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तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण... दो देशों के बीच कानूनी संधियों की ताकत, 'रूल ऑफ लॉ' में समझिए क्या होता है Extradition

भारत की 50 से ज्यादा देशों के साथ Extradition Treaties हैं, जिनमें अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और UAE शामिल हैं. तहव्वुर राणा का मामला इसी Treaty की वजह से संभव हो पाया है.

नई दिल्ली:

NDTV के ब्रांड न्यू शो 'रूल ऑफ लॉ' में जानी मानी वकील सना रईस खान लोगों को कानून की बारीरियों के बारे में बताती हैं.  आम आदमी आसानी से अपने देश के काननू और अपने अधिकारों को समझ सके, इसलिए NDTV ये स्पेशल शो लेकर आया है. इसमें आज का केस International Justice, आतंकवाद और देशों के बीच कानूनी संधियों की ताकत को लेकर है, यानी ताहव्वुर हुसैन राणा के Extradition की, जो 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों का एक आरोपी है.

आइए समझते हैं कि Extradition क्या होता है? इसे Govern करने वाले कानून कौन से हैं? और इतिहास इस बारे में हमें क्या बताता है कि न्याय की लड़ाई में यह कानूनी उपकरण कितना प्रभावशाली है?

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Extradition क्या है? 

Extradition एक Legal Process है, जिसके तहत एक देश किसी अपराधी या किसी अपराध के आरोपी को Formally उस देश को सौंपता है, जहां उसे मुकदमे का सामना करना होता है या सजा काटनी होती है. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एक  Sovereign Nation न्याय के हित में, दूसरे राष्ट्र के साथ सहयोग करता है, ताकि ये तय हो सके कि कोई अपराधी केवल सीमा पार करके कानून से बच नहीं सकता.

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लेकिन Extradition अपने आप नहीं होता. यह दो देशों के बीच कानूनी समझौतों पर आधारित होता है, जिन्हें Extradition Treaties कहा जाता है.

Extradition Treaty क्या है? 

Extradition Treaty दो या अधिक देशों के बीच एक Formal समझौता है, जिसके तहत वो उस व्यक्ति को सौंपने के लिए सहमत होते हैं, जिस पर अनुरोध करने वाले देश में कोई गंभीर अपराध करने का आरोप होता है.

Extradition Treaty में किन बातों को शामिल किया जाता है,

  • इनमें वो अपराध शामिल होते हैं, जिसके लिए Extradition की अनुमति होती है.
  • इसमें Extradition का अनुरोध करने की कानूनी प्रक्रिया भी होती है.
  • इसमें आरोपी के अधिकार भी शामिल किए जाते हैं. 

इसके कई अपवाद भी हैं. जैसे- कई Treaties, Political crime के मामलों में या जहां Capital Punishment की संभावना हो, वहां Extradition से इनकार करती हैं.

भारत की 50 से ज्यादा देशों के साथ Extradition Treaties हैं, जिनमें अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और UAE शामिल हैं. तहव्वुर राणा का मामला इसी Treaty की वजह से संभव हो पाया है. भारत और अमेरिका के बीच 1997 में हुई Extradition Treaty की वजह से. भारत में Extradition Act, 1962 इस पूरी प्रक्रिया को कंट्रोल करता है.
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Extradition Act, 1962 भारत को अनुमति देता है कि वो:

  • उन देशों को Fugitive को Extradite कर सके, जिनके साथ भारत की Extradition Treaty है.
  • स्पेशल Circumstances में, बिना Treaty वाले देशों को भी, Mutual Diplomatic समझौते के माध्यम से, Extradite किया जा सकता है.

इस एक्ट में क्या प्रोविजन हैं? इसमें मजिस्ट्रेट जांच की बात है. इसमें Government Approvals की बात है और ये एक्ट सुनिश्चित करता है कि पूरी प्रक्रिया के दौरान भगोड़े के कानूनी अधिकारों की रक्षा हो.

Extradition Act, 1962 के मुताबिक,

  • अगर अपराध Political Nature का हो तो Extradition से इनकार किया जा सकता है.
  • अगर Fugitive पर निष्पक्ष मुकदमा नहीं चलेगा या अनुरोध करने वाले देश में उसके साथ Inhuman Treatment की संभावना हो, तो भी Extradition से इनकार किया जा सकता है.

