पिछले कुछ समय से यह चर्चा चल रही है कि देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं और देश का संसद भवन (Parliament Building) अब काफी पुराना हो चुका है. उसमें अलग-अलग तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. जब देश अपनी आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा हो तो देश को नया संसद भवन मिले. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू नए संसद भवन की जरूरत को लेकर वकालत कर चुके हैं. NDTV इंडिया को सूत्रों से जानकारी मिली है कि मोदी सरकार (Modi Government) ने इस पर अपना एक ड्रीम प्लान तैयार कर लिया है. जिस पर अब वह तेजी से आगे बढ़ने की मंशा रखती है. इस प्लान के तहत केवल संसद नहीं बल्कि केंद्र दरकार के सारे मंत्रालय और दफ़्तर भी शामिल हैं.
आज़ादी की 75 वीं वर्षगांठ पर नया संसद भवन
मोदी सरकार का इरादा है कि जब देश 15 अगस्त 2022 को अपनी आजादी की 75 की वर्षगांठ मना रहा हो तब सांसद नए संसद भवन में बैठें. इसलिए केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने RFP यानी रिक्वेस्ट फ़ॉर प्रपोजल जारी कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से आवेदन मंगाए हैं. इस आवेदन में कंपनियां अपने डिज़ाइन, आर्किटेक्चर और प्लानिंग के बारे में सरकार को बताएंगी. इसके बाद सरकार 15 अक्टूबर तक एक डिजाइन फाइनल करके उस पर आगे बढ़ेगी. यानी यह तय है कि नया संसद भवन बनना है, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि क्या मौजूदा संसद भवन को तोड़कर नया संसद भवन बनाया जाएगा? मौजूदा संसद भवन में बदलाव करके उसको रीडेवलप किया जाएगा? या एक बिल्कुल नया संसद भवन किसी और जगह बनाया जाएगा? सब कुछ कंपनियों के प्रस्ताव को देखने के बाद तय किया जाएगा.
मौजूदा संसद भवन 1911 में बनना शुरू हुआ था. तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी. सन 1927 में संसद भवन का उद्घाटन हुआ था. लेकिन आज के समय के हिसाब से संसद भवन में काफी समस्याएं देखी जाने लगी हैं. सबसे बड़ी समस्या है कि संसद में मंत्रियों के बैठने के लिए तो चैम्बर हैं लेकिन सांसदों के लिए नहीं हैं. साथ ही बिजली सप्लाई का सिस्टम भी पुराना है, जिसके चलते शॉर्ट सर्किट की समस्या होती रहती है.
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केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने दो सितंबर को नए भवन के लिए रिक्वेस्ट फ़ॉर प्रपोजल जारी कर दिया है.
नया कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट
मोदी सरकार की मंशा है कि एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए जिससे सभी मंत्रालयों, विभागों और दफ्तरों में कोआर्डिनेशन ठीक से हो सके. यह सभी लगभग एक सी इमारत में हों. अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग करीब 47 मंत्रालयों विभागों और दफ्तरों में 70000 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे हैं. राष्ट्रपति भवन के दोनो तरफ नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के अलावा शास्त्री भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन आदि जैसी कई इमारत हैं जिनमें अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर हैं.
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सूत्रों ने बताया कि नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी इमारतें तो भूकंपरोधी भी नहीं हैं. अलग-अलग मंत्रालयों के अलग-अलग दफ्तरों में एकरूपता नहीं है. कई जगह तार लटके दिखते हैं. एसी से पानी टपकता दिखता है. यही नहीं केंद्र सरकार ने निजी इमारतों में भी अपने अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर बना रखे हैं जिनका सालाना किराया करीब 1000 करोड़ रुपये है.
इसलिए अब विचार है कि एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए जिसमें सभी मंत्रालय के सभी मंत्री, अधिकारी और कर्मचारी एक साथ काम करेंगे. इस नई बड़ी इमारत का स्वरूप कैसा होगा, यह भी 15 अक्टूबर के बाद पता चलेगा जब कंपनियां अपना डिजाइन पेश करेंगी और सरकार चुनिंदा डिजाइन को मंजूरी देगी. सरकार का लक्ष्य है कि सन 2024, यानी जब मोदी सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रही हो उससे पहले यह कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट शुरू हो जाए.
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विश्व स्तरीय सेंट्रल विस्टा
राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का तीन किलोमीटर का इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है. सेंट्रल विस्टा पूरे देश का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट है जिसको देखने लोग देश-विदेश से आते हैं. सरकार की मंशा है कि इस तीन किलोमीटर के इलाके को विश्व स्तरीय लुक दिया जाए. इसमें वेंडर की समस्या, पार्किंग की समस्या, लोगों के बैठने की समस्या के लिए बाकायदा प्लानिंग करके काम किया जाएगा. सरकार का इरादा है कि नवंबर 2020 तक इस काम को पूरा कर लिया जाए.
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कुल मिलाकर मोदी सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसमें लागत कितनी आएगी, इसका अभी सटीक आकलन नहीं हो सका है क्योंकि जैसी डिजाइन मंजूर की जाएगी उसी हिसाब से लागत का पता चलेगी. लेकिन सरकार ने यह डेडलाइन जरूर तय की है कि मंजूरी मिलने के तीन साल के अंदर सारा काम पूरा कर लिया जाएगा.
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