उनके सहयोगी विभोर आनंद और बिचौलिया आरिफ वोहरा शामिल हैं. जिला शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर गोधरा तालुका पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार भट्ट से सात लाख रुपये नकद बरामद किए गए. तुषार भट्ट जय जलाराम स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और उन्हें शहर में नीट के लिए उप केंद्र अधीक्षक नियुक्त किया गया था. परशुराम रॉय ने अपने कम से कम 27 छात्रों को यह भरोसा दिलाया था कि वह 10 लाख रुपये लेकर उन्हें परीक्षा पास कराने में मदद कर सकते हैं. छापेमारी के दौरान उसके कार्यालय से 2.30 करोड़ रुपये के चेक मिले.
उत्तर प्रदेश में रवि अत्री गिरोह
नीट पेपर लीक मामले में रवि अत्री को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार कर लिया है. ग्रेटर नोएडा के नीमका गांव का रहने वाला अत्री विभिन्न राज्यों में विभिन्न परीक्षाओं के पेपर लीक में कथित संलिप्तता के लिए जाना जाता है. उसकी कार्यप्रणाली में कथित तौर पर 'सॉल्वर गैंग' नामक नेटवर्क के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हल किए गए प्रश्न पत्र अपलोड करना शामिल है. अत्री को 2012 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक करने में उसकी कथित भूमिका के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी गिरफ्तार किया था. बिहार पुलिस ने राज्य के बाहर भी अपनी जांच का विस्तार करते हुए एक छात्र और सहयोगियों सहित पेपर लीक मामले से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान अत्री के साथ इनके संबंध सामने आए, जिसके बाद आखिरकार यूपी एसटीएफ ने अत्री को पकड़ लिया. 2007 में अत्री के परिवार ने उसे मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा भेजा था. 2012 में उसने परीक्षा पास कर ली और पीजीआई रोहतक में दाखिला ले लिया. हालांकि चौथे साल में अत्री परीक्षा में शामिल नहीं हुआ. अधिकारियों ने कहा कि तब तक वह 'एग्जाम माफिया' के संपर्क में आ चुका था और अन्य उम्मीदवारों के स्थान पर परीक्षा में बैठता था. उसने लीक पेपरों को छात्रों के बीच प्रसारित करने में भी अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी.
सिकंदर और अत्री का संबंध
सूत्रों के अनुसार अत्री गिरोह के सदस्यों ने बिहार में सिकंदर और संजीव को प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए थे. अत्री गिरोह के रवि अत्री का नाम पहले भी कई परीक्षा के पेपर लीक को लेकर सामने आ चुका है. वो फिलहाल ऐसे ही एक मामले में मेरठ की जेल अपनी सजा काट रहा है. उसपर आरोप है कि उसने उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले हुए कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का भी पेपर लीक करवाया था. पुलिस को संदेह है कि अत्री गिरोह ने ही इस बार भी पेपर लीक किया है और परीक्षा से ठीक एक दिन पहले इन प्रश्न पत्रों को सॉल्वर गैंग तक पहुंचाया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपियों ने झारखंड के रास्ते बिहार तक ये प्रश्न पत्र पहुंचाए थे.
नया पेपर लीक कानून कैसे कसेगा शिकंजा?
शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में भर्ती के लिए होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के मामलों में देश में शुक्रवार को पेपर लीक कानून लागू कर दिया गया. पेपर लीक कानून इसी साल फरवरी में पारित हुआ था. सरकार ने शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी. इसे 'लोक परीक्षा कानून 2024' (Public Examination Act 2024) नाम दिया गया है. इसके लागू होने के बाद सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने पर तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. संगठित रूप से इस तरह का अपराध करने पर एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. इस कानून से पहले, परीक्षाओं के संचालन में शामिल विभिन्न एजेंसियों द्वारा कोई धांधली किए जाने या अपराध होने की स्थिति में उससे निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं था. यही कारण था कि देश में कई गिरोह काम कर रहे थे और पकड़े जाने पर चंद दिनों में ही जमानत पर बाहर आ जाते थे. नीतीश, संजीव मुखिया और अत्री इसके उदाहरण हैं.
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