Famous Extradition Cases -

2005 में 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी अबू सलेम को पुर्तगाल से Extradite किया गया. उसका Extradition एक Milestone था. Portugal, Extradition के लिए इस शर्त पर तैयार हुआ कि भारत ने यह भरोसा दिया कि अबू सलेम को Capital Punishment नहीं मिलेगा और उस पर फेयर ट्रायल चलेगा.

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विजय माल्या बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में वांटेड Fugitive Businessman है. माल्या यूनाइटेड किंगडम से Extradition का विरोध कर रहा है. भारत ने UK के साथ 1992 में हुए Extradition Treaty का उपयोग कर एक मजबूत मामला बनाया है. यूके की अदालतों ने इसे मंजूरी दी है, लेकिन माल्या कानूनी अपीलों के माध्यम से अपने लिए टाइम बाइ कर रहा है.

नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का आरोपी है. नीरव मोदी को 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था. यूके की अदालत ने उसे भारत Extradite करने के पक्ष में फैसला दिया था. इस मामले को अब यूके के Home Secretary की मंजूरी का इंतजार है.

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डेविड हेडली 26/11 मुंबई हमलों में साजिश रचने का Co-conspirator है. हेडली को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया. भारत ने उसका Extradition मांगा, लेकिन एक समझौते के तहत उसने American Agencies के साथ सहयोग किया और वहां 35 साल की सजा काटी. अमेरिका ने उसका Extradition रिजेक्ट कर दिया.

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Christian Mischel को 2018 में UAE से भारत Extradite किया गया. यह Augsta Westland Chopper Scam में Middleman था. मिशेल का भारत लाया जाना भारत की सबसे तेज Extradition Success में से एक था.

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तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का एक Canadian Citizen है. इसे अमेरिका में आतंकवादी साजिशों में शामिल होने का दोषी ठहराया गया था. तहव्वुर राणा का नाम 26/11 मुंबई हमलों की जांच में प्रमुख रूप से सामने आया था, और उसके रिश्ते डेविड हेडली से भी जोड़े गए.  कई सालों LK भारत राणा की हिरासत की मांग करता रहा.

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2023 में, एक अमेरिकी अदालत ने भारत-अमेरिका Extradition Treaty के तहत उसके Extradition को मंजूरी दी. अमेरिकी अदालत ने यह माना कि उसके खिलाफ Prima Facie सबूत मौजूद हैं. राणा ने हेल्थ और Political आधारों पर इस फैसले को चुनौती दी, लेकिन आखिरकार वो हार गया.

अब, अमेरिका ने उसे भारत को सौंप दिया. अब वो भारत में है जो 26/11 के 166 मासूम लोगों को इंसाफ दिलाने की दिशा में एक Important Step है.

तहव्वुर राणा भारत में है तो आगे क्या होगा?

NIA यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी उससे पूछताछ करेगी. उसे एक स्पेशल NIA कोर्ट में पेश किया जाएगा. उस पर भारतीय कानूनों के तहत मुकदमा चलेगा, जिनमें UAPA, IPC और दूसरे Anti Terrorism laws शामिल हैं. तहव्वुर राणा को भारत में लाए जाने के बाद पीड़ित परिवार Death Punishment की मांग कर रहे हैं.

हालांकि भारतीय कानून के अनुसार यह कई बातों पर निर्भर करेगा-

  • ये Depend करेगा जुटाए गए सबूतों पर
  • ये Depend करेगा मुकदमे के नतीजे पर
  • ये Depend करेगा Judicial Discretion पर

कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं कि Extradition ये दिखाता है कि Rule of Law सीमाओं से परे होता है. यह हमें याद दिलाता है कि चाहे कोई अपराधी कहीं भी छिपा हो, न्याय वहां तक पहुंच सकता है, लेकिन उसके लिए दुनिया के देशों को कानून, Treaties और Human Rights के Mutual सम्मान के साथ मिलकर काम करें.

ताहव्वुर राणा का Extradition भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा Milestone है. साथ ही ये केस कानून और न्याय के प्रति Global Commitment का एक पावरफुल उदाहरण भी है.

